निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज के प्रवचनों में जैन समाज के श्रावक-श्राविकाओं की अपार मौजूदगी ने धर्म सभा का पूरा लाभ अर्जित किया है। गुरुवार को मुनि श्री सुधासागर जी के प्रवचनों में नियम, संयम, धैर्य, कर्तव्य और धर्म आराधना के संदेश दिए जा रहे हैं। इससे सकल जैन समाज लाभान्वित हो रहा है। कटनी से पढ़िए राजीव सिंघई मोनू और शुभम पृथ्वीपुर की यह खबर…
कटनी। मुनिश्री सुधासागर जी ने गुरुवार को अपने प्रवचनों में मौजूद भक्तजनों से कहा कि सबकुछ हमारे पास है लेकिन, डर लग रहा है कि कहीं यह चला न जाए। हम जिंदा हैं तो हमें जिंदा रहने की खुशी नहीं है। हमें मरने का डर लग रहा है। सब मिला भी तो हम निर्भय नहीं हो पाए, सब पाने के बाद भी हम कंगाल बने रहे। बच्चा घूमने जा रहा है लेकिन, डर है कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। नियम लेने के बाद डर रहता है कि कहीं नियम न टूट जाए। सबसे ज्यादा भय वो व्यक्ति कर रहा है जो सबसे ज्यादा सुखी है। पूज्य समंतभद्र स्वामी ने कहा कि सर्वस्व तुम्हारे पास है लेकिन, सर्व भौमपना तुम्हारे पास नहीं है। हमने जो कुछ भी पाया है, अपने लिए पाया है, हमने कभी जगत की चिंता नहीं की। हमने सबको लूटकर अपने को धनी को बनाया है। सब की तरफ ध्यान न देकर खुद सुखी बनने का प्रयास किया है, आप सुखी नहीं रह पाओगे। या तो तुम एक नियम ले लो-न देना न लेना, मगन रहना। हमें किसी से कुछ लेना नहीं, हम किसी को कुछ देंगे नहीं।
दुनिया में तेरी आत्मा से अच्छी कोई हो ही नहीं सकती
आचार्य समंतभद्र स्वामी ने भगवान की स्तुति करते हुए लिखा कि भगवन जब से आपने दीक्षा ली है, केवलज्ञान, मोक्ष प्राप्त किया, आप जागते ही रहते हैं। सोते ही नहीं, क्या देख रहे हो आप इन आंखों से, इसलिए ये निर्णय समझो कि साधु को दिखता नहीं, सो मत समझना। साधु के देखने की इच्छा नहीं है, सो भी मत समझना, बस इतना सा है कि कुंदकुंद भगवान कहते हैं कि इसके मन मे धारणा बैठ गई है कि दुनिया को क्या देखूं, मेरे से ज्यादा सुंदर दुनिया हो ही नहीं सकती। जब मैं अपनी आत्मा को देखता हूं तो सारा संसार फीका लगता है। तुम दुनिया में खोज रहे हो कि तुमसे अच्छा कौन है? दुनिया में तेरी आत्मा से अच्छी कोई हो ही नहीं सकती। बस यहां से होती है सिद्धि, अब कोई तुम्हें अंधा नहीं कर पाएगा, अब तुम कभी बोर नहीं हो सकते क्योंकि, अपनी आत्मा को देखना है, अपनत्व लाओ, हम पर को देखते है इसलिए थकते हैं। स्व को देखो, एक मां बेटे को देखते हुए नहीं थकती है क्योंकि, वो अपना है। साधु क्यों नहीं थक रहा है क्योंकि, वह अपनी आत्मा को देख रहा है।
ऐसी धारणा बनाओ कि मेरे पास वह सबकुछ है
सारी दुनिया से चोरी बंद हो सकती है बस एक भावना तुम्हें भाना है कि हे भगवन! जगत में हर व्यक्ति के पास इतना हो कि उसे चोरी करने की जरूरत ही न पड़े। जिस पर उसकी नियत जाए वो पहले से उसके पास है और बल्कि उससे अच्छा है। जब सारी दुनिया ऐसी हो जाएगी तो तुम्हे धन पाकर लुटने का डर रहेगा, नहीं क्यों? लूटने वाला कहेगा कि उसके पास क्या है जो मेरे पास नहीं है। जब भी तुम्हारी पर पर दृष्टि जाए तो एक धारणा बना लेना- मेरे पास जो है, उससे ज्यादा दुनिया के पास नहीं है। पर की तरफ दृष्टि जाना बता रहा है कि यह कंगाल है, तुम ऐसी धारणा बनाओ कि मेरे पास वह सबकुछ है, जो दुनिया के पास है, इसलिए मैंने साधना शुरू कर दी है कि न मुझे किसी से लेना है, न किसी को कुछ देना है।
90 प्रतिशत बड़े आदमी और उनके बच्चे दुर्गुणी होते हैं
आप नियम ले लो कि मैं सुख के दिनों में मंदिर नहीं आऊंगा, अमीरी में मैं दान नहीं करूंगा, जो पैसा है, उससे मौज मस्ती करूंगा, ठीक है अभी तेरे पुण्य का उदय है, इसलिए ऐसा कह रहा है लेकिन, जब गरीबी में दुःख के दिन तुम्हारे जिंदगी में आए तो मंदिर नहीं आना। 90 प्रतिशत बड़े आदमी और उनके बच्चे दुर्गुणी होते हैं। जब तुम्हारे जीवन में इतना पुण्य आ जाए, तुम्हारा इतना व्यापार चलें कि तुम्हे मंदिर जाने को, प्रवचन सुनने को समय न मिले तो मैं तुरंत समझ जाता हूं कि इसका पुण्य कह रहा है कि इसको मत बुलाओ, इसको हमें दुर्गति भेजना है। यदि तुम कमजोर हो और दुश्मन से बदला नहीं ले सकते हो तो तुम उसके हो जाओ। हर व्यक्ति चाहता है कि सारी दुनिया अच्छी हो मुझे छोड़ करके। यदि तुम रावण बनकर सीता को चाह रहे हो तो तुम धूल में मिल जाओगे, भस्म हो जाओगे। तुम राम बन जाओ, सीता को तुम्हें खोजना नहीं पड़ेगा, सीता तुम्हारे पास खुद मिल जाएगी। राम बनने की साधना नहीं हो रही और सब सीता चाहते हैं और साधना ये कहती है कि राम बनो, तुम सीता को नहीं चाहोगे, सीता तुम्हें चाहेगी।
…क्योंकि गरीब बनकर भीख तो मांग लेगा
जो-जो व्यक्ति तुम्हारी जिंदगी में आए और वह तुम्हें बीच में छोड़कर मर जाए। समझ लेना यह पूर्व भव का बैरी आया था जो तुम्हें मझधार में छोड़कर चला गया। तुम पति-पत्नी हो और पत्नी बीच में छोड़कर चली गई तो समझना भाई पूर्व की बैरन है। जो तुम्हें दुःख लेकर चल गई कि न तुम इधर के रहे, न उधर के। मां बेटे को भी छोड़कर जा सकती है। इसी तरह धन कहता है कि मैं तुम्हे बर्बाद करके रहूंगा, गरीब बनाकर नहीं, क्योंकि गरीब बनकर भीख तो मांग लेगा। कर्म कहता है मैं अमीर बनाकर मारूँगा, मैं तुझे इतना धन दूंगा कि चोर आकर सारे घर को सुलाएगा और सबकुछ लूट ले जाएगा। वो धन तुम्हारा बैरी बनकर आया था जबकि तुमने उसे अपना माना था क्योंकि, पूर्वभव में तुमने धन का अनादर दुरूपयोग किया था। तुमने धन से इतने पाप किए कि धन कहता है ले, यही धन तेरी मौत का कारण बनेगा।
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