समयसार प्रशिक्षण शिविर में मुनि श्री ने कहा, बुराईयां दूर होने पर स्वयमेव प्रकट होते हैं जीवन में गुण
ललितपुर. राजीव सिंघई। धर्म वंदनीय और अधर्म निन्दनीय है। धर्म वही जो हमें उत्तम पद की प्राप्ति करा दे। दुनिया के जितने भी श्रेष्ठ पद हैं वह सभी धर्मात्मा को प्राप्त हो जाते हैं। मनुष्य के अंदर भगवत्ता को प्रकट करने वाला ही धर्म है बशर्ते श्रद्धा, ज्ञान और आचरण समीचीन होना चाहिए।
उक्त उदगार श्री अभिनन्दनोदय तीर्थ में श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर महाराज ने समयसार प्रशिक्षण शिविर के दौरान व्यक्त करते हुए कहा कि धन कमाना बडी चीज नहीं, धन की सुरक्षा करना बहुत कठिन है। नियम लेना कठिन नहीं, नियम को निभाना कठिन है। जन्म लेना कठिन नहीं, जन्म तो पशु भी लेते हैं पर जन्म के बाद अच्छा जीवन जीना बहुत दुर्लभ है।
मरना कठिन नहीं कुछ पल लगते हैं मरने में, पर अच्छा जीवन जीकर मरना बहुत कठिन है। जिसके मरने पर पड़ोसी भी कह उठें कि बहुत नेक इंसान था। समझ लेना उसने बहुत अच्छा जीवन जिया और जिसके मरने पर पड़ोसी कह उठें कि अच्छा हुआ जल्दी चला गया, समझ लेना उससे जीवन जीने में कोई चूक हुई है।
जीवन जीने का पैमाना हमारे इर्द-गिर्द ही रहता है। अगर हमने अपने आसपास, अपनों के बीच सम्मान पा लिया समझ लेना- तुम अच्छा जीवन जी रहे हो। दुनिया में सम्मान पाना तो बहुत सरल है, पर जिनके साथ तुम्हारा जीवन व्यतीत हो रहा है, उनके दिलों में भी तुमने सम्मान पाया है कि नहीं, यह बहुत बडी बात है।
मुनि श्री ने समझाते हुए बताया कि पाषाण से मूर्ति कैसे बनती है। पाषाण में जो बाधक तत्व है, उसको निकालते जाओ। आकार में जो बाधक बन रहा है उसे हटाते जाओ। जो वेस्टेज है उसको निकालते ही मूर्ति स्वयमेव ही प्रकट हो जाती है। ऐसा ही हमारा जीवन है। इसमें से बुराईयों को निकालते जाओ। एक बुराई के निकलते ही एक गुण प्रकट होता है।
जीवन से जितनी बुराईयां निकलेंगी, अच्छाईयां स्वयमेव ही प्रकट हो जाएगी। और व्यक्ति नर से नारायण और परमात्मा बन जाता है।हमारे अंदर के अनंत गुण जो भरे हुए हैं, उन्हें प्रकट करने वाला चाहिए। सम्यक पुरुषार्थ करने वाला पुरुषार्थी होना चाहिए। यह धर्म की शरण में आए बिना प्रकट नहीं होता है।
इसके पूर्व प्रातःकाल मूलननायक अभिनंदनाथ भगवान का श्रावकों ने अभिषेक किया। इसके उपरान्त मुनि श्री के मुखारविन्द से
शान्तिधारा का पुर्ण्याजन तरुण काला रजनी काला व्यावर हाल मुम्बई, चंदा संदीप सराफ अलंकार ज्वैलर्स परिवार, निर्मलचन्द्र कुम्हैडी परिवार को मिला। तदुपरान्त श्रावक श्रेष्ठि परिवारों ने आचार्य श्री के चित्र का अनावरण एवं मुनि श्री का पादप्रक्षालन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
शनिवार को निर्यापक मुनि श्री सुधासागर महाराज को आहारदान जिनेन्द्र कुमार नईबस्ती परिवार एवं मुनि पूज्यसागर महाराज आहारदान महेन्द्र कुमार मनोज कुमार पंचमनगर परिवार को, ऐलक धैर्य सागर के पडगाहन आहारदान किरण प्रकाश शास्त्री कोटा परिवार एवं क्षुल्लक गम्भीर सागर को आहारदान ब्रह्मचारिणी सुनीता राजीव हिरावल परिवार को मिला।
मुनि श्री द्वारा मिल रहा समयसार ग्रंथ का बोध
प्रातःकाल एवं मध्यान्ह में श्रमण संस्कृति संस्थान द्वारा श्री समयसार प्रशिक्षण शिविर में मुनि सुधासागर महाराज द्वारा छठवें दिन बच्चों को धर्म का मर्म समयसार ग्रंथ की बारीकियों को विस्तार से समझाया। इस दौरान शिविरार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान गुरु मुख से सुनकर शिविरार्थी उत्साहित हैं। शिविर की व्यवस्थाओं को संचालित करने में ब्रह्मचारी मनोज भैया, ब्र. सविता के अतिरिक्त जैन पंचायत अध्यक्ष अनिल जैन अंचल, महामंत्री डा. अक्षय टडैया, मंदिर प्रबंधक राजेन्द्र जैन थनवारा, मोदी पंकज जैन, मीडिया प्रभारी अक्षय अलया, धार्मिक आयोजन संयोजक मनोज जैन बबीना, शिविर प्रभारी पं.आलोक शास्त्री,संजीव जैन ममता स्पोर्ट, जिनेन्द्र जैन डिस्को, सत्येन्द्र गदयाना के साथ महिला मण्डल का सक्रिय योगदान मिल रहा है।