कुंडलपुर में सर्वधर्म समभाव सभा में धर्म गुरुओं ने आचार्य श्री विद्यासागर जी को विनयांजलि अर्पित की। आचार्य श्री के प्रत्येक कार्य पर एक-एक नोबेल पुरस्कार दिया जा सकता है। मंगलाचरण, चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन तथा गुणानुवाद हुआ। पढ़िए कुंडलपुर से राजीव सिंघई की यह खबर…
कुंडलपुर (दमोह)। सुप्रसिद्ध सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की तपोस्थली रही है। जहां आचार्य श्री के प्रथम समाधि दिवस पर सर्वधर्म समभाव सभा रखी गई। इस अवसर पर मंगलाचरण, चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन के साथ सभी अतिथियों का स्वागत-अभिनंदन कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के सभी पदाधिकारी सदस्यों ने किया।
‘इंडिया नहीं भारत’ बोलो ‘नारी शिक्षा’ पर जोर
इस अवसर पर सिख धर्म से सरदार जसवीर सिंह पूर्व अध्यक्ष अल्पसंख्यक आयोग (राजस्थान) ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की समाधि को एक वर्ष पूर्ण हुआ है। उनके चरणों में नमन। आचार्य श्री समयसागर जी महाराज को नमन करते हुए कहा आचार्य श्री आज भी सूक्ष्म रूप में इस मंडप में विद्यमान हैं। स्मृति के रूप में आगम के रूप में हमारे दिलों में आज भी वे निवास करते हैं। भारत भूमि पर जन्म लेना सौभाग्य की बात है भारत की महिमा पूज्य गुरुवर ने बहुत गाई है। इंडिया नहीं भारत बोलो नारी शिक्षा पर उन्होंने जोर दिया।
आचार्यश्री ने मूकमाटी महाकाव्य की रचना की। ‘बच्चियों को पढ़ाइए-लिखाइए’ की प्रेरणा दी। उन्होंने बहुत दूर की सोची। उनके उपदेश भारत भूमि की रक्षा के लिए है।
आप उनके संदेश को रख रहे हैं याद
भारत को आगे बढ़ाना है। एकजुट भारत समभाव का संदेश गुरुदेव ने दिया। उनके संदेशों को अपने जीवन में उतरना होगा। आचार्यश्री के आशीर्वाद से बहुत सुंदर बड़े बाबा का मंदिर बनाया है। आप उन प्रभु के दर को और उनके संदेश को याद रख रहे हैं। उनकी समाधि को एक वर्ष बीत जाने के बाद भी गुरु का स्मरण कर रहे हैं।
वे नूतन दृश्य देने वाले थे
गायत्री शक्तिपीठ भोपाल जोन समन्वयक पंडित रघुनाथ हजारी ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी उत्कृष्ट तपस्वी ,गोवंश की रक्षक थे। उनके एक-एक काम पर नोबेल पुरस्कार दिए जा सकते हैं। चल चरखा हथकरघा, प्रतिभास्थली, पाषाण मंदिर, पूर्णायु आदि उनके प्रकल्प हैं। स्वनाम धन्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आचार्य शब्द से ही ज्ञात होता है, वह सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व हैं। जो नूतन दृश्य देने वाले थे।
उनके निकलते ही पानी थम गया
पंडित हजारी ने कहा कि 1980 में जबलपुर में उनका सानिध्य मिला। युवा थे। 22 वर्ष में ही दीक्षित हुए हमें बहुत प्रेरित करते थे। मैं उन्हें सुनने बार-बार जाता था। आचार्य श्री राम शर्मा जी के साहित्य को वे पढ़ने और सभी शिष्यों को पढ़ने की प्रेरणा देते। आचार्य श्री की रचना मूकमाटी पर ढेरों पीएचडी, डी-लिट उपाधि हो गई हैं। वे समाधिस्थ अवस्था में भी सभी को मार्गदर्शन देने में सक्षम हैं। पटना रहलीगंज में जब आचार्य श्री आए। सुनार नदी के पुल पर पानी था और सभी ने देखा कि उनके निकलते ही पानी थम गया। पूरा संघ नदी पार हो गया। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का स्लोगन प्रधानमंत्री ने आचार्य श्री की प्रेरणा से दिया।आचार्य श्री ने अनेक चेतन प्रतिमाओं में प्राण फूंके।
उनके ही शब्द अपनी कथाओं में कहता हूं
इस अवसर पर बाल व्यास पंडित ऋषिकांत गर्ग मथुरा ने कहा कि युग पुरुष आचार्य विद्यासागर जी के विषय में बोलना सूर्य के विषय में बोलने के समान है। उनकी प्रेरणा विचार सभी को मार्गदर्शित करते हैं। उनके प्रवचन मैं प्रतिदिन सुनता हूं। उनके ही शब्द अपनी कथाओं में कहता हूं। यह पृथ्वी आचार्य विद्यासागर जी जैसे संतों से टिकी हुई है।
कई सेवा प्रकल्प उनके आशीर्वाद से हैं
आचार्य श्री ने उदघोष नहीं किया कि मैं करूंगा। उन्होंने वह करके दिखा दिया। उनके प्रकल्प समाज के लिए भारत वर्ष के लिए है। उन्होंने जो भी कदम उठाया परहित के लिए उठाए। इंडिया को भारत नाम दिया। मानवता दया अहिंसा के कई सेवा प्रकल्प उनके आशीर्वाद से चल रहे हैं।
अपनी ऊर्जा भारतीय संस्कृति की ओर लगाई
ब्रह्मकुमारी आरती दीदी जबलपुर ने कहा कि आध्यात्मिक विभूति भारतीय संस्कृति की आत्मा होती है। आचार्य श्री ने समस्त ऊर्जा को भारतीय संस्कृति की ओर लगा दिया। विश्व में समरसता हो, विश्व के वे प्रेरणासूत्र, मार्गदर्शक रहे हैं । उनके सभी कार्य अनुकरणीय और प्रेरणादायक हैं। उनका जीवन प्रेरणा देने वाला है।
शब्दातीत हैं आचार्यश्री विद्यासागर जी
प्रकाश पाटनी अजमेर ने कहा कि कुंडलपुर की पावन धरा पर यह कार्यक्रम रखा। क्यों रखा? क्योंकि 18 फरवरी को समाधि दिवस हर वर्ष पूरे देश में मनाया जाए। ऐसा प्रस्ताव सदन में लाएंगे। उपस्थित जनसमूह ने अनुमोदना की। कुंडलपुर आचार्य श्री की सबसे प्रिय धरा है। हम उन्हें भगवान महावीर के प्रतिबिंब के रूप में देखते हैं। हरे माधव दरबार कटनी के प्रतिनिधि ने इस अवसर पर कहा आचार्य गुरुवर ने जीवन का सच्चा मार्ग दिखाया है। उनके विषय में जितना वर्णन करें कम है। उनके पावन दर्शन का सौभाग्य हमें मिला।
लोगों ने उन्हें छोटे बाबा का नाम दिया
ब्रह्मचारी संजीव भैया कटगी ने कहा कि प्राणी मात्र के प्रति दया का भाव उनमें था। जो अपने कार्यों से प्रसिद्ध हुए ऐसे संत ने अहिंसा का विगुल बजाया। वह जन-जन के संत थे। गुरुवर आचार्य श्री को शत-शत नमन। ब्रह्मचारी श्री विनय भैया जी, जो आचार्य श्री के सबसे नजदीकी एवं समाधि के आखिरी समय तक रहे। उन्होंने इस अवसर पर कहा आचार्य श्री 22 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेकर जब बुंदेलखंड की पावन धरा कुंडलपुर में आए तो यहां उन्होंने बड़े बाबा को देखा। बड़े बाबा ने उन्हें देखा और कुंडलपुर से ही लोगों ने उन्हें छोटे बाबा का नाम दिया। वे विरले संत थे। प्रत्येक प्राणी का उद्धार करते हुए उनका विहार हुआ करता था। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।
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