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विज्ञानमति माताजी का वीरोदय तीर्थ पर मंगल प्रवेश: क्षेत्र कमेटी एवं एवीएस परिवार के सदस्यों ने की मंगल अगवानी


आर्यिका विज्ञान मति माताजी संघ का सोमवार को वीरोदय तीर्थ पर मंगल प्रवेश हुआ। जहां क्षेत्र कमेटी एवं एवीएस परिवार के सदस्यों ने मंगल आगवानी की। श्रीजी का अभिषेक और शांतिधारा की गई। आर्यिका विज्ञान मति माताजी ने मंगल प्रवचन में मोह के कारण होने वाले दुष्प्रभावों का वर्णन किया। पढ़िए बांसवाड़ा से अभिषेक लुहाड़िया की यह खबर…


   बांसवाड़ा। आचार्यश्री विवेक सागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका विज्ञान मति माताजी संघ का सोमवार को वीरोदय तीर्थ पर मंगल प्रवेश हुआ। जहां क्षेत्र कमेटी एवं एवीएस परिवार के सदस्यों ने मंगल आगवानी की। नितिन भैया और रोहित भैया के निर्देशन में श्रीजी का अभिषेक एवं शांतिधारा हुई। आर्यिका विज्ञान मति माताजी ने मंगल प्रवचन में कहा कि मंदिर को छोड़कर घर क्यों लौट जाते हो? कौन बुलाता है तुम्हें? किसी की आवाज तो सुनाई नहीं देती। फिर भी किसके लिए चले जाते हो? कौन है यहां तुम्हारा? यहां अपना सा प्रभु परमात्मा है।

मोह से आवृत्त ज्ञान का स्वरूप नहीं दिखता

क्षीरसागर को छोड़कर क्षारसमुद्र की ओर क्यों जा रहे हो? अविनश्वर परम प्रभु की शाश्वत प्रभु की शरण को छोड़कर हीरे की जगह कांच के टुकड़ों की ओर क्यों जा रहे हो? माताजी ने कहा अनंतों बार प्रभु की चरण को छोड़कर लौट आए, क्योंकि जिनराज से अधिक आकर्षण मोहराज का रहा। जैसे कोई रत्नदीप को छोड़कर कोयले की खदान में चला जाए। फूलों की बगिया को छोड़कर कांटों के बीच आ जाए। आसमान की ऊंचाइयों को छोड़कर खंदकों में गिर जाए। मधुबन को छोड़कर बियावान वन में चला जाए। परम पावन को छोड़कर पामरो के निकट आ जाए। अमृत कुंड को छोड़कर विष कुंड की ओर चला जाए। इसका कारण मोह है। मोह ही दुःख का कारण है। मोह से आवृत्त ज्ञान का स्वरूप नहीं दिखता।

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