- बड़ा जैन मंदिर जी से निकली घटयात्रा
- रविवार शाम भजन संध्या में जैन भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियां
- महान आचार्यों के कृतित्व और व्यक्तित्व का स्मरण कर सकेंगे लोगः हसमुख शास्त्री
न्यूज सौजन्य -सन्मति जैन
सनावद। साधु, ज्ञानी, तपस्वी और वृतियों की नगरी सनावद में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन का पुश्तैनी मकान, जो अब आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की पट्टपरंपरा, साधु और आचार्यों की परंपरा के चित्र दर्शन का कोई रूपक छोटे से भूखंड पर खड़ा होने जा रहा है, का भूमिपूजन और शिलान्यास प्रतिष्ठाचार्य हसमुख जैन शास्त्री राज. के निर्देशन मेंदानवीर श्रेष्ठी चिंतामण जैन खंडवा और भरत कुमार जैन, इंदौर के कर-कमलों से संपन्न हुआ।
जैन समाज के प्रवक्ता सन्मति जैन काका ने बताया कि दो दिवसीय आयोजन में 7 अगस्त रविवार को शाम 8 बजे से पंकज जैन एण्ड आर्केष्ट्रा पार्टी, इंदौर द्वारा आचार्यश्री की जन्मस्थली एम जी रोड पर भजन संध्या में जैन भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियां दी गईं।
8 अगस्त सोमवार को प्रातः 7.30 बजे बड़ा जैन मंदिर जी से घटयात्रा निकाली गई जो शहर के प्रमुख मार्गों से होकर शिलान्यास स्थल पर पहुंची। भूमि प्रदाता श्रीमती शोभा जयवंत जैन एवं पारस जैन एवं परिवार के शुभ भावों को मूर्त रूप देने के लिए प्रातः 8.45 बजे शुभमुहूर्त में भूमि पूजन एवं शिलान्यास कार्यक्रम किया गया।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए नंदनवन के हसमुख शास्त्री ने कहा यह मंदिर नहीं बनने जा रहा, यह धर्मशाला नहीं, जहां चार लोगों के ठहरने की व्यवस्था हो। यह तो वो परंपरा की जीविंत थाती बनने जा रही है, जिसमें लोग महान आचार्यों के कृतित्व और व्यक्तित्व का स्मरण कर सकेंगे। इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल रूप से देखने-पढ़ने को मिलेगा कि हमारे आचार्यों ने किस तरह से चारित्र जिया, यह संदेश इसमें रहेगा। इससे परंपरा हमारी जीवित रहेगी और हमारी आने वाली पीढ़ी में वो संस्कार आएँगे।
यह इतिहास का बहुत बड़ा और नया काम होने जा रहा है। विलुप्त होती मुनि परंपरा को आचार्य शांतिसागर जी महाराज ने पुर्नउद्धार किया था जिससे आज के समय में दिगंबर जैन साधुओं के दर्शन सुलभ हो रहे हैं। उनकी परंपरा को आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज निर्विघ्न रूप से वर्षों से आगे बढ़ा रहे हैं।
पंडित हसमुख जी ने कहा कि सनावद का बालक यशवंत का उदित जीवन सनावद की इन्हीं गली- मुहल्लों और चौराहों पर बीता है। प्रतिदिन संध्याकालीन आरती में सनावद का नाम आता ही है। शायद यह कल्पना भी नहीं थी कि यह उदीयमान नक्षत्र बालक यशवंत पूरे विश्व का सितारा होगा।
यह अतिशय ही है कि आचार्य श्री कितनी बार मूर्छित हुए हैं। लेकिन जितनी बार भी वे मूर्छित हुए, देव लोगों ने उनकी रक्षा की,क्योंकि परंपरा जीवित रहना चाहिए। देवों के द्वारा संरक्षित आचार्य वर्धमान सागर, देव आत्मा है।
सन्मति काका ने बताया कि वात्सल्य वारिधि फाउंडेशन एवं सकल दिगंबर जैन समाज सनावद के आयोजन अवसर पर आचार्य श्री के चातुर्मासी संघ महावीर जी (राज.) से आमंत्रित त्यागी वृंद ब्रह्मचारी गज्जू भय्या, ब्र.नमन भय्या, ब्र.पूनम दीदी, ब्र. दीप्ती दीदी तथा किशनगढ़ राज.के गुरु भक्त संजय पापड़ीवाल, सुशीला देवी पाटनी का सम्मान भी किया गया।
त्यागी वृंद समूह ने आचार्य श्री की और से दिए मंगल आर्शीवचन संदेश को आम जन तक पहुंचाया। इंजीनियर एवं आर्किटेक्ट आशिष जैन धार की परिकल्पना को आने वाले दिनों में साकार रूप दिया जाएगा।
कार्यक्रम में निमाड़ सहित मालवा के धर्मालुजनों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन प्रशांत मोनू जैन ने किया और समाज अध्यक्ष मनोज जैन ने आभार व्यक्त किया।