चायनीज मांझे से आसमान में उडनेवाले बेजुबान पक्षियों की अकाल मृत्यु हो रही है। इस पर नियंत्रण हेतु जागरुकता अभियानों की महती आवश्यकता है। ललितपुर में इसका बीड़ा उठाया है-करूणा इंटरनेशनल के संरक्षक सेवानिवृत्त प्रवक्ता रमेशचंद्र जैन एवं संयोजक पुष्पेंद्र जैन ने। उन्होंने बच्चों को संदेश देकर कहा कि प्रकृति को खुशहाल बनाने के लिए प्रकृति के अनुरूप चलें। जिससे वसुधा पर चारों ओर खुशहाली हो। उन्होंने बच्चों को संकल्प दिलाया कि चायनीज मांझे से पतंग नहीं उडायेंगे। पढ़िए ललितपुर से राजीव सिंघई की यह पूरी खबर…
ललितपुर। मकर संक्रांति के पर्व पर बच्चों ने संकल्प लिया और कहा कि हम आसमान में पतंग उडाने में चायनीज माझें का प्रयोग नहीं करेंगे। क्योंकि मांझे में कांच लगा होने के कारण आसमान में उडने वाले पक्षियों की बेवजह ही मृत्यु हो जाती है। करूणा इंटरनेशनल द्वारा आयोजित गोष्ठी में बच्चों ने कहा कि बेजुबान पक्षियों को बचाकर हम प्रकृति प्रेमी बनकर प्रकृति संरक्षण में अपना सहयोग दें। हाल ही में उत्तर-प्रदेश के शाहजहांपुर में नौजवान सिपाही की गर्दन चाइनीज मांझे से कट गई और सिपाही की दर्दनाक मौत भी हो गई। आचार्य विद्यासागर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मडावरा में बच्चों को करूणा क्लब प्रभारी शिक्षिका आकांक्षा विश्वकर्मा ने चायनीज मांझे के दुष्परिणाम बताये तो बच्चों ने संकल्प लिया कि चायनीज मांझे से पतंग नहीं उडायेंगे।
बच्चों को संकल्प दिलाया गया
करूणा इंटरनेशनल के संरक्षक सेवानिवृत्त प्रवक्ता रमेशचंद्र जैन एवं संयोजक पुष्पेंद्र जैन ने बच्चों को संदेश देकर कहा कि प्रकृति को खुशहाल बनाने के लिए प्रकृति के अनुरूप चलें। जिससे वसुधा पर चारों ओर खुशहाली हो। उन्होंने बच्चों को संकल्प दिलाया कि चायनीज मांझे से पतंग नहीं उडायेंगे। इस परिप्रेक्ष्य में यहॉ के कुछ बच्चों ने यह संकल्प भी लिया कि वे चायनीज मांझे का उपयोग नहीं करेंगे। साथ ही इस पर अपने विचार भी व्यक्त किये।
चायनीज मांझे से बेजुबान पक्षियों को नुकसान-मान्यता सिंह
मान्यता सिंह का कहना है कि पतंग में लगे चायनीज मांझे से बेजुबान पक्षियों को नुकसान पहुंचता है। मकर संक्रांति यानी मौज- मस्ती और रंगीन पतंगों का त्योहार है। हम पक्षियों को बचाएं चायनीज मांझे से पतंग न उडाएं।
स्वदेशी मांझे से उडायें पतंग-राधिका
राधिका लक्षकार का कहना है कि वर्तमान परिवेश में मकर संक्रांति के पर्व पर पतंग को उडाने में लगाया जाने वाला चाइनीज माझां पक्षियों के लिए बहुत ही खतरनाक है। इस माझें में कांच लगा होने के कारण पक्षी मांझे में फंसकर अपनी जान न्योछावर कर देते हैं। हम याद रखें कि कांच लगे हुए माझें की पतंग जब हम आसमान में उड़ाते हैं तो उससे अनेक पक्षी उस माझें में फस कर मर जाते हैं। स्वदेशी मांझे (धागे) का प्रयोग करें, जिससे पक्षियों को बचाया जा सकता है।
पक्षियों के संरक्षण को आगे आना होगा-रिजवान
छात्र रिजवान का मानना है कि मकर संक्रांति भले ही मौज मस्ती का दिन हो लेकिन आकाश में उड़ने वाले निरीह बेजुबान पक्षियों के लिए यह किसी प्रलय से कम नहीं है। पेड़ों में उलझा माझा साल भर इनको काटता रहता है एक ओर तो हम इन्हें दाना-पानी देकर पुण्य कमाते हैं और दूसरी ओर इनकी मौत का सामान इकट्ठा करते हैं। पक्षियों के संरक्षण के लिए चायनीज मांझे से दूर रहे।
प्रतिवर्ष होती अनहोनी घटनाएं-देवांश जैन
देवांश जैन का कहना है कि चाइनीज माझें में विशेष पदार्थ मिलाया जाता है।जिससे यह मजबूत हो जाता है और सामान्य मांझे को बहुत जल्दी काट देता है। इसी कारण पतंगबाज इसका उपयोग ज्यादा करते हैं। बिजली के तारों पर माझें की खींचतान से तार आपस में टकरा जाते हैं। जिससे बिजली तो गुल हो जाती है। माझें में लोहे का बुरादा होने से करंट लगने का डर भी रहता है। प्रतिवर्ष करंट लगने से सैकड़ों घटनाएं घटती हैं।
स्वदेशी मांझे का करें प्रयोग-मनीष
छात्र मनीष का कहना है कि जीवदया और करुणा जैसी भावनाओं को फैलाने के लिए मैं तो अपने पास-पड़ोस के बच्चों को समझा रहा हूंँ चाइनीज मांझे में बारीक पिसा हुआ कांच लगा रहता है जिससे किसी भी प्राणी के प्राण जा सकते हैं। जीवन अनमोल है हमें मानवता, करुणा, दया और अहिंसा के गुणों के प्रचार-प्रसार के लिए स्वदेशी मांझे का प्रयोग करना चाहिए।चीन के बने मांझे का बहिष्कार करना चाहिए।
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