समयसार प्रशिक्षण शिविर में मुनि श्री द्वारा मिल रहा ज्ञान
ललितपुर.राजीव सिंघई । श्री अभिनन्दनोदय तीर्थ में श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा है कि हर व्यक्ति आकुलता से जीवन जी रहा है। वह पल भर में ही हर कार्य की सफलता चाहता है, मनचाहा कालेज मिला तो पढ़ाई की चिन्ता, पढ़ लिया तो नौकरी की चिन्ता, नौकरी मिली तो शादी की चिन्ता, शादी हो गई तो कुल दीपक की चिन्ता। पूरा जीवन इसी आपाधापी में निकल जाता है।
मन की आकुलताएं विश्राम नहीं लेतीं, इच्छाएं कभी गलती नहीं। शरीर थक जाता है, यौवन बीत जाता है,बुढ़ापा दस्तक देने लगता है और एक दिन अधूरे सपनों के साथ हम इस संसार से विदा हो जाते हैं। महाराजजी ने आगे कहा कि अपने पूर्वजों के जीवन से हम भी कोई सबक नहीं लेते और पुनः हमारा जीवनचक्र भी वैसा ही घूमने लगता है जैसा हमारे पूर्वजों ने जिया और हम भी इस संसार में खो जाते हैं। इच्छाओं की पूर्ति न होने के कारण इंसान थक रहा है, यही जिन्दगी का अपशगुन है। कुछ पाकर आए होते तो खुश नजर आते, पर तुम तो खोकर लौटे हो।
मुनि श्री ने कहा कि आकुलित जीवन में धर्म ही सहारा है। धर्म का मूल सिद्धान्त अभाव में सद्भाव की अनुभूति करना है। पूर्ण की अनुभूति किए बिना आनंद की अनुभूति हो ही नहीं सकती और यह भी सत्य है कि संसार में आज तक कोई पूर्ण हो ही नहीं सका। पूर्ण हुए बिना इच्छाएं भी थकती नहीं हैं गतिमान होकर दौड़ती रहती हैं। अगर पूुर्ण विश्रान्ति चाहते हो तो धर्म की शरण को स्वीकार करो। अभाव में सद्भाव का अनुभव करो।
उन्होंने कहा इच्छाओं के कारण आज हर व्यक्ति बेबस और लाचार नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि गृहस्थी का सबसे बड़ा शगुन है- शाम को घर लौटते समय रोते हुए नहीं, थके हुए नहीं, जिन्दगी से निराश हुए, नई उमंग और उत्साह के साथ लौटो। तुम्हारा प्रसन्न चेहरा देखकर तुम्हारे परिवारी जन भी आनंद से भर जाएं तभी घर में सिद्धियां प्रकट होती हैं और सुख का वातावरण तैयार होता है।
इसके पूर्व प्रातःकाल मूलननायक अभिनंदनाथ भगवान का श्रावकों ने अभिषेक किया। इसके उपरान्त मुनि श्री के मुखारविन्द से शान्तिधारा का पुर्ण्याजन विनोद उमरिया परिवार एवं अनिल कुमार अंकुर जैन मोहन मावा परिवार को मिला। तदुपरान्त श्रावक श्रेष्ठि परिवारों ने आचार्य श्री के चित्र का अनावरण एवं मुनि श्री का पादप्रक्षालन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
शुक्रवार को निर्यापक मुनि श्री सुधासागर महाराज को आहारदान आनंद जैन अमित गारमेंट परिवार एवं मुनि पूज्यसागर महाराज को आहारदान डा. महेन्द्र शशांक जेन थनवारा परिवार को, ऐलक धैर्य सागर के पडगाहन आहारदान महेन्द्र जैन मनोज जैन पंचमनगर परिवार एवं क्षुल्लक गम्भीर सागर को आहारदान अशोककुमार राजेन्द्रकुमार छिपाई परिवार को मिला।