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संयम के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है परिवार : पहली बार पुत्र, पिता और दादा एक साथ कर रहे चातुर्मास


श्रमण संस्कृति के इतिहास में प्रथम बार धर्मनगरी बड़ौत में एक ही परिवार के तीन पीढ़ी के तीन दिगंबर संत (पुत्र, पिता और दादा) एक साथ चातुर्मास कर रहे हैं। इसको लेकर जैन समाज के श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…


बड़ौत। श्रमण संस्कृति के इतिहास में प्रथम बार धर्मनगरी बड़ौत में एक ही परिवार के तीन पीढ़ी के तीन दिगंबर संत (पुत्र, पिता और दादा) एक साथ चातुर्मास कर रहे हैं। इसको लेकर जैन समाज के श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं। कोलारस शिवपुरी मध्य प्रदेश के मुनि विशुभ्र सागर (सांसारिक नाम सागर जैन) का पूरा परिवार ही आचार्य विमर्श सागर महाराज की चर्या से प्रभावित होकर संयम के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। मुनि विशुभ्र सागर महाराज के नगर कोलारस में वर्ष 2013 में आचार्य विमर्श सागर महाराज तीन दिन के लिए पधारे थे, तभी से पूरे परिवार में संयम के अंकुर फूट गए। गत एक जनवरी 2017 को देवेंद्र नगर मध्य प्रदेश में मुनि विशुभ्र सागर महाराज ने 20 वर्ष की आयु में दीक्षा ली।

उसी दिन उनकी माताजी विजया कुमारी (वर्तमान आर्यिका विनयांत माताजी) ने भी जिन दीक्षा ग्रहण की। मुनि विशुभ्र सागर के पिता अरविंद जैन (मुनि श्री विश्वार्क सागर) ने और मुनि विशुभ्र सागर के दादा शंकर लाल जैन (वर्तमान मुनि विश्वांक सागर) ने 72 वर्ष की आयु में मुनि दीक्षा ग्रहण की। मुनि विशुभ्र सागर महाराज की बहन गुंजन दीदी उम्र 29 वर्ष और रिया दीदी उम्र 25 वर्ष भी वर्तमान में गुरु संघ में ब्रह्मचारिणी दीदी के रूप में हैं और 15 नवम्बर 2024 को वे भी आर्यिका दीक्षा ग्रहण करेंगी। मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि मुनि श्री विशुभ्र सागर, उनके पिता मुनि विश्वार्क सागर, उनके दादा मुनि विश्वांक सागर एक साथ प्रथम बार बड़ौत के श्री अजितनाथ दिगंबर जैन मन्दिर, मंडी बड़ौत में आचार्य विमर्श सागर महाराज के 16 नवम्बर 2017 को जबलपुर में निर्देशन में चातुर्मास कर रहे हैं।

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