समाचार

धर्मसभा में दिए प्रवचन : आगे बढ़ता संत और बहता पानी, दोनों ही स्वच्छ रहते हैं- मुनि सुधींद्र सागर


गेंजी में आचार्य सुनील सागर जी के शिष्य मुनि श्री सुधींद्र सागर और क्षुल्लक अकम्प सागर महाराज का चातुर्मास चल रहा है। प्रातः जिनालय में अभिषेक शांति का आयोजन किया गया, जिसमें धताणा निवासी लक्ष्मी लाल, सागवाड़ा प्रवासी प्रकाश, गीता, और सोनल मुंबई प्रवासी शामिल हुए। पढ़िए यह रिपोर्ट…


खैरवाड़ा। गेंजी में आचार्य सुनील सागर जी के शिष्य मुनि श्री सुधींद्र सागर और क्षुल्लक अकम्प सागर महाराज का चातुर्मास चल रहा है। प्रातः जिनालय में अभिषेक शांति का आयोजन किया गया, जिसमें धताणा निवासी लक्ष्मी लाल, सागवाड़ा प्रवासी प्रकाश, गीता, और सोनल मुंबई प्रवासी शामिल हुए। समाजसेवी अनिल जैन ने बताया कि मुनि श्री ने कहा, “एक स्थान से दूसरे स्थान पर आगे बढ़ता संत की छवि स्वच्छ रहती है, जैसे बहता पानी स्वच्छ रहता है।

वहीं, गड्ढे में जमा पानी सड़ांध मारता है। इसी प्रकार, आगे बढ़ता संत की प्रभावना भी अच्छी होती है।” उन्होंने शास्त्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि संत को एक पखवाड़े से अधिक बिना वजह नहीं रुकना चाहिए। चातुर्मास में चार माह एक ही स्थान ठहरने का आदेश है, क्योंकि चौमासे में असंख्य जीव और एक इन्द्रिय घास पनपने से जीव हिंसा से बचने के लिए यह आवश्यक है। सामाजिक स्तंभ धर्म प्रेमी अनिल जैन ने समाज के सभी धर्म प्रेमियों को धर्म की प्रभावना देने का आह्वान किया।

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
0
+1
0
+1
0

You cannot copy content of this page

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें