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तीन दिवसीय नूतन जिनबिम्ब विराजमान समारोह अतिशय क्षेत्र तिजारा में विराजमान हुईं रजत प्रतिमाएं

नई दिल्ली (समीर जैन)। प्रशममूर्ति आचार्य श्री 108 शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) परंपरा के प्रमुख संत परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज का राजस्थान की पुण्यधरा पर प्रथम बार श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र देहरा तिजारा (अलवर) में विशाल शोभयात्रा के साथ भव्य मंगल प्रवेश हुआ। इस अवसर पर समस्त समाज ने आचार्य श्री का स्वागत किया। आचार्य श्री के परम पावन सान्निध्य में यहां श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन प्राचीन मन्दिर में त्रिदिवसीय नूतन जिनबिम्ब विराजमान समारोह का आयोजन व्यापक धर्मप्रभावना के साथ संपन्न हुआ।

समस्त मांगलिक क्रियाएं पं. संतोष जैन शास्त्री (टीकमगढ़) के विधानाचार्यत्व में विधि-विधान पूर्वक आयोजित की गयी। कार्यक्रम का शुभारम्भ बीते 9 दिसम्बर को घटयात्रा से हुआ, जो श्री पार्श्वनाथ जिनालय से प्रारम्भ होकर नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए देहरा जैन मंदिर पहुंची तथा पुनः श्री पार्श्वनाथ जिनालय पर आकर समाप्त हुई। तत्पश्चात अशोक जैन (गुरुग्राम) द्वारा ध्वजारोहण किया गया। श्रद्धालुओं ने विश्वशांति की कामना करते हुए जाप्यानुष्ठान में सम्मिलित होकर पुण्यार्जन किया।

इसके बाद 10 दिसम्बर को भक्तों ने श्री याग मंडल विधान के माध्यम से श्री जिनेन्द्र प्रभु की अर्चना की। अंतिम दिन 11 दिसम्बर को शुद्ध चांदी से निर्मित नव-प्रतिष्ठित जिनबिंबों की अभिषेक व शांतिधारा के साथ शुद्धिक्रिया संपन्न हुई। तत्पश्चात समस्त नगर में स्वर्ण व रजत रथयात्रा निकाली गयी, जिसमें जबरदस्त जोश व उत्साह देखने को मिला। विशाल रथयात्रा श्री पार्श्वनाथ जिनालय से प्रारम्भ हुई तथा नगर के मुख्य मार्गों, प्रमुख बाजार, देहरा जैन मन्दिर से होते हुए पुनः श्री पार्श्वनाथ जिनालय पहुंची, जहां सभी ने मंगल आरती कर नव-प्रतिष्ठित जिनबिंबों का स्वागत किया।

रथयात्रा में बैंड-बाजे, नफ़ीरी-ताशा, राजस्थानी ढोल, स्कूली बच्चे, जैन ध्वज, विश्वशान्ति प्रेरक सूक्तियां तथा हजारों की संख्या में महिला, पुरुष व बच्चे नाचते-झूमते हुए चल रहे थे। मार्ग में जगह-जगह तोरण द्वार, रंगोली, स्वागत पट्टिकाएं आदि सुशोभित थीं। पूज्य आचार्य श्री ने विधि-विधान पूर्वक नव-प्रतिष्ठित श्री पार्श्वनाथ भगवान व श्री महावीर भगवन की रजत प्रतिमाओं को वेदी पर विराजमान करवाया। प्रतिदिन सायंकालीन गुरुभक्ति, शास्त्र प्रवचन व मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुए।

धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जिनेन्द्र प्रभु का सान्निध्य सम्यग्दर्शन की भूमिका बनाने में सहायक होता है। तिजारा में स्थित 200 वर्ष प्राचीन श्री पार्श्वनाथ जिनालय अत्यंत मनोरम व दर्शनीय है। जिनदर्शन से निजदर्शन की यात्रा को शुरू कर हमें भी आत्मकल्याण की ओर अग्रसर होना चाहिए। अध्यक्ष राकेश जैन ने पूज्य आचार्य श्री के चरणों में समस्त तिजारा जैन समाज की ओर से शीतकालीन प्रवास के लिए निवेदन किया। कार्यक्रम में तिजारा सहित अलवर, टपूकड़ा, भिवाड़ी, धारूहेड़ा, रेवाड़ी, नारनौल, गुरुग्राम तथा दिल्ली एनसीआर आदि विभिन्न क्षेत्रों से हजारों धर्मानुरागी बंधुओं ने सम्मिलित होकर धर्मलाभ प्राप्त किया।

 

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