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धूमधाम से मनाई गई गुरु विशल्य सागर जी का दीक्षा जयंती

झुमरी तिलैया.राजकुमार अजमेरा । जैन समाज द्वारा आयोजित विश्व शांति महायज्ञ समवशरण कल्पद्रुम विधान में आज भक्ति और श्रद्धा पूर्वक जैन संत 108 गुरु विशल्य सागर जी का दीक्षा जयंती शरद पूर्णिमा के पावन दिन मनाई गई। इस मौके पर पूरे झारखंड और भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों से भक्तजन पहुंचे। सर्वप्रथम आचार्य विराग सागर जी के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इसके बाद आए हुए अतिथियों ने गुरुदेव का पाद प्रक्षालन कर शास्त्र भेंट किया। सभी भक्तजनों ने गुरुदेव को श्रीफल चढ़ाया और आशीर्वाद लिया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व शिक्षा मंत्री झारखंड सरकार और कोडरमा विधायक डॉ. नीरा यादव उपस्थित थीं। उन्होंने गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया। जैन समाज के पदाधिकारियों ने उनका स्वागत अभिनंदन किया।

निवर्तमान पार्षद पिंकी जैन में उन्हें तिलक लगाकर, दुपट्टा ओढ़ाकर और माला पहनाकर सम्मानित किया। जैन संत विशल्य सागर जी के द्वारा लिखित शास्त्र पुस्तक “मत थामो वैशाखीया” का विमोचन मुख्य अतिथि डॉ. नीरा यादव ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज गुरुदेव के दीक्षा महोत्सव पर पहुंचकर मैं अपने आप को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। जैन गुरु के द्वारा पिछले 3 महीनों से जिले में अमृतवाणी सुनने का लाभ लोगों को मिल रहा है। इस विश्व शांति महायज्ञ में पहुंचकर मुझे बहुत खुशी हुई है। इससे लोगों की धर्म के प्रति आस्था बढ़ेगी और शांति का वातावरण स्थापित होगा। मैं जैन धर्म के तप त्याग को नमन करती हूं। जैन धर्म के अहिंसा धर्म का पालन करके ही विश्व और जीवन में शांति को लाया जा सकता है।

जैन संत विशल्य सागर जी ने भक्त जनों को संबोधित करते हुए अपनी पीयूष वाणी में कहा कि गुरु से बड़ा तीनों लोकों में कोई भी नहीं हो सकता। गुरु के बाद ही प्रभु का नंबर आता है। जीवन में गुरु का महत्व सबसे ऊंचा है। जिसके जीवन में गुरु मिल जाते हैं, उसका जीवन सफल हो जाता है। गुरु के द्वारा जो संस्कार दिए जाते हैं, वही सबसे बड़ा मुक्ति का मार्ग है। गुरु का उपकार जीवन में नहीं चुकाया जा सकता। अनुशासन में जो चलता है, वही सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त कर सकता है। दीक्षा के बिना मोक्ष संभव नहीं है। गुरु और प्रभु रूपी आंखें जीवन को प्रकाशमय बनाती हैं। जैन धर्म में सभी परिग्रह का त्याग कर दिगंबरत्व रूप धारण कर ही तप त्याग तपस्या की राह पर बढ़ा जा सकता है। इसी पथ पर चलकर आत्म कल्याण हो सकता है।

पूज्य गुरुदेव को दीक्षा दिवस पर नई पिच्छी देने का सौभाग्य सुरेंद्र सौरव काला परिवार को मिला। गुरुदेव ने अपनी पुरानी पिच्छी मानिकचंद तारामनी मनीष सेठी परिवार को दी। पूरे भारतवर्ष से आए भक्तों ने अपने राज्य के अलग-अलग वेषभूषा में नवरत्न से गुरुदेव का चरण प्रक्षालन किया और अष्ट द्रव्य से पूजा की। कार्यक्रम को डॉक्टर नीलम जैन, डॉक्टर कमलेश जैन बसंत तिजारा राजस्थान, अलका दीदी, समाज के मंत्री ललित शेट्टी, सुरेश झाझंरी ने संबोधित किया। इस मौके जैन समाज के अध्यक्ष प्रदीप जैन पांड्या, मंत्री ललित सेठी, उपाध्यक्ष कमल सेठी, मंच संचालनकर्ता राज छाबड़ा, कार्यक्रम के संयोजक नरेंद्र झाझंरी, दिलीप बाकलीवाल, चातुर्मास संयोजक सुरेंद्र काला, हजारीबाग से विजय लोहारिया, सुशील जैन छाबड़ा, किशोर जैन पांड्या दिल्ली और समाज के अग्रजनों ने अपनी सहभागिता प्रदान की। ये जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी राजकुमार अजमेरा और नवीन जैन ने दी।

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