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पंथवाद, संतवाद को छोड़कर, साधुता का आनंद ले: मुनिश्री आदित्य सागरजी से श्रीफल जैन न्यूज की विशेष बातचीत


मुनिश्री आदित्य सागरजी का शनिवार को समवशरण मंदिर इंदौर में मंगल प्रवेश हुआ। मंगल अगवानी के लिए दिगम्बर जैन समाज के धर्मावलंबी उनकी अगवानी में उमड़े। मुनिश्री से श्रीफल जैन न्यूज़ की संपादक रेखा संजय जैन ने उनसे विविध पक्षों पर बातचीत की। पढ़िए यह विशेष खबर इंदौर से… 


इंदौर। आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के शिष्य मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ भोपाल से पद विहार करते हुए इंदौर पधारे। साउथ तुकोगंज में समवशरण मंदिर में उनसे श्रीफल जैन न्यूज़ की संपादक रेखा संजय जैन ने बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यहां गुरुदेव विशुद्ध सागर जी महाराज के पट्टाचार्य पदारोहण समारोह के रूप में श्रमणों का महाकुंभ होने जा रहा है। इस भव्यतम समारोह में 400 से 500 साधु-संतों, मुनियों, आर्यिकाओं के अलावा लाखों लोग इसके साक्षी बनेंगे। इस अवसर पर पंचकल्याणक के साथ ही ग्रंथों का विमोचन भी होने जा रहा है।

उन्होंने बताया कि यह 100वां पंच कल्याणक है लेकिन इसमें 55 पंचकल्याणक गुरुदेव आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सानिध्य में हुए, जिसमें में शामिल था और मेरा स्वतंत्र रूप से यह अंजलि नगर इंदौर का 45वां पंचकल्याणक होने जा रहा है। मुनिश्री ने बताया कि भगवान बनने तक भगवान बनाने का जितना अवसर मिले उसे करना चाहिए। इसकी अनुभूति परम आनंददायक है।

यूथ को धर्म से जोड़ने पर सब ठीक हो जाएगा

एक सवाल के जबाव में मुनि श्री आदित्यसागर जी ने कहा कि आज के समय में धर्म को व्यवसाय बना लिया है। लोग मंदिर जाते हैं। वरदान मांगने के लिए। जैसे भगवान के पास वरदान का डिब्बा है, बटन दबाया और वरदान मिल जाएगा, एटीएम की तरह। स्वयं अपने पक्ष में न हो। ये सब चलता रहेगा। इंसान इंसानियत भूल चुका है। हम यूथ को टारगेट करते हैं। यूथ को धर्म से जोड़ने पर सब ठीक हो जाएगा।

भाव यह होना चाहिए कि मुझे घर संभालना है

मुनिश्री आदित्य सागर जी मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं जब उनसे पूछा गया कि इन दिनों 10वीं और 12 वीं की परीक्षा चल रही हैं। परीक्षार्थियों के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे। मुनिश्री ने कहा यह सोचना चाहिए कि करियर से अधिक लाइफ है। जीवन अनमोल है। इसलिए परीक्षा का स्ट्रेस न लें। डिग्री उतनी महत्वपूर्ण नहीं है, जितना महत्वपूर्ण नॉलेज है। डिग्री नहीं नॉलेज होना चाहिए। डिग्री होल्डर ज्ञानी नहीं है। इसलिए डिग्री का लोड नहीं लेना चाहिए। भाव यह होना चाहिए कि मुझे घर संभालना है। आजकल लोग नौकरी पर जाकर गुलाम होते जा रहे हैं।

चर्चित मंत्र का भी किया जिक्र

मुनिश्री आदित्यसागर जी ने कहा कि आजकल किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता। एक प्रसंग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब हम किसी से कोई बात करते हैं तो वह दूसरों को बता देता है। ऐसा हमारे साथ भी हुआ। इसलिए हमने यह मंत्र दिया कि ओम इग्नोराय नमः, घोर इग्नोराय नमः, घनघोर इग्नोराय नमः । इसका यह मतलब हुआ कि जो हमारे काम की बातें हैं। उन्हें आत्मसात करें। बाकी बेकार की बातें इग्नोर कर दें।

 यह तो गुरु का प्रसाद है

अपने मुनि बनने के बारे में भी उन्होंने बताया कि हमारे पास हायर एज्युकेशन भी है। बिजनेस भी अच्छा था। पूजा, अभिषेक तो करते ही थे। गुरुदेव का संयोग मिला। जबलपुर में जब उनका आशीर्वाद मिला और उन्होंने जब सिर पर हाथ रखा तो शरीर में बिजली कौंध गई। उन्होंने बताया कि 25 वर्ष की उम्र में दीक्षा ली। गुरु के साथ हो जाते हैं तो सब सुधर जाता है। यह तो गुरु का प्रसाद है।

इंदौर जैन समाज को भी दिया संदेश

मुनिश्री आदित्य सागर जी ने इंदौर जैन समाज को संदेश देते हुए कहा कि यहां हर वर्ष 4-5 चातुर्मास होते हैं। यहां के लोग सौभाग्यशाली हैं। उन्होंने कहा कि पंथ वाद, संतवाद को छोड़कर यहां साधुता का आनंद लेना चाहिए। साधुता का आनंद इंदौर वालों के लिए सुलभ है। अपने बच्चों को आचार्यश्री से जोड़कर रखें। यह उन्हें संस्कारवान बनाएगा।

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