राजस्थान के सबसे बड़े भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ की मूर्ति का सागर से रविवार को नौगामा के लिए विहार हुआ। शनि ग्रह अरिष्ट निवारक भगवान मुनिसुव्रतनाथ का भव्य मंदिर धर्म नगरी नौगामा में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद, निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव सुधासागरजी महाराज के सानिध्य और प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया सुयश अशोक नगर के दिशा-निर्देशन में बनने जा रहा है। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…
नौगामा। राजस्थान के सबसे बड़े भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ की मूर्ति का सागर से रविवार को नौगामा के लिए विहार हुआ। शनि ग्रह अरिष्ट निवारक भगवान मुनिसुव्रतनाथ का भव्य मंदिर धर्म नगरी नौगामा में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद, निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव सुधासागरजी महाराज के सानिध्य और प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया सुयश अशोक नगर के दिशा-निर्देशन में बनने जा रहा है। वास्तुविद श्रीपाल जैन और प्रवक्ता सुरेश गांधी ने बताया कि सागर में मूर्ति का प्रथम तिलकदान करने का सौभाग्य मूर्ति पूण्यार्जक परिवार प्रदीप पिण्डारमिया के परिवार की वर्षा पिण्डारमिया को मिला।
सागर के भाग्योदय तीर्थ पर सुखोदय भगवान का तिलकदान हुआ, और नौगामा जैन समाज के घर-घर में दीप जलाए गए। मुनि श्री ने कहा कि राजस्थान के सबसे बड़े मुनिसुव्रतनाथ भगवान की वागड़ ही नहीं, पूरे भारत के भगवान की आज सगाई का दस्तूर है। जब मूर्ति सुखोदय तीर्थ पर पहुंच जाए, तो सभी एक-एक नारियल ले जाकर बधाई दें और नारियल का पानी मूर्ति पर डालें। यह शगुन का श्रीफल है, जिसे अपने बच्चों के लिए घर ले जाएं। मुनि श्री ने कहा कि पहली बार वागड के सबसे बड़े भगवान का आगमन हो रहा है, इसलिए खाली हाथ मुंह दिखाई न करें, बल्कि कुछ न कुछ शगुन के रूप में चढ़ाएं।
सागर से मूर्ति पहुंचेगी नौगामा
उन्होंने नौगामा जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल से कहा कि सागर से नौगामा मूर्ति पहुंचेगी, तब तक मार्ग में जितने भी नगर आते हैं, वहां श्रद्धालुओं को तीलकदान करने का अवसर दें। मूर्ति सुखोदय तीर्थ के कमलासन पर बैठेगी और तब तीलकदान होता रहेगा। मुनि श्री ने यह भी बताया कि काले पाषाण की विशाल मूर्ति, जो अभी प्रतिष्ठित नहीं हुई है, उसमें बहुत ऊर्जा है। जैसे ही यह प्रतिमा नौगामा पहुंचेगी, संपूर्ण वागड में खुशहाली होगी। नौगामा वासियों ने दीपदान किया। नगर के 51 नवयुवक मंडल सदस्यों ने नवयुवक मंडल अध्यक्ष मुकेश गांधी के सानिध्य में दीपदान किया। मूर्ति के आसपास श्रीफल फोड़कर उसका शुद्ध जल प्रतिमा पर डाला गया।
पुज्य सुधासागरजी महाराज और उपस्थित सभी संघ ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया। आशीर्वाद के पश्चात भगवान श्री के जयकारों के साथ प्रतिमा का मंगल विहार नौगामा नगर की ओर हुआ। प्रवक्ता ने बताया कि 25 टन वजनी यह मूर्ति काले पाषाण की बनी हुई है, जिसकी चौड़ाई 12 फीट, ऊंचाई 15 फीट और गहराई 6 फीट है। यह मूर्ति 22 टन पत्थर से बने कमल के फूल पर विराजमान होगी, जिसका भव्य आगमन 22 को वागड में होगा।
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