आचार्यश्री विद्यासागर के अवतरण दिवस पर गौशाला परिसर में शरद पूर्णिमा पर प्रतिभास्थली भवन का शिलान्यास
ललितपुर.राजीव सिंघईं । श्री दयोदय पशु संरक्षण केन्द्र, गौशाला की प्रतिभास्थली के प्रांगण में निर्यापक मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ने कहा कि आज व्यक्ति सिर्फ अपने या अपनों के फायदे के लिए ही सोचता है, इसलिए वह सिमटता जा रहा है। जितनी छोटी सोच उतना कम लाभ। अपनी सोच को बहुत विशाल और व्यापक बनाना है। जो महापुरुष होते हैं, वह व्यापक सोचते हैं वह पूरे विश्व को अपना परिवार समझते हैं, वह सारी दुनिया के जीवों के सुख में सुखी और दुख में दुखी होते हैं, उनकी भावना, करुणा, दया, प्रेम, क्षमा सब व्यापक हैं। पर आज के स्वार्थी मनुष्य की सोच अपने परिवार तक ही सीमित है। उन्होंने कहा वही महान हैं जिसको सुख देने में आनंद आता है। आज जगत पुण्यहीनों से भरा पड़ा है, स्वार्थी व्यक्ति पुण्यहीन होता है और धर्मात्मा पुण्यशाली।
शरद पूर्णिमा पर आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर महा मुनिराज के अवतरण दिवस पर उनकी महिमा का बखान करते हुए मुनिश्री ने कहा कि मेरे गुरुवर महान हैं। उनकी दुनिया के सभी जीवों के प्रति करुणा और दया को देखता हूं तो रोम- रोम पुलकित हो जाता है। उनकी सोच आकाश से भी ऊंची होती है। मनुष्य की बात तो दूर गाय आदि पशु- पक्षियों के भी दुख देखकर उनका मन रोता है। दुनिया के प्रत्येक जीव के प्रति उनके दिल में करुणा है, सही मायने में वह अहिंसा के पुजारी हैं। उन्होंने कहा कि जीवों के सुख की खातिर उन्होंने अपने आपको मिटा दिया। आज इस धरती पर वह सबसे पुण्यशाली हैं। उन्होेंने निःस्वार्थ प्रेम की परिभाषा बताते हुए कहा कि सच्चे धर्मात्मा का प्रेम गौवत्स के समान होना चाहिए जैसे गाय अपने बछडे़ से निःस्वार्थ प्रेम करती है, गाय का बछडे़ से किंचित मात्र भी स्वार्थ नहीं। बछड़ा बुढ़ापे में भी काम नहीं आता, फिर भी उसका बछडे़ के प्रति प्रेम जगत प्रसिद्ध है।
उसी प्रकार हमारे गुरुवर आचार्य विद्यासागर- उनके न बच्चे, न परिवार। वो तो बाल ब्रह्मचारी हैं फिर भी जगत के लोगों से ऐसी प्रीति कि अपना आत्म उपयोग छोड़कर जगत के जीवों को उठाने का भाव। यह है एक महान व्यक्तित्व की बड़ी सोच। स्वार्थपूर्ण प्रवृत्ति पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि आज भाई ही अपने सगे भाई का दुश्मन हो गया है। एक धर्म, एक गुरु, एक मां से उत्पन्न भाई ही आपस में लड़ रहे हैं। आज साधर्मी को ही नीचे गिराने की प्रतिस्पर्धा चल रही है। धर्म और गुरु के नाम पर लोग अपने अपने अहंकार को पुष्ट कर रहे हैं। उन्होंने जगत के लोगों को चेताते हुए कहा कि धर्म तो बैरभाव मिटाता है, पर आज धर्म के ही नाम पर लोग लड़ रहे हैं। धर्म तो पेड़ की छाया के समान होता है जिसमें बैठकर लोग सुख शान्ति का अनुभव करते हैं ।
प्रतिभास्थली की बहनों के त्याग और समर्पण के बारे में कहा कि सभी बहने बाल ब्रह्मचारिणी हैं। सभी उच्च शिक्षा में पारंगत हैं, होनहार हैं उनका अपना कोई घर परिवार नहीं सिर्फ आचार्य श्री विद्याससागर महाराज के चरणों में समर्पण किया है और अपना जन्मस्थान छोड़कर छोटी- छोटी बेटियों को निःस्वार्थभाव से पढ़ा रही हैं और नारी जगत का उद्धार हो , अपने गुरु की इस महान परिकलपना को साकार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिभास्थली मात्र शिक्षा का केन्द्र ही नहीं, अपितु संस्कारों का महातीर्थ है। प्रतिभास्थली में सारे जगत की बेटियां पढ़ेगीं और शिक्षा के साथ संस्कार भी अपनायेंगी।
रविवार को निर्यापक मुनि श्री सुधासागर महाराज को आहारदान का सौभाग्य विनोद कुमार, देवेन्द्रकुमार कामरा परिवार एवं मुनि पूज्य सागर महाराज को आहारदान प्रतिभास्थली की समस्त बाल ब्रह्मचारी बहनों को प्राप्त हुआ।
प्रतिभास्थली गौशाला परिसर में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के अवतरण दिवस शरद पूर्णिमा के अवसर पर मुनिपुंगव सुधासागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में भव्य भवन का शिलान्यास कार्यक्रम ब्र. प्रदीप भैया सुयश अशोकनगर के संचालन में संपन्न हुआ। शिलान्यासकर्ता विनोद कुमार, देवेन्द्रकुमार, राकेश कुमार,सुनील कुमार,मुकेश कुमार कामरा परिवार के अलावा अनूप जैन कैरू, राजकुमारी टडैया,डा. अक्षय टडैया, डा. मृदुला टडैया के द्वारा शिलान्यास क्रियाएं संपन्न हुईं।
श्रमण संस्कृति स्नातक परिषद के अधिवेशन का समापन
स्नातकों को रजत मेडल से किया सम्मानित
श्री अभिनंदनोदय तीर्थ क्षेत्र पर श्रमण संस्कृति स्नातक परिषद के अधिवेशन का समापन हुआ। अधिष्ठाता पं. डा. जयकुमार शास्त्री, निदेशक पं. शीलचंद शास्त्री, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अरुण शास्त्री ब्यावर, संस्थान के अध्यक्ष एसके जैन, कार्यअध्यक्ष प्रमोद पहाड़िया, मंत्री सुरेश कासलीवाल, कोषाध्यक्ष रिषभ जैन, उत्तम चंद पाटनी, संस्थान के शैलेन्द्र गोधा, संजय पाडया, दर्शन बाकलीवाल, विजय पहाड़िया, अरुण शाह, प्रदीप लुहारिया, विनोद छाबड़ा, यश पहाड़िया, नरेश रावका, श्री कटारिया एवं विनोद छावडा आदि ने अधिवेशन की सफलता के लिए जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल, महामंत्री डा. अक्षय टडैया अधिवेश प्रभारी संजीव जैन ममता स्पोर्ट, जिनेन्द्र डिस्को राजेन्द्र थनवारा, मोदी पंकज जैन सहित
सभी पदाधिकारियों का सुन्दर आयोजन के लिए आभार प्रकट किया। इस मौके पर स्नातक परिषद के अध्यक्ष सौरभ शास्त्री सिवनी, डा. पुलक जैन जबलपुर, राहुल जैन सागानेर, संजीव शास्त्री सांगानेर, अनंत वल्ले कोल्हापुर, डा. आनंद वाराणसी, जितेन्द्र शास्त्री कोटा, जिनेन्द्र जैन मथुरा,विकास जैन सांगानेर, डा. सुनील संचय, मुकेश जैन, आलोक शास्त्री, संजीव शास्त्री, सचिन शास्त्री, डा, वीरेन्द्र जैन, डा. राजेश जैन, आनंद जैन, डा. ज्योतिबाबू उदयपुर, नवनीत जैन मुरैना, सौरभ जैन कोटा, राजेश शास्त्री रेवाड़ी आदि स्नातकों को रजत मेडल से सम्मानित किया गया।