अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज और क्षुल्लक अनुश्रमण सागर महाराज के सानिध्य में नेमिनगर जैन कॉलोनी में नौ दिवसीय सिद्धचक्र मंडल विधान का आयोजन किया गया। नवें दिन हवन के साथ विधान की पूर्णाहुति की गई। इस अवसर पर मुनि श्री के प्रवचन भी हुए। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…
इंदौर। अंतर्मुखी मुनिश्री पूज्य सागर महाराज और क्षुल्लक अनुश्रमण सागर महाराज के सानिध्य में नेमिनगर जैन कॉलोनी में नौ दिवसीय सिद्धचक्रमंडल विधान का आयोजन किया गया। नवें दिन हवन के साथ विधान की पूर्णाहुति की गई। 500 मंत्रों के साथ हवन में आहुति इंद्रोें और अनेक श्रावकों द्वारा दी गई। उसके बाद पुण्यावाचन किया गया।
विधान में सभी बैठने वालों को उर्मिला ललित दोषी द्वारा चांदी का एक लौंग और श्रीफल मुनि श्री के आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया गया। हवन के पहले भगवान की शांतिधारा करने का लाभ माणकलाला इंद्रबाला जैन, सरला कासलीवाल को प्राप्त हुआ। मुनि श्री का पाद प्रक्षालन राजेश सरिता जैन द्वारा किया गया। दीप प्रज्वलन रेखा जैन द्वारा किया गया। शास्त्र भेंट महिलाओं द्वारा किया गया। सभा का संचालन समाज के महामंत्री गिरिश पाटोदी ने किया और आभार समाज अध्यक्ष कैलाश लुहाड़िया ने व्यक्त किया।
खुद पर चिंतन करें
इस अवसर पर मुनि श्री ने कहा कि सुख के लिए दूसरों को देखने बजाए अपने आप को देखना प्रारंभ कर दो तो सुखी अपने आप हो जाओगे। ऐसा करने से आप आप दुख में भी सुख का अनुभव करने लग जाएंगे। आत्मा की अनुभूति तभी हो सकती है, जब आप अपने आप को देखा प्रारंभ कर दें। स्वयं क्या कर रहे, क्या करना चाहिए, क्यों करना चाहिए, इन सब पर चिंतन होना चाहिए तभी तुम सुख का अनुभव कर सकते हो।
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