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वात्सल्य रत्नाकार आचार्य श्री 108 विमल सागर जी महाराज का अवतरण दिवस मनाया

भक्तजनों के प्रति वात्सल्य रहता था आचार्य श्री काः मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी

झुमरी तिलैया (कोडरमा)@राजकुमार अजमेरा। स्थानीय पानी की टंकी रोड स्थित जैन मंदिर में वात्सल्य रत्नाकार आचार्य श्री 108 विमल सागर जी महाराज का अवतरण दिवस बड़े ही धूमधाम से झुमरी तिलैया में विराजमान जैन संत मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी गुरुदेव के सान्निध्य में मनाया गया। आचार्य विमल सागर जी की प्रतिमा को झाझंरी निवास से प्रातः भगवान के जयकारे के साथ भक्तजन लाए जिसका अभिषेक और विश्व शांति धारा समाज के अध्यक्ष ललित सेठी, कार्यक्रम के संयोजक सुरेंद्र काला, पदाधिकारी सुरेश झाझंरी, नरेंद्र झाझंरी, कमल सेठी और भक्त जनों ने किया। 108 दीपकों से भव्य आरती और संगीत का कार्यक्रम किया गया। दीप प्रज्ज्वलन समाज के मंत्री ललित सेठी, सह मंत्री राज छाबड़ा, विधान के सह संयोजक दिलीप बाकलीवाल और भारती दीदी ने किया।

जैन संत श्री 108 गुरुदेव विशल्य सागर जी ने आचार्य विमल सागर जी महाराज के जन्म दिवस पर अपनी अमृतवाणी में कहा कि वात्सल्य रत्नाकार आचार्य विमल सागर गुरुदेव महा तपस्वी, शास्त्रों के ज्ञाता और निमित्त ज्ञानी थे। वे हमेशा तप- त्याग- ध्यान में लीन रहकर विश्व शांति मंत्र के जाप करते थे। भक्तजनों के प्रति उनका वात्सल्य हमेशा बना रहता था। पूरे भारतवर्ष से लोग उनके दर्शन और आशीर्वाद के लिए लालायित रहते थे। लोगों की उनके प्रति अगाध आस्था, श्रद्धा और भक्ति थी। सम्मेद शिखर पारसनाथ में उनकी समाधि हुई थी। प्रतिवर्ष पूरे भारतवर्ष से हजारों लोग उनकी समाधि और प्रतिमा का दर्शन करने के लिए आते हैं। लोगों में ऐसी धारणा थी कि उनके दर्शन, आशीर्वाद मात्र से ही उनके सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं। इस मौके पर मनीष सेठी, आनंद पांड्या, मोहित पांड्या, निर्मल छाबड़ा, प्रदीप पाटनी, हनुमान पाटनी, सिद्धांत सेठी, शोभा पाटनी, रितु कासलीवाल, अंजू रावका, कुसुम कासलीवाल आदि सैकड़ों भक्तजन मौजूद थे। यह जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन, राजकुमार अजमेरा ने दी है।

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