कंठस्थ विद्या और अन्तस्थ धन संकट में आता है कामः मुनि सुधासागर जी
मां- बाप और गुरु की बात न सुनने वाले की बर्बादी तय
आचरण ऐसा हो, भीड़ में भी स्वयं पहचाने जाओ
ललितपुर. राजीव सिंघई । श्री अभिनन्दनोदय अतिशय तीर्थ के तलैया स्थित नयनाभिराम पंडाल में निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर महाराज ने गुरुभक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि आप अपनी पहचान ऐसी बनाएं कि लोग दूर से देखकर कहें कि ये जैन हैं। कंठस्थ विद्या और अन्तस्थ धन संकट के समय में काम आता है। मुनिश्री ने अपने धर्म पर गहरी आस्था रखकर अपनी पहचान बनाने की सीख दी। सभी धर्मावलंबियों को अपनी जाति, अपने कुल और अपने जैन धर्म पर अटूट श्रद्धा रखते हुए अपने आप पर गर्व महसूस करने की सीख दी।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने आप पर, अपनी जाति पर, अपने धर्म पर, अपने गुरु पर, अपने आराध्य देव पर गर्व होना चाहिए। अपनी जाति, अपने धर्म के अनुसार उसकी एक पहचान होनी चाहिए जिससे लोग दूर से देखकर ही यह कहें कि यह फलाने धर्म या फलाने
कुल का व्यक्ति है। मुनि श्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम सर्वश्रेष्ठ जातियों के सर्वश्रेष्ठ जैन कुल से हैं तो हमें भी अपनी जाति, अपने धर्म, अपने कुल, अपने आराध्य देव और अपने गुरु पर गर्व होना चाहिए। हमारा आचरण ऐसा होना चाहिए कि लोग दूर से देखकर ही यह
समझ जायें कि यह जैन ही होगा। जैसे कि हमें हर जगह पानी छानकर पीना चाहिए। यदि हम ऐसा करेंगे तो लोग हमें पानी को छानते देखकर समझ जायेंगे कि यह जैन है। यदि आपकी अंटी में धन है और विद्या कंठस्थ है तो वह हमेशा ही संकट में काम आती है।
उन्होंने कहा कि आप अपने बच्चों को कुछ भी करवाओ, कैसी भी शिक्षा दिलवाओ लेकिन अपने बच्चे को भक्ताम्बर कंठस्थ जरूर करवाना ताकि संकट आने पर वह अपनी रक्षा कर सके। आज भीड़ में भी जैनी अपने आचरण, अपने आचार-विचार, अपनी वेशभूषा से पहचाना जाता है। इसलिए आप अपना आचरण सुधारो। वेशभूषा सुधारो ताकि भीड़ में भी स्वयं पहचाने जाओ। आज तुम्हें देखकर कोई कैसे कहे कि ये जैन हैं। इसलिए श्रावक की ऐसी पहचान होना चाहिए कि लोग
देखकर कह सकें कि ये जैन हैं। अपने भोजन, व्यापार, शादी-ब्याह, आचरण, आचार- विचार, वेशभूषा आदि से झलकना चाहिए कि तुम जैनी हो। इसलिए ऐसा कार्य करो कि तुम्हारी क्रिया से लगे कि तुम जैन हो और आपको देखकर लोग कहें कि ये जैन हैं।
मुनि श्री ने कहा कि आज तुम्हारी उपेक्षा का शिकार गाय माता तुम्हें अभिश्राप दे रही है। मां- बाप और गुरु की बात न सुनने वाले की बर्बादी तय है। उन्होंने विदेशी चीजों का त्यागकर स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया। विदेशी संस्कृति सभ्यता छोड़ स्वदेशी, भारतीय संस्कृति और सभ्यता अपना कर सुरक्षित रहने का आह्वान किया। उन्होंने बच्चों को सीख दी कि वे अपने माता- पिता और गुरु का सम्मान करें, उनकी कही गई बात को अपने जीवन में उतारें।
मुनि श्री सुधासागर जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत समेत विश्व में कई ऐसे व्यापारी हैं जो अपने द्वारा बेची गई वस्तु स्वयं अपने उपयोग में नहीं लाते क्योंकि वह जानते हैं कि यह वस्तु नकली है। हम नुकसान देगी लेकिन वह दूसरों को बेच देते हैं। हम अपने कारोबार और दुकानदारी के नाम पर दूसरों को धोखा देने का काम कर रहे हैं। भारतीय परंपरा और वातावरण में विदेशी जहर घोलने का काम कर रहे हैं। हमारी परंपरा और सभ्यता को पूरी तरह नष्ट करने का कुचक्र रचा जा रहा है। आज हम विदेशों के तौर- तरीके, वहां की बनी हुई वस्तुओं को अपनाने का काम कर रहे हैं जब कि स्वदेशी ठुकराते जा रहे हैं। इस कारण हम कहीं के भी नहीं रहे और हमेशा महामारियों से, नई- नई बीमारियों से, मुसीबतों से घिरे रहते हैं। आज हमारी खाने की थाली पूरी तरह से दूषित हो चुूकी है। हम यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि जो हम खा रहे हैं, वह स्वदेशी है या विदेशी। शुद्ध है या अशुद्ध। आज हमारी थाली में अशुद्ध भोजन परोसा जा रहा है जिससे वातावरण लगातार दूषित हो रहा है। हमारे आचार- विचार दूषित
हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज चरखे का प्रचार- प्रसार इसीलिए कर रहे हैं कि स्वदेशी अपनाओ और विदेशी वस्त्र हटाओ। कुछ ऐसा करो जिसे देख कुल, जाति सम्मानित हो। तुम्हारी क्रिया देखकर जाति को सम्मान मिले। तुम्हारा भव सुधर जायेगा। कोई व्यक्ति कहने को तैयार नहीं कि मैं पापों से तृप्त हो गया। संसार में रहकर कह नहीं सकता कि मैं तृप्त हो गया। अतीत का हिसाब नहीं है। सभा का संचालन महामंत्री डा. अक्षय टडैया ने किया।
जैन समाज अध्यक्ष अनिल अंचल, प्रबंधक राजेन्द्र थनवारा एवं पंकज मोदी धार्मिक आयोजन समिति के संयोजक मनोज बबीना एवं सभी पदाधिकारियों ने क्षुल्लक श्री गम्भीर सागर
महाराज के दीक्षा पूर्व के पिता एवं अन्य लोगों का सम्मान किया।
अभिनन्दनोदय तीर्थ में मुनि श्री के मुखारविन्द से शान्तिधारा करने का सौभाग्य तरुण रजनी काला व्यावर मुम्बई, चन्द्राबाई संदीप सराफ अलंकार ज्वेलर्स, दीप चंद प्रसन्न प्रथ्वीपुर, अरिहंत डा. सुशान्त पाली, दिलीप सत्येन्द्र गौरव अहमदाबाद, अभिननदन जैन, रवि बड़जात्या भरतपुर, रवीन्द्र
गाडरवारा, प्रकाश चंद मडावरा सोनम जैन लक्ष्मी आप्टीकल, आगम, अनुगम, स्वाती जैन छिंदवाड़ा के अलावा स्थानीय श्रावक श्रष्ठियों के परिवार को मिला।
सोमवार को निर्यापक मुनि श्री सुधासागर महाराज को आहार एवं पडगाहन अंशुल जैन मैनवार परिवार को, मुनि पूज्यसागर महाराज को आहार एवं पडगाहन सुरेश सोनू समैया ब्रह्मचारिणी दीदी रिचा समैया परिवार, ऐलक धैर्यसागर को आहार एवं पडगाहन विनोद घी वाले परिवार एवं क्षुल्लक
गम्भीर सागर महाराज आहारदान एवं पडगाहन चन्द्रकुमार लोहिया परिवार को मिला।
सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्वशान्ति यज्ञ 2 नवम्बर से
महावीर जयंती एवं धार्मिक आयोजन समिति संयोजक मनोज बबीना ने बताया कि श्री अभिनंदनोदय अतिशय क्षेत्र में 2 से 8 नवम्बर तक अष्ठानिका महापर्व के अवसर पर मुनि संघ के सान्निध्य में श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्वशान्ति यज्ञ पुण्यार्जक मदन लाल काका परिवार द्वारा हो रहा है। यह आयोजन प्रदीप भैया सुयश अशोक के द्वारा संपन्न कराया जायेगा जिसमें सत्येन्द्र शर्मा एण्ड पार्टी कंठस्थ कला केन्द्र दिल्ली द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं नीलेष जैन पार्टी के द्वारा संगीत दिया जायेगा।