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आचार्य श्री को विनयांजलि : वर्तमान के वर्धमान थे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज– देवेंद्र सखबार


अत्यंत कठोर व्रताचरण तथा संपूर्ण वैराग्याचरण करने वाले आचार्य विद्यासागर जी महाराज हम सबके आध्यात्मिक मार्गदर्शन तो थे ही, इसके साथ ही वह राष्ट्र की बड़ी पूंजी थे। इन शब्दों के साथ विधायक देवेंद्र सखबार ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज के प्रति विनयांजलि अर्पित की। इस सभा का आयोजन परेड स्थित जैन मंदिर में किया गया। पढ़िए अजय जैन की रिपोर्ट….


अम्बाह। अत्यंत कठोर व्रताचरण तथा संपूर्ण वैराग्याचरण करने वाले आचार्य विद्यासागर जी महाराज हम सबके आध्यात्मिक मार्गदर्शन तो थे ही, इसके साथ ही वह राष्ट्र की बड़ी पूंजी थे। इन शब्दों के साथ विधायक देवेंद्र सखबार ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज के प्रति विनयांजलि अर्पित की। इस सभा का आयोजन परेड स्थित जैन मंदिर में किया गया। सभा में नगर पालिका अध्यक्ष अंजली जैन विशेष रूप से मौजूद थीं। आयोजन को संबोधित करते हुए विश्रेय श्री माताजी ने कहा कि जल की तरह निर्मल ह्रदय के स्वामी संत शिरोमणी आचार्य विद्यासागर जी एक महान तपस्वी, अहिंसा, करुणा, दया के प्रणेता और प्रखर कवि थे।

हमेशा प्रसन्न चित्त रहकर मुस्कराते रहना उनकी खास पहचान थी। जो भी उनके संपर्क में आता था, वो उनके चुम्बकीय व्यक्तित्व से प्रभावित होकर अपनी ज्ञान पिपासा शांत करने बार- बार उनकी ओर खींचा चला आता था, आचार्य श्री ने अपने सभी अनुयायियों और भक्तों के मन में धर्म और अध्यात्म की ज्योत जला दी थी। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जिनेश जैन ने कहा कि कन्नड़ भाषा में शिक्षण ग्रहण करने के बाद भी आचार्य श्री ने जैन परम्परा अनुसार पैदल भारत भ्रमण के दौरान अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत और बंगला जैसी कई भाषाओं का ज्ञान अर्जित करके उन्हीं विभिन्न भाषाओं में साहित्य रचना का कार्य भी किया था। निरंजना शतक, भावना शतक, परिषह जया शतक, सुनीति शतक और श्रमण शतक सहित उनकी अनेकों रचनाओं का आज भी व्यापक रूप से अध्ययन और सम्मान किया जाता है। उनके द्वारा लिपिबद्ध ‘मूकमाटी’ महाकाव्य सर्वाधिक चर्चित है, जो कई संस्थानों के हिंदी पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम में पढ़ाया जाता है।

कठिन चर्या का करते थे पालन

साहित्यकार महेश जैन विकल ने कहा कि भगवान महावीर के सिद्धांतों पर चलकर प्राणी मात्र के प्रति करुणा से भरे आचार्य श्री विद्यासागर जी ने पशुधन बचाने, गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करने, मांस निर्यात बंद करने आदि गतिविधियों को लेकर अनेक उल्लेखनीय कार्य किए थे। उन्होंने शिक्षा और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके प्रयासों से स्कूलों, अस्पतालों और सामुदायिक केंद्रों की स्थापना हुई, जिससे अनगिनत व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आया और उनका उत्थान हुआ। कई गौशालाएं, स्वाध्याय शालाएं, औषधालय, आदि विद्यासागर महाराज जी की प्रेरणा और आशीर्वाद से स्थापित किए गए है। नरेश जैन गुरु ने कहा कि आचार्यश्री द्वारा पशु मांस निर्यात के विरोध में जनजागरण अभियान भी चलाया गया था तथा अमरकंटक में ‘सर्वोदय तीर्थ’ नाम से एक विकलांग नि:शुल्क सहायता केंद्र अब भी चल रहा है। महेश चंद जैन एमपीईबी एवं विमल जैन राजू ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का ना तो कोई बैंक खाता था और न ही कोई ट्रस्ट था, वह अपने शरीर पर भी कोई वस्त्र नहीं पहनते थे उन्होंने आजीवन चीनी, नमक, चटाई (बिछौना), हरी सब्जी, फल, अंग्रेजी दवाई, दूध, दही, सूखे मेवे, तेल, का त्याग किया था। उनका जीवन यापन सिर्फ सीमित ग्रास और सीमित अंजुली जल, वह भी 24 घण्टे में एक बार लेने से होता था। सभी मौसमों और ऋतुओं में वह सिर्फ तख्ते पर बिना किसी बिछावट और ओढ़ने के किसी साधन के एक करवट में शयन किया करते थे।

आने वाली पीढ़ियां रखेंगी याद

प्रकाश चंद जैन ओपी जैन एवं विजय जैन बैंक वालों ने कहा कि अनासक्त महायोगी, वर्तमान के वर्धमान, परमपूज्य आचार्य श्री ने इस घरती पर अपना समय पूर्ण हुआ जानकर चेतन अवस्था में ही आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन के उपवास का प्रण लिया था और अखंड मौन धारण कर डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में रात्रि 02ः35 बजे समाधि ली। राकेश जैन भंडारी, विमल जैन भंडारी ने कहा कि आचार्य श्री इस युग के महानतम संत थे, जिन्होंने जैनत्व को कहकर नहीं करके दिखाया। ऐसे विश्ववंदनीय जन जन के संत आचार्य श्री के प्राणोत्सर्ग का समाचार सुनकर केवल जैन समुदाय ही नहीं बल्कि सारी दुनिया स्तब्ध रह गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया था कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के अनगिनत भक्त हैं. आने वाली पीढ़ियां उन्हें समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी। आध्यात्मिक जागृति के उनके प्रयासों, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य कार्यों के लिए उन्हें याद रखा जाएगा। कार्यक्रम का आचार्य विद्यासागर महाराज की आरती के साथ समापन किया गया।

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