दोहों का रहस्य समाचार

दोहों का रहस्य -63 हमें समय का सही उपयोग करना चाहिए : जीवन का वास्तविक उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबोध प्राप्त करना है


दोहे भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा हैं, जो संक्षिप्त और सटीक रूप में गहरी बातें कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। दोहे में केवल दो पंक्तियां होती हैं, लेकिन इन पंक्तियों में निहित अर्थ और संदेश अत्यंत गहरे होते हैं। एक दोहा छोटा सा होता है, लेकिन उसमें जीवन की बड़ी-बड़ी बातें समाहित होती हैं। यह संक्षिप्तता के साथ गहरे विचारों को व्यक्त करने का एक अद्भुत तरीका है। दोहों का रहस्य कॉलम की 63वीं कड़ी में पढ़ें मंजू अजमेरा का लेख…


माली आवत देखि के कालिया करे पुकार |

फूली फूली चुनी गई कालि हमारी बार||”


यह दोहा जीवन के नश्वरता और मृत्यु के अवश्यम्भाविक आगमन को दर्शाता है। इस दोहे में माली का प्रतीक मृत्यु और समय का होता है, जो सबको एक न एक दिन काटने आता है। “माली आवत देखि के कालिया करे पुकार” का अर्थ है कि जब मृत्यु (माली) सामने आती है, तो आत्मा (कली) चीख-चीखकर पुकारती है, यह दिखाता है कि जब मृत्यु पास आती है तो मनुष्य को समझ में आता है कि उसने जीवन में जो कुछ भी किया था, वह अनंत और सच्चे उद्देश्य के लिए नहीं था।

 

जब फूल खिलते हैं, तब उनका चयन किया जाता है, लेकिन कली (अर्थात अविकसित और अधूरी अवस्था में जीवन जीने वाला) पीछे रह जाती है। यही जीवन के असमय समाप्त होने का संकेत है, यानी जब तक हम अपने जीवन के उद्देश्य और आत्मज्ञान की ओर नहीं बढ़ते, तब तक समय हाथ से निकल जाता है।

 

यह विचार जीवन की क्षणभंगुरता और समय के महत्व को दर्शाता है। हम अक्सर भौतिक सुख-सुविधाओं और भ्रामक प्राथमिकताओं में उलझे रहते हैं और जीवन के सही उद्देश्य को टालते रहते हैं। लेकिन जब समय बीत जाता है और मृत्यु पास आती है, तो हमें अहसास होता है कि हमने धर्म, आत्मज्ञान और सच्चे कर्मों को नजरअंदाज किया है।

 

कली का पुकारना यह दर्शाता है कि आत्मा मृत्यु के समय विवश होती है, क्योंकि उसने जीवन में सही मार्ग पर चलने का प्रयास नहीं किया। यह दोहा हमें यह सिखाता है कि जब तक हमें जीवन में शक्ति और समय है, तब तक हमें आत्मज्ञान, भक्ति, सेवा और धर्म का पालन करना चाहिए।

 

इसलिए, हमें इस समय का सही उपयोग करना चाहिए और आत्मबोध और भक्ति को अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य बनाना चाहिए। सांसारिक सुख और भौतिकता की ओर भटकने के बजाय, हमें अपने जीवन का सही मार्ग अपनाना चाहिए, ताकि जब मृत्यु का समय आए, तो हमें पछतावा न हो। कबीर जी हमें यह सिखाते हैं कि जीवन का वास्तविक उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबोध प्राप्त करना है, क्योंकि अंत में यही सच्चा धन है।

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