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उपाध्याय विकसंत सागर जी ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश : मुनि संघ ने भक्ति और पुरुषार्थ पर दिया बल


गुरुवार सुबह नगर में एक साथ 14 संतों का आगमन हुआ। उपाध्याय विकसंत सागर महाराज आदि 14 संतों के नगर आगमन से जैन समाज में धार्मिक उल्लास है। श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में दर्शन के बाद धर्म सभा में मुनियों की देशना हुई। रामगंजमंडी से पढ़िए अभिषेक जैन लुहाड़िया की यह खबर…


रामगंजमंडी। गुरुवार सुबह नगर में एक साथ 14 संतों का आगमन हुआ। उपाध्याय विकसंत सागर महाराज आदि 14 संतों के नगर आगमन से जैन समाज में धार्मिक उल्लास है। महाराज श्री संघ ने एसोसिएशन भवन कुदायला से सुबह मंगल विहार किया। मंगल विहार में समाजबंधु एवं युवा महाराज श्री संघ के साथ चले। नगर की सीमा स्थित कमल फिलिंग स्टेशन पेट्रोल पंप पर समाज बंधु एवं कमल कुमार जैन परिवार ने महाराज श्री संघ की मंगल अगवानी और मंगल आरती की। एक साथ 14 संतों के नगर आगमन से सभी समाज बंधु हर्षित थे। जय जयकार करते हुए ‘मुनिवर आज मेरी कुटिया में आए हैं।’ ‘तुमसे लागी लगन’ जैसे भजनों एवं बैंडबाजों के साथ उन्हें शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर लाया गया। जगह-जगह पाद प्रक्षालन एवं मंगल आरती कर अगवानी की गई। श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर पहुंचने पर मंदिर के प्रवेश द्वार पर समाज की ओर से संघ का पाद प्रक्षालन मंगल आरती कर अगवानी की गई।

श्रीफल भेंट कर प्रवास के लिए किया निवेदन

इसके बाद समस्त संघ ने शांतिनाथ भगवान के दर्शन किए। इसके उपरांत धर्मसभा हुई। धर्म सभा में सर्वप्रथम समाज की ओर से संरक्षक अजीत सेठी, अध्यक्ष दिलीप विनायका, उपाध्यक्ष कमल जैन, उपाध्यक्ष चेतन बागड़िया, महामंत्री राजकुमार गंगवाल, मंत्री राजीव बाकलीवाल आदि ने महाराज श्री को श्रीफल भेंटकर महावीर जयंती तक प्रवास के लिए निवेदन किया। संचालन राजकुमार गंगवाल ने किया।

परिग्रह से ममत्व छूटेगा तभी सुख प्राप्त होगा

मंगलाचरण अनिता जैन द्वारा किया गया। मंगल प्रवचन देते हुए सर्वप्रथम मुनि श्री साक्ष्य सागर महाराज ने कहा कि सभी व्यक्ति दुख से दूर होना चाहता है लेकिन, व्यक्ति बाह्य पदार्थ में सुख खोजता है। इसलिए दु:खी होता है। उन्होंने कहा कि समता परिणाम जैसे-जैसे आता जाएगा। बाह्य वस्तु के प्रति भाव कम होता चला जाएगा और शांति की अनुभूति होती चली जाएगी। मां चाहे तो घर को स्वर्ग बना दे चाहे तो नर्क बना दे। चाहे तो कुल की मान मर्यादा को बढ़ा सकती है। बच्चों को धर्म के संस्कार दें। परिग्रह से ममत्व छूटेगा तभी सुख प्राप्त होगा।

पुरुषार्थ धर्म कमाने के लिए करें

इस बेला में पूज्य मुनि श्री समत्व सागर महाराज ने कहा कि व्यक्ति जीव इस जगत में कुछ पाने के लिए जीवन जीने के लिए उत्कृष्ट करने के लिए पुरुषार्थ करता है। महाराज श्री ने कहा कि धर्म पुरुषार्थ कर लिया तो धन अपने आप आ जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को धन कमाना नहीं धर्म कमाना सिखाओ। वर्तमान परिपेक्ष पर महाराज श्री ने कहा कि आज धर्म पुरुषार्थ कम होता जा रहा है। इसीलिए अशांति हो रही है। धन कमाने के लिए जीवन व्यर्थ कर दिया। जिसकी कीमत करना चाहिए। उसकी कीमत नहीं की। हम जैन कुल, मनुष्य कुल को धन कमाने में व्यर्थ गंवा देते हैं। धन नहीं धर्म कमाना चाहिए। पुरुषार्थ धर्म कमाने के लिए करें वही मुक्ति का मार्ग दिखाता है।

जीवन में दिगंबर संत की सेवा करते रहें

धर्म सभा के अंत में उपाध्याय श्री विकसंत सागर महाराज ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि बच्चों को संस्कार दे कि वे मालिक बनकर काम करें ना कि नौकरी करके। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों का जन्मदिन मनाना है तो चौका लगाओ और आहार दो। तभी जन्मदिन मनाना सार्थक होगा। उन्होंने रामगंजमंडी नगर के लिए कहा कि मेरा रामगंजमंडी आने का मन इसलिए हुआ कि यहां के बच्चे अभिषेक पूजन करते हैं एवं जो अभिषेक पूजन नहीं करते हैं। उन्हें घर पर बुलाने के लिए जाते हैं। वह वीडियो देखकर और संस्कार देखकर मुझे अच्छा लगा और मैं रामगंजमंडी आ गया। आप लोगों ने पहले भक्ति की। इसलिए इतने कम पुरुषार्थ में हम मंडी आ गए। जीवन में दिगंबर संत की सेवा करते रहें। और श्रद्धा बनाए रखें हम भी मुनियों को आहार देकर आज मुनि बनकर मंच पर बैठे हैं।

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