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युवती के पर्सनालिटी गढ़ने के गुरु ब्रम्हा का स्वरुप है व को ज्ञान रूपी अमृत नारायण विष्णु भी – मंत्री धर्माचार्य कनक नंदी गुरुदेव

न्यूज सौजन्य- धर्मेंद्र जैन 

भीलूड़ा। गुरु किंग मेकर है वे पंचेंद्रिय को वश में करते हैं व मन को दास बनाकर रखते हैं। वे मन विजयी विश्व विजयी होते हैं। तो वहीं गुरु शिष्य का निर्माण करने वाले ब्रह्मा तो है ही, शिष्य का ज्ञान रूपी अमृत पान से पोषण करने वाले विष्णु भी हैं। रूद्र की तरह दोषों का संहार करते हैं। संसार रूपी महाअटवी में गुरु ही मोक्षमार्ग दिखाते हैं यह बात वैज्ञानिक धर्माचार्य कनक नंदी गुरुदेव ने भीलूड़ा शांतिनाथ जैन मंदिर सभागार में हुए अंतरराष्ट्रीय वेबीनार को संबोधित करते हुए कही।
नगुरुदेव ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि शिष्य का अज्ञान रूपी अंधकार गुरु ही दूर करते हैं। गुरु की पूजा, आराधना, गुणगान,भक्ति अवश्य करना चाहिए। जिस प्रकार पत्थर पर उत्तम बीज भी विकसित नहीं हो सकता वैसे ही आध्यात्मिक गुरु के बिना शिष्य का विकास नहीं होता। देवों के आध्यात्मिक गुरु नहीं होते इसलिए वे मनुष्य बनने के लिए, पृथ्वी पर जन्म लेने के लिए तरसते हैं। गुरु बिना सभी जन पशु समान हैं। गुरु ही पशु से पशुपति, नर से नारायण बनाते हैं। गुरु भक्ति के कारण राजस्थान के लोग किसी भी राज्य में जाते हैं या विदेश में भी होते हैं तो प्रसिद्ध तथा धनवान हो जाते हैं। तीर्थंकर भी गुरु कृपा से ही प्राथमिक धार्मिक बने हैं, गुरूपदेश से ही सम्यक दृष्टि बनते हैं।

प्रवक्ता जैन समाज धर्मेन्द्र जैन बताया कि वेबिनार के दौरान गुरुदेव ने आगे कहा कि नरक, निगोद में जाने से बचाने वाले गुरु ही हैं। पंचम काल में तीर्थकाल नहीं है तो गुरु ही आत्मा से परमात्मा बनने के लिए मोक्ष मार्ग बताने वाले होते हैं। अतः तीर्थंकर के लघु नंदन साधु संसार के दुखों में जलते हुए जीवों का उद्धार करते हैं। गुरु के निर्देश बिना ध्यान भी सम्यक नहीं हो सकता। गुरु ही आत्मज्ञान देते हैं। आत्मज्ञान बिना जीव का विकास नहीं होता, इंद्रियों का दमन भी नहीं हो सकता। गुरु आज्ञा बिना प्राथमिक सम्यकदृष्टि भी नहीं बन सकते। जो भव का नाश करें, संसार का नाश करें वह गुरु है। ऐसे गुरु का शासन, आज्ञा, भक्ति को स्वीकार करना चाहिए। गुरु बिना सभी लौकिक सुख, धन संपत्ति, ज्ञान विज्ञान व्यर्थ है। गुरु स्वपद स्वगुण देते हैं। गुरु से ही अनंत, अक्षय सुख प्राप्त करने का मार्ग मिलता हैं।

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तुष्टी जैन, उपसंपादक

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