आचार्यश्री वसुनंदी महाराज अपने 21 शिष्यों के साथ गांव विरोधा पंचायत मनियां अपनी जन्मस्थली पहुंचे। जहां भव्य सिंह द्वार का निर्माण समाज ने कराया है। जिसका लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर आचार्यश्री का गुणानुवाद किया गया। पढ़िए अंबाह से अजय जैन की यह खबर…
अंबाह। मुरैना से विहार करते हुए आचार्यश्री वसुनंदी महाराज अपने 21 शिष्यों के साथ गांव विरोधा पंचायत मनियां अपनी जन्मस्थली पहुंचे। जहां भव्य सिंह द्वार का निर्माण समाज ने कराया है। जिसका लोकार्पण भूपेंद्र जैन ग्रीनपार्क दिल्ली और पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जिनेश जैन अम्बाह ने किया। इस मौके पर जिनेश जैन ने कहा कि आचार्य वसुनंदी जी महाराज के जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण धर्म समाज और राष्ट्र को समर्पित है। तप और साधना से उन्होंने जैन धर्म और भारतीय संस्कृति को विश्व में विशेष पहचान दिलाई है।नवह केवल संत नहीं हैं बल्कि विद्वान पुरुष हैं, जिन्होंने समाज सुधार के नए विचारों को जन्म दिया है।
भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के जीवंत प्रतीक
जिनेश जैन ने कहा कि यह भव्य सिंह द्वार केवल एक प्रवेश द्वार नहीं हैं बल्कि एक युगद्रष्टा संत की जन्मभूमि का सम्मान है। संतों की जन्मभूमि आम जन के लिए प्रेरणा का माध्यम है। वर्तमान में उनके विचार, उनकी शिक्षाएं और उनके आदर्श समाज के लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। भूपेंद्र जैन ने अपने संबोधन में कहा कि आचार्य वसुनंदी जी महाराज केवल एक जैन संत नहीं हैं, बल्कि वे भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के जीवंत प्रतीक हैं। उनके विचारों से समाज को नई दिशा मिल रही है। उनके द्वारा स्थापित आदर्श समाज को प्रेरित कर रहे हैं। उनकी जन्मभूमि पर बना यह प्रवेश द्वार हमें उनके जन्म स्थान की गरिमा का महत्व दर्शाता है।
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