रविवार को जैन मंदिरों में विशेष अभिषेक पूजन कर विक्रम संवत 2082 की शुरुआत हुई। इस अवसर पर अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर जी महाराज के प्रवचन हुए। सभी श्रावकों ने एक-दूसरों को नवसंवत्सर की शुभकामनाएं दीं। सनावद से पढ़िए सन्मति जैन काका की यह खबर…
सनावद। रविवार को चैत्र सुदी एकम विक्रम संवत 2082 के प्रारंभ में सभी जैन धर्मावलंबियों द्वारा सभी जैन मंदिरों में अभिषेक पूजनकर विक्रम संवत 2082 (हिंदू नववर्ष) का स्वागत किया गया। सन्मति काका ने बताया कि रविवार को सभी श्रद्धालुओं द्वारा नवीन वस्त्र धारण कर प्रातः जल्दी उठकर मंदिरों में विशेष अभिषेक पूजन कर सभी को आपस में जय जिनेंद्र बोल कर हिंदू नववर्ष की बधाई दी गई। इस अवसर पर दिगंबर जैन पार्श्वंनाथ जैन बड़ा मंदिर, सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर, आदिनाथ खंडेवाल मंदिर, श्रीमंदर जिनालय, महावीर जिनालय सहित णमोकार धाम पोदनपुरम में सभी समाजजनों ने दर्शन कर विक्रम संवत 2082 की शुभकामनाएं दी।
परस्पर पर निमित्य होना उपकार
गुड़ीपडवा के अवसर पर नगर में विराजमान मुनिश्री द्वारा संत निलय में रविवार की सभा की शुरुआत भगवान महावीर स्वामी के चित्र समकक्ष ज्ञानचंद भूच, सुनील भूच, मंदा भूच, आभा भूच, रजनी भूच द्वारा दीप प्रज्वलन एवं मुनि श्री को शास्त्र भेंटकर के हुई।इस अवसर पर मुनि श्री पूज्य सागर जी ने कहा कि
अहिंसा के सिद्धांत को याद रखना चाहिए। साथ ही अच्छे कर्मों और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। परस्पर पर निमित्य होना उपकार है। जब धर्म की बात आए तो धर्म का अनुष्ठान आए तो हमें ऐसे निमित्य को नहीं छोड़ना चाहिए।
इसलिए सुंदर निमित्य होना चाहिए
प्रति समय हमें हमारे भाव ऐसे रखना चाहिए। इसलिए प्रति समय भाव ही ऐसे रखने चाहिए। दान के त्याग के संयम के यदि आप धर्म को धारण करोगे तो कोई सी भी निमित्य की क्रिया आप के अंदर पुण्य का कारण बन सकती है, इसलिए सुंदर निमित्य होना चाहिए। रविवार को मुनि श्री को आहार करवाने का सौभाग्य सलितकुमार भाई प्रफुल्ल कुमार कुंदन केमिस्ट परिवार को प्राप्त हुआ। शाम को आनंद की यात्रा एवं मुनिश्री की आरती सभी समाजजनों द्वारा की गई। इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।
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