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चीज में आनंद मिले वही तुम्हारा भविष्य है: मुनिश्री ने जीवन-दर्शन पर दिए उपदेश


निर्यापक मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज़ सागर में विराजमान होकर जैन समाज को धर्म प्रभावना से रोज आलोकित कर ज्ञान का प्रकाश प्रदान कर रहे हैं। अपनी धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपदेशों में बहुत सुंदर जीवन-दर्शन समझाया। पढ़िए सागर से राजीव सिंघई की यह खबर…


सागर। अच्छे लोगों की कोई भी व्यवस्था संसार नहीं करेगा, प्रकृति नहीं करेगी, नियत नहीं करेगा, भगवान भी नहीं करेगा, अच्छी चीजों की व्यवस्था व्यक्ति को स्वयं करनी होती है। अशुभ वस्तुएं, अशुभ शक्तियां, संसार उत्पन्न करता है। तुम्हंे कुछ भी नहीं करना, तुम्हारी जो जीवन की स्थितियां हैं हमेशा इस बात पर विचार करना चाहिए। तुम्हें यदि बुरा आदमी बनना है या बुरी संगति या बुरी किस्मत चाहिए तो तुम्हें कुछ भी नहीं करना है, वह अपने आप मिल जाएगा। तुम्हें कषाय के निमित्त चाहिए हैं, तुम्हें कोई प्रयास नहीं करना, कषाय करने वाला निमित्त अपने आप सामने आएगा।

मां-बाप का संबंध मात्र मनुष्य से है

कुसंस्कार अपने आप आते हैं। कुछ भी करने की जरूरत नहीं। आप बिना पुरुषार्थ के दुनिया को छोड़ दीजिए, मानव भी पशु बन जाएगा। पशु बनने के लिए कोई कॉलेज नहीं होता और पशुओं का कोई गुरु तथा भगवान नहीं होता। यहां तक कि एक सीमा के बाद पशुओं के कोई मां-बाप नहीं होते। मात्र जन्म के लिए, बचपन के लिए थोड़े से मां-बाप होते है, बाकी कुछ भी नहीं होता।

मां-बाप जन्म के लिए नहीं जीवन के लिए

84 लाख योनियों में मां-बाप का संबंध मात्र मनुष्य से है, जिनमें मां-बाप जन्म के लिए नहीं, जीवन के लिए होते हैं, देवों में मां-बाप होते नहीं, जहां-जहां मां-बाप नहीं होते वहां-वहां मोक्ष और धर्म भी नहीं होता। नारकियों में, समूर्छनों में नही होते, पशुओं में होते हैं तो मात्र जन्म के लिए।

मन में कोई बात आई तो कोई माफीनामा नहीं

तुम अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहते हो तो तुम पशु बन सकते हो, इंसान नहीं क्योंकि, तुम अपने तरीके से जिंदगी जी रहे हो तुम्हारी जिंदगी में कोई दूसरा नहीं आएगा। जिंदगी तो निकलेगी पर जीवन तुम्हारा पशुओं के समान हो जाएगा। जिनके मां-बाप बचपन में मर जाते हैं। उनको अनाथ बोलते हैं, यदि उसमें बुरे संस्कार आ जाएं तो कहते हैं कोई बड़ी बात नहीं, बेचारे के मां-बाप नहीं। सबसे विचारणीय बात है कि जिसके मां-बाप हों और वह यदि बिगड़ जाता है तो कहते ये तो गलत बात है। इसमें भी अच्छे कुल के मां-बाप हों, उसमें भी मां-बाप अच्छे हों तब फिर कहते हैं बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है। आपको देश, जाति, कुल, मां-बाप, भगवान, गुरु, जिनवाणी मां कैसी है? अच्छे हैं न तो अब आपका नंबर है कि आप कैसे हैं? अब यदि तुम्हारे मन में कोई बात आई तो कोई माफीनामा नहीं।

जिंदगी जीने के लिए कोई न कोई गॉड चाहिए

क्यों कहा गया कि जैन जाति अच्छी जाति है, क्यों कहा जाता है कि तुम अच्छे क्षेत्र पर रहो, क्यों कहा जाता है कि सच्चे देव चाहिए। मात्र जैन दर्शन में ही भगवान के साथ सच्चा शब्द लगाया। दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो किसी न किसी भगवान को अदृश्य शक्ति नहीं मानता हो। जब सारा मुल्क एकमत है कि जिंदगी जीने के लिए कोई न कोई गॉड चाहिए तो फिर अपने मन को क्यों नास्तिकपने से बिगाड़ रहे हो।

हमारे नाम से देश जाना जाएगा

जंगलों में रहने वाले आदिवासी भी किसी न किसी को पूजते हैं, चाहे भले ही वह पेड़, नदी, नाला क्यों न हो। मुझे जो भी अच्छी संगति मिली है, जब मुझे देश अच्छा मिला है तो हम जिस स्थान पर रहेंगे, वो गंदा नहीं होने देंगे। देश के नाम से हम नहीं जाने जाएंगे, हमारे नाम से देश जाना जाएगा।

आप जैन जाति की ध्वजा बनें

देश अच्छा है तो नागरिक अच्छे हांे, ये कोई नियम नहीं लेकिन, जहां के नागरिक अच्छे हैं वहां का देश तो अच्छा होगा ही होगा। अब हमें सुनना है कि लोग हमारे नाम से कहें कि लगता है, आप भारत के हैं क्योंकि, जहां इतने अच्छे लोग रहते हैं उसी का नाम भारत होता है। जैन से आपकी पहचान न हो, आपसे जैन की पहचान हो, आप जैन जाति की ध्वजा बनें।

जैन धर्म महान है इसलिए जैनी भी महान

धर्म, कुल, जाति ये मंदिर हैं, आपको इनकी ध्वज बनना है। ध्वजा को देखकर पता कर लेते हैं कि ये भारत देश से है। गुरु की पहचान पर तो अपन सब सम्मान पाते हैं, सब कहते हैं कि जैन धर्म महान है इसलिए जैनी भी महान हैं।

णमोकार मंत्र पढ़ने में इतना आनंद है कि…

भगवान तू बहुत अच्छा है इसलिए तेरी मूरत अच्छी है नहीं, तेरी मूरत इतनी सुंदर है तो तू कितना सुंदर होगा। जब तुम्हें किसी कारण को देखकर आनंद की अनुभूति हो, जिसके सोचने मात्र से इतना आनंद आ रहा है, जिस दिन वो प्राप्त हो जाएगा तो कितना आनंद आएगा। पंच परमेष्ठी के णमोकार मंत्र पढ़ने में इतना आनंद है तो परमेष्ठी में कितना आनंद होगा।

माला में आनंद आ रहा है तो पंच परमेष्ठी बनोगे

पूजन करते समय यदि तुम्हें आनंद आ रहा है कि मैं धन्य हूं कि भगवन आज मैं तेरी पूजा कर रहा हूं। निश्चित समझना तुम्हें पूजा बनने का अवसर नियम से मिलना है, तुम ऐसे पूज्य बनोगे कि अनंत सुख को पा जाओगे। माला में आनंद आ रहा है तो पंच परमेष्ठी बनोगे।

…तुमने गाली देना अच्छा समझा

तुम्हें जिस चीज में आनंद आ रहा है वही तुम्हारा भविष्य है। तुम्हें शराब पीने में आनंद आ रहा है तो तुम्हे शराबी बाप मिलेगा। गुटखा खाने में आनंद आ रहा है तो उसी के यहां जन्मोंगे जिसके यहां गुटखे की फैक्ट्री होगी। तुम्हें गाली देने में आनंद आ रहा है। तुम ऐसे कुल में जन्मोंगे, जहां तुम्हंे बाप भी गाली देकर बुलाएगा क्योंकि, तुमने गाली देना अच्छा समझा।

कोई बात महाराज की चुभ जाए और…

आज वहां मुझसे दान न बुलवाया जाए, चार लोग दान न बुलवा लें। इसलिए आज मुझे वहां जाना ही नहीं, मत बहाना बनाना, ऐसा कर्म का बंध होगा कि तुम देने लायक ही नहीं रहोगे। उस दिन तो जरूर आना है कि कोई बात महाराज की चुभ जाए और मेरे मुख से दान निकल जाए।

गुरु ऐसा वरदान देंगे कि…

गुरु ने तुम्हारी ओर देखा कि तुम्हारी शक्ति नहीं है। तुम्हारी आंखों से आंसू निकल जाए कि मैं कैसा पापी हूं कि आज गुरु की भावना भी पूरी नहीं कर पाया, बस उसी समय गुरु ऐसा वरदान देंगे-जा तू आगे इतना समर्थ होगा कि दोनों हाथ से उलीचेगा तो लेना वाला थक जाएगा, देने वाला नहीं।

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