सरकार सम्मेद शिखर जी को पर्यटन से निकाल कर धार्मिक क्षेत्र बनाएं
श्रीफल न्यूज़ संवाददाता – आप लोग विरोध कर रहे हैं, ये क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के विकास को रोकना नहीं है ?
शिखरचंद्र पहाड़िया – कौनसा विकास, जैन समाज का एक धार्मिक स्थल है । जैन परम्पराओं में आध्यात्म, शील,अहिंसा और शांति का महत्व है। हम नहीं चाहते कि अनावश्यक रूप से वहां गतिविधियां बढ़े । वो एक प्राकृतिक धार्मिक स्थान हैं जहां जाकर जैन धर्मावलंबी शांति महसूस करते हैं । ये दशकों से हमारा धार्मिक स्थल रहा है । ये घूमने की जगह नहीं है । देश में हजारों ऐसे स्थान है लेकिन हमारी आस्था के तो बहुत चुनिंदा स्थान हैं, जिसमें सम्मेद शिखर प्रमुख है ।
*श्रीफल न्यूज़ संवाददाता – तो क्या चाहते हैं, क्या होना चाहिए ?
शिखरचंद्र पहाड़िया – हम कुछ भी नहीं चाह रहे । झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल बना दिया । जबकि ये धार्मिक स्थल है । आप समझिए , ये हमारा ह्रदय है, जब तक शरीर में ख़ून है । इसे हम सुरक्षित और धार्मिक रूप से संरक्षित रखेंगे । दारू,मांस,मच्छी को कैसे हम रोक सकते हैं ।
सरकार सभी को लाइसेंस देती है। पर्यटक नगरी होने से ये सब मिलना,बिकना शुरु हो जाएगा । हमारे स्थान की पवित्रता का सवाल है ।
श्रीफल संवाददाता – तो क्या देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा ?
शिखरचंद्र पहाड़िया – आंदोलन तो चल ही रहा है । हम हिंसा में विश्वास नहीं करते इसीलिए ऐसा-वैसा तो कोई नहीं करेगा । लेकिन सरकारों को ये ध्यान रखना चाहिए कि जैन समाज देश का सबसे बड़ा दानदाता है । देश के विकास में भागीदारी निभाता है । हमारे स्थान को सुरक्षित करने के लिए हमारी समिति ने लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला जी से मुलाक़ात कर स्थितियां बताई हैं ।
उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की है । मुझे लगता है कि अब ये फैसला रूक गया है । झारखंड सरकार इसे पर्यटन के बजाए धार्मिक स्थल घोषित करेगी, खासकर सम्मेद शिखर के आस-पास, आप खुद बताइए बाहरी लोग आएंगे । अक्सर पर्यटक स्थलों में युवक-युवतियां घूमते आते हैं,पार्टियां होती हैं। सम्मेद शिखर में ऐसा होता दिखना हमारे लिए महापाप है। हम नहीं होने देंगे, किसी भी कीमत पर नहीं ।
श्रीफल न्यूज़ – सरकारों को क्या कहना चाहेंगे ?
शिखरचंद्र पहाड़िया – हमारी संस्कृति से छेड़खानी न हो । जैन समाज अहिंसक है । अपनी मेहनत और लगन से अपना कारोबार करता है । टैक्स और दान दोनों में हमारा कोई सानी नहीं है । ऐसे में सरकार इस मामले में हमारी अनदेखी नहीं कर सकती । सम्मेद शिखर का फैसला जैन समाज के हक में होगा ,ये लिख लीजिए, हमने बुनियाद रख दी है ।