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श्री108 प्रसन्न सागर जी मुनिराज का श्रवणबेलगोला में हुआ मंगल प्रवेश: मुनिराज ने 35 दिनों में की 650 किलोमीटर पद यात्रा


परम पूज्य तपस्वी सम्राट आचार्य श्री 108 सन्मति सागर जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त एवं इस सदी के महान संत संत शिरोमणि गुरुवर आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज से सिंह निष्क्रिय व्रत धारण करने वाले परम पूज्य प्रातः स्मरणीय अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज का मंगल साधना स्वर्णभद्र टोंक पर 2022 में समपन्न करने के बाद वहाँ से 2000 किलोमीटर का मंगल विहार कर तपस्वी सम्राट के समाधी स्थल कुंजवन में 2023 का चातुर्मास में धर्म की डंका बजाकर 7 मार्च 2024 को मंगल विहार कर 35 दिन में इस विषम गर्मी में 651 किलोमीटर की पैदल यात्रा श्रवणबेलगोला में भब्य मंगल प्रवेश किया । पढ़िए जैन राज कुमार अजमेरा की रिपोर्ट …… 


इस सदी के सबसे कम उम्र के तपस्वी ,मौन साधक सम्मेद शिखर में पारसनाथ टोंक पर साधना करने वाले एवं परम पूज्य तपस्वी सम्राट आचार्य श्री 108 सन्मति सागर जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त एवं इस सदी के महान संत संत शिरोमणि गुरुवर आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज से सिंह निष्क्रिय व्रत धारण करने वाले परम पूज्य प्रातः स्मरणीय अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज का मंगल साधना स्वर्णभद्र टोंक पर 2022 में समपन्न करने के बाद वहाँ से 2000 किलोमीटर का मंगल विहार कर तपस्वी सम्राट के समाधी स्थल कुंजवन में 2023 का चातुर्मास में धर्म की डंका बजाकर 7 मार्च 2024 को मंगल विहार कर 35 दिन में इस विषम गर्मी में 651 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर आज विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा गोमटेश्वर बाहुबली भगवान का दर्शन किया ओर प्रतिदिन के अपनी तप और सामयिक गोमटेश्वर बाहुबली भगवान के चरणों मे विषम गर्मी में किया।

इस अवसर पर अन्तर्मना ने आज श्रवण बेलगोला के बिघ्नश्री पर्वत पर आज के दिन 1044 वर्ष पूर्व भगवान बाहुबली की प्रतिमा का स्थापना हुवा था जिनका भी दर्शन किया इस अवसर पर

 जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा

अन्तर्मना ने अपनी उवाच में कहा कि जीते जी रिश्तों में आग और मरने के बाद आग, अपने ही लगाते हैं..इसलिए जीते जी जलना छोड़ दो, अन्यथः अपने ही जलायेंगे..!जैसा तुम जीना चाहते हो, वैसा ही सब जीना चाहते हैं।जैसे तुम सुख पाना चाहते हो, वैसे ही सब सुख पाना चाहते हैं।जो तुम अपने लिए और अपने परिवार के लिए चाहते हो, वो तुम सबके लिए चाहो।

यदि आप नहीं चाहते हैं कि कोई मेरा बुरा करे, नुकसान करे, अपमान करे, तो आप भी दूसरों के प्रति ऐसा ना करें, और जो आप अपने प्रति चाहते हैं कि सब मेरे प्रति प्रेम, सम्मान, सुख, शान्ति, आनंद का व्यवहार करे, तो आप भी आज से ऐसा जीना शुरू कर दें।जो आप अपने प्रति चाहते हैं, वैसा दूसरों के प्रति व्यवहार करना शुरू कर दें,,

क्योंकि जो जीने की चाह आपके भीतर छुपी है,, वैसी चाह पड़ोसी के भीतर भी छुपी है।

जो सम्वेदना आपके भीतर है, वैसी सम्वेदना दूसरों के पास भी जीने की है।

दोनों की सम्वेदनाओं का विस्तार एक ही है अच्छे पन से जीने का।

कहने का अर्थ है – मेरे भीतर और आपके भीतर जो चेतना है, वह एक ही चेतना का फैलाव है। जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान. इसके पश्चात सभी मंदिर का दर्शन कर रात्रि विश्राम श्रवणबेलगोला में हुवा।

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