इंदौर (राजेश जैन दद्दू)। जिस सम्मेद शिखर जी की यात्रा करके हम स्वयं को धन्य मानते हैं, वह शाश्वत तीर्थ खतरे में है। जहां से अनंत तीर्थंकर मोक्ष गए हैं और जाएंगे, उसकी रक्षा के लिए अपने परिवार और मित्रों सहित घरों से निकलें और एकजुटता के साथ ज्ञापन देकर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाएं। यदि एक साथ होकर सबका जोर लग गया तो जो तुम चाहते हो, वही होगा।
यह बात मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने सम्मेद शिखर जी को बचाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन के संदर्भ में कही। उन्होंने कहा कि जहां जैनत्व और धर्म की बात आती है तो सबसे पहला मेरा नाम लिखना, मेरे रोम-रोम में, मेरे शरीर में जितना भी खून है, वह जैन धर्म के लिए समर्पित है।
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