बदलाव की बयार श्रीमहावीरजी महामस्तकाभिषेक

मेरी दुविधा भारी-श्रावकों के लिए सारे इंतजाम और साधुओं को निमंत्रण भी नहीं

मेरी दुविधा भारी-श्रावकों के लिए सारे इंतजाम और साधुओं को निमंत्रण भी नहीं

मैं बड़ी दुविधा में हूं। श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र महावीरजी में महामस्तकाभिषेक आयोजन को लेकर अलग-अलग बातें आ रही हैं। कुछ लोग वहां की खाने-पीने, रहने-बैठने की चर्चा कर रहें तो कुछ लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि 24 साल बाद हो रहे महामस्तकाभिषेक में जयपुर और महावीरजी के आप-पास विराजमान साधुओं को महोत्सव के लिए आमंत्रण क्यों नहीं दिया गया?

कहावत है न कि जिस रंग का चश्मा पहनो हर वस्तु वैसे ही दिखाई देंगी। बस कुछ यहां भी ऐसा ही हो रहा है। धर्म के चश्मे से देख रहे धर्मात्मा को साधुओं की पीड़ा दिखाई दे रही है तो भोग, सुविधा ,धन के चश्मे से देखने वालों को भोजन, बैठने आदि की व्यवस्था दिखाई दे रही है। बस चश्मे का फर्क है। मैं इस दुविधा में हूं कि जब धर्म के कार्य को भोग के साधनों के चश्में से देखा जा रहा है।

मैं एक अखबार की रिपोर्ट पढ़कर और दुविधा में पड़ गया कि श्रावकों की भोजन व्यवस्था हलवाइयों सहित 500 लोग संभाल रहे हैं। जब इतनी व्यवस्था हो सकती है तो क्या जयपुर और महावीरजी के आप पास के 80-90 साधुओं की आहार की व्यवस्था कमेटी नही कर सकती थी? क्या दिगंबर जैन समाज में ऐसे कोई 1000 श्रावक भी नहीं हैं जो इस व्यवस्था को संभाल सकते थे? यह विचारणीय विषय है। क्या सोच रही होगी आयोजन समिति की यह तो पता नहीं पर आम लोगो में चर्चा तो यह है की साधुओं से पैसा तो आएगा नहीं, श्रावकों से पैसा आएगा ऐसे में उनकी व्यवस्था पहले की जाए। अब यह कितना सत्य है यह तो प्रभु ही जाने या आयोजन कमेटी।

मैं सब से अधिक और दुविधा में पड गया जब एक अखबार में खबर पढ़ी कि 1000 धनाढ्य लोग ठहर सकें, उनके लिए आधुनिक सुविधाओं वाला गांव बसाया है। जहां पर ऐसे कॉटेज बने है जो सर्दी में गर्म और गर्मी में ठंडे रहते हैं। तो अब बताइए कि क्या साधुओं के लिए टेंट की व्यवस्था कर उन्हें रुकवाया नहीं जा सकता था? श्रवणबेलगोला में टेंट, कॉटेज में साधुओं को रखा गया तो यहां क्यों नहीं किया जा सकता था?

मैं बड़ी दुविधा में पड़ गया जब चर्चा चल रही थी कि पूरे आयोजन पर 8 -10 परिवार हावी है और उनके आप-पास के लोग ही मुख्य पात्र बनें हैं। क्या पूरे भारतवर्ष में कोई प्रभु महावीर का भक्त नहीं जो इस आयोजन में जुड़ सके या आयोजन कमेटी ने इतने बड़े आयोजन के लिए क्या किसी से कोई सम्पर्क नहीं किया और किया तो क्या श्रावक तैयार नहीं हुए? इन सब का जवाब कहां मिलेगा यह सोच कर भी मैं बड़ी दुविधा में हूं।

लिखते-लिखते जब आज का अखबार पढ़ा तो और दुविधा में पड़ गया कि प्रभावना के लिए आयोजन कमेटी ने 70 हजार बल्ब, 1500 फ्लैश लाइट, 1000 झूमर, 125 फोक्स लाइट और 2 किमी क्षेत्र को 40 वाट के 7 हजार बल्ब और 500 से अधिक एलईडी से रोशन किया गया है। महावीर जी के आसपास आज भी 80-90 साधुओं के पुण्य का उजाला इतना कमजोर रहा गया कि वे वहां नही पहुंच पाए और धन की चमक में धर्म अंधेरे में रह गया।

चलो यह सब छोड़ देते हैं, लेकिन क्या अब भी कमेटी कोई ऐसा निर्णय करेगी की कम से कम आस पास वाले साधुओं को निमंत्रण दिया जाए और वे अभिषेक देख सकें। यदि अभी भी कमेटी इस पर विचार नहीं कर रही है तो मैं यह सोच कर दुविधा में हूं की ऐसी कौन सी शक्ति है जो महावीर के लघुनंदनों को बुलाने से रोक रही है और कमेटी अपने निर्णय पर पुनः विचार करने को तैयार नहीं हैं।

इन दुविधाओं से निकलने का एक रास्ता यही दिखा कि आज (1 दिसंबर) को आयोजन कमेटी से बात कर लूं कि वे क्या कहते हैं। उनका जवाब नही आएगा तो दुविधा बढ़ती जाएगी। देखता हूं क्या होता है। पता नहीं दुविधा से निकल पाऊंगा या नही ?

भगवान महावीर का शिष्य श्रेणिक

 

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श्रीफल जैन न्यूज टीम

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