सारांश
हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित अष्टापद जैन तीर्थ में मुनि सुव्रतनाथ की 151 फीट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा का निर्माण होगा। इसके निर्माण के लिए उपयोगी अष्ट धातु को एकत्रित करने के लिए पुण्यार्जक रथ 23 जनवरी को सनावद पहुंचा। यह रथ देश के विभिन्न शहरों से लेकर गांव में भ्रमण कर रहा है। इस प्रतिमा का नाम ‘स्टेच्यू ऑफ प्यूरिटी’ रखा गया है। प्रतिमा के निर्माण में 35 हजार टन अष्ट धातु का उपयोग होगा। पढ़िए सन्मति जैन काका की विस्तृत रिपोर्ट…
सनावद। देश की पहली बार 151 फीट ऊंची भगवान मुनिसुव्रत नाथ की अष्ट धातु प्रतिमा का निर्माण हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित अष्टापद जैन तीर्थ में होगा। इसके निर्माण के लिए उपयोगी अष्ट धातु को एकत्रित करने के लिए पुण्यार्जक रथ 23 जनवरी को सनावद पहुंचा। यह रथ देश के विभिन्न शहरों से लेकर गांव में भ्रमण कर रहा है। इस प्रतिमा का नाम ‘स्टेच्यू ऑफ प्यूरिटी’ रखा गया है। प्रतिमा के निर्माण में 35 हजार टन अष्ट धातु का उपयोग होगा, जिसके लिए पुण्यार्जक रथ हर शहर और गांव में जाकर धातु इकट्ठा कर रहा है। जिसके माध्यम से अधिकांश जैन समाजजन प्रतिमा के निर्माण में अपने घर में रखे अष्ट धातु को दान कर प्रतिमा निर्माण में सहभागिता प्रदान कर रहे हैं।
इसी सिलसिले में 23 जनवरी को रात 8 बजे यह रथ सनावद पहुंचा। जहां श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के हॉल में सभी समाज जनों की उपस्थिति में रथ के साथ चल रहे ब्रह्मचारी अक्षय भैया व ब्रह्मचारी संजय भैया ने इस मूर्ति की सम्पूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि इसकी शुरुआत 2018 में श्रवणबेलगोला में बाहुबली महामस्तकाभिषेक के दौरान दिगंबर जैन समाज के 32 आचार्य, 4 उपाध्याय, 400 मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक, क्षुल्लिका के पावन सानिध्य में की गई थी। इस रथ व मूर्ति के प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी धर्मचंद शास्त्री, दिल्ली हैं। भारत देश से 10 हजार टन अष्ट धातु इकट्ठा होते ही प्रतिमा की ढलाई का कार्य शुरू किया जाएगा। रथ के माध्यम से सर्वधर्म समाज के नागरिक भी अपनी इच्छा अनुसार दान कर सकते हैं।
मूर्ति की विशेषता
मूर्ति निर्माण में 35 हजार टन धातु लगने की संभावना है। मूर्ति के साथ 181 फुट का परिकर भी बनेगा। मूर्ति की ऊंचाई 151 फुट रहेगी। मूर्ति का निर्माण अति आधुनिक टेक्नोलॉजी से होगा। मूर्ति का निर्माण 10 ताल (10 अलग-अलग भागों) में होगा। इस मूर्ति की नींव 140 फुट की होगी और दस हजार दर्शनार्थी एक जगह बैठ सकेंगे, इसके लिए विशाल स्टेडियम बनेगा। विश्व में प्रथम शनिग्रह कष्ट निवारक अद्वितीय विशालकाय भगवान महामुनि मुनिसुव्रत स्वामी की 151 फुट ऊंची भव्य कलाकृति के साथ अष्ट धातु से निर्मित की जाएगी। इसमें तांबा, पीतल, एल्युमिनियम, जस्ता, जर्मन सिल्वर, सोना-चांदी इत्यादि धातुओं का उपयोग किया जाएगा।
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