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त्याग तभी सम्भव है जब मन मकम हो: आचार्य कीर्तियश सूरिजी: देवांशी बनी साध्वी द्दिगांत प्रज्ञाश्रीजी


सारांश

नौ वर्षीय बालिका को आचार्य भगवंत श्री कीर्ति यश सूरिजी महाराजा ने जैसे ही दीक्षा के लिए ओगा अर्पण किया तो देवांशी संघवी झूम उठी और परमात्मा के समक्ष नृत्य करने लगी तो पंडाल में उपस्थित हजारों लोगों ने दीक्षार्थी अमर रहो के जयकारों के साथ उसको दिल से आर्शीवाद देते हुए उसके संयम मार्ग की सफलता की कामना कर रहे थे । पढ़िए विस्तार से… सूरत से हमारे सहयोगी सिरोही निवासी महावीर जैन की रिपोर्ट


देवांशी दीक्षा विधि के बाद जब साध्वी वेश में पंडाल में आई तो उसको चतुर्विद संघ ने उसको अक्षत से वधामणा किया तो पंडाल विरति धर्म व संयम धर्म की जय हो के शंखनाद से गूंज उठा । देवांशी की छोटी बहन ने भी उसका वधामणा कर बहन को संयम मार्ग के लिए रवाना किया तो पंडाल में एक ऐसा मार्मिक दृश्य बना और सभी की आँखे भर आईं । नूतन साध्वी जी की गुरुमाता साध्वी श्री प्रस्मिताश्रीजी होगी । ओगा देने की विनती के पूर्व उसके दादा मोहनभाई व पिता धनेश संघवी ने देवांशी को सांसारिक जीवन मे अंतिम बार लाड़ लड़ाया व खुशी के बहते अश्रुओं से उसके संयम मार्ग की उज्जवलता का आशीर्वाद दिया ।

दीक्षा विधि के दौरान हित शिक्षा देते हुए आचार्यश्री ने कहा कि आज संसार मे जो दूषित वातावरण है उस वातावरण में देवांशी के दीक्षा लेने का जो फैसला लिया है वो बहुत ही अदभुत व लैंडमार्क है और यह सब इस कारण सम्भव हुआ क्योकि देवांशी ने अपने मन को मकम रखा और इतनी कम उम्र में उसने जैन धर्म व उनके शास्त्रो को बारीकी से समझा । उन्होंने कहा कि देवांशी के परिवारजनों ने जिस तरह उसे संस्कार व सीख दी उससे वो अपने फैसले पर अडिग रह सकी और आज वो दिन आ गया जिसको उसने सझोया था ।

जीवन में त्याग एक ट्रनिंग पॉइंट है

आचार्य श्री ने कहा कि 9 वर्ष की बालिका देवांशी ने पांचों इंद्रियों पर नियंत्रण कर यह बता दिया है कि व्यक्ति हर चीज व परिस्थितियों को कंट्रोल कर सकता है यदि उसमे त्याग की भावना मजबूत हो । उन्होंने बाल्यकाल में दीक्षा लेने वाली देवांशी की समझ व त्याग भाव से हर व्यक्ति के जीवन मे परिवर्तन सम्भव है ।

गुजरात के मुख्यमंत्री ने भेजा आशीर्वाद सन्देश
बालिका देवांशी के दीक्षा ग्रहण करने के फैसले को अद्वितीय बताते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने शुभकामना सन्देश भेजा और कहा कि देवांशी ने बाल्यकाल में दीक्षा लेकर गुजरात को गौरान्वित किया उसके लिए उन्होंने देवांशी व उसके परिजनों का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह परिवार के संस्कारो के कारण ही सम्भव होता है ।

देवांशी को संयम मार्ग पर जाने का विदाई तिलक

देवांशी को संयम मार्ग पर जाने का विदाई तिलक का लाभ कालन्द्री राजस्थान के संघवी हीराचंद जी फूलचंद जी परिवार ने ,कांबली वोहराने का खाखरवाड़ा के अमृतभाई शाह ने,पोथी वोहराने का संघवी भेरमल हकमाजी बाफना,भेरू तारक धाम परिवार,नवकारवली माला अर्पण का संघवी श्रीमती बबिता बेन ताराचंद जी व श्रीमती चंद्रा बेन ललित भाई ने,पातरा का लाभ संघवी समरथमल जी परिवार दांतराई,तरपनी का भुआ उषा कमलेश भाई व उर्मिला जयेश भाई शाह,आसन का कल्याण मित्र हिमांशु राजा परिवार मुम्बई, नूतन साध्वी के नामकरण का लाभ अजबानी परिवार ,धानेरा ,कपड़ा अर्पण का संघवी लीलचंद हुक्मीचंद जी परिवार,साडा वोहराने का अशोक भाई शंकरलाल जी,अशोक भाई जवेरचंद जी व संघवी वक्तावरमल जी ने,डांडा का रोहिड़ा निवासी मातुश्री गवरी बाई चुन्नीलाल जी,डण्डासन का वर्षा बेन मेहता धानेरा,संथारा का मातुश्री टीना बेन दिनेश भाई जोगाणी खीमत,उत्तरपट्टा का जया बेन शांतिलाल जी,चवरली का के पी संघवी परिवार,मालगाव,सुपडी व पुंजरी का मुथा रघुनाथ मल वनाजी परिवार ,निम्बज ने लिया और गुरुपूजन का लाभ संघवी समय बेन प्रकाश भाई शाह दांतराई ने लिया ।

कार्यक्रम में गणमान्य लोग रहे उपस्थित
दीक्षा समारोह में पावापुरी ट्रस्ट के चेयरमैन किशोर भाई संघवी, जीरावल्ला ट्रस्ट के चेयरमैन रमण भाई मुथा, सहित अनेक जैन संघों व धार्मिक ट्रूस्टो के ट्रस्टीगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे । दीक्षा में पधारने के लिए आमंत्रण देने वाले आयोजक संघवी भेरमल हकमाजी परिवार के मोहनलाल संघवी व ललित भाई संघवी ने इस आयोजन को अपना आयोजन समझकर पधारने वालो के प्रति आभार व धन्यवाद देते हुए कहा कि इस बाल दीक्षा को देश की एक ऐतिहासिक दीक्षा बनाने के लिए वे सभी के सहयोग व सहकार ओरआचार्य भगवन्तों व गुरुदेवो के उपकार को जीवन मे कभी भूल नही पाएंगे ।

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