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ब्रम्हचर्य अंतिम साधना है जीवन की : वासना के चक्र से बाहर निकले बिना परमात्मा के दर्शन नही हो सकते-आचार्य पुलक सागर


ऋषभदेव पर्यूषण पर्व के उपलक्ष में महावीर मंदिर के अनिल वानावत ने बताया कि महावीर चेत्यालय में चतुर्थदशी के अवसर पर मंदिर जी में श्री जी पर शांतिधारा की गई। सचिन जैन की रिपोर्ट 


ऋषभदेव पर्युषण पर्व के उपलक्ष में महावीर मंदिर के अनिल वानावत ने बताया कि महावीर चेत्यालय में चतुर्दशी के अवसर पर मंदिर जी में श्री जी पर शांतिधारा की गई। जिसका लाभ बाबूलाल जी पंचोली परिवार,निर्वाण लड्डू चढ़ाने का लाभ सरला बाई रमन जी वानावत परिवार एवं ध्वजा चढ़ाने का लाभ महेंद्र कुमार जी पंचोली परिवार को मिला। वहीं गुरुकुल में चल रहे शिविर में दिगंबर जैन दशा नरसिंह पूरा समाज के भट्टारक यश कीर्ति गुरुकुल सभागार में अंतिम दिन राजकीय अतिथि गुरुदेव आचार्य पुलक सागर जी महाराज जी के सानिध्य में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म मनाया गया।

गुरुकुल ट्रस्ट के ट्रस्टी सुंदर लाल जी भानावत ने बताया कि इस अवसर पर गुरुदेव को जिनवाणी और शास्त्र भेट राजेश जी गंगवाल परिवार ने किया। इस दौरान गुरुदेव ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि आज उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस है जो कि दशलक्षण पर्व का अंतिम दिन है। जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य की साधना कर लेता है उसके बाद मोक्ष प्राप्त करता है, आज वासुपूज्य भगवान ने निर्वाण प्राप्त किया था।

गुरुदेव ने कहा कि ब्रह्मचर्य अंतिम साधना है जीवन की। वासना के चक्र से बाहर निकले बिना परमात्मा के दर्शन नहीं हो सकते। आदमी सब कुछ छोड़ सकता है वासना एवं इच्छाएं नही छोड़ सकता। गुरुदेव ने कहा कमल भले कीचड़ में खिलता है लेकिन वो जीता हमेशा ऊपर उठ कर। मां बाप से बच्चों का जन्म होता है हर मां बाप सोचते है कि हमारी संतान की मृत्यु गुरु के चरणों में हो जिससे उसका जीवन सार्थक बने। जीवन में ब्रह्म जैसी साधना करें। साधु अपनी शक्ति को योग में और गृहस्थ भोग में लगाता है संत हमेशा साधना और आचरण दिया करते है। जैन संत केवल तन निरवस्त्र नहीं होते बल्कि तन से पहले मन को भी साफ करते है। इस अवसर पर सभी शिविरार्थियो ने उपवास किए, सभी को गुरुदेव ने आशीर्वाद दिया। ट्रस्ट के जय प्रकाश जी सिसपुरिया और शीतल जी भानावत ने बताया कि भगवान आदिनाथ का महा शांतिधारा व 21 रसो से अभिषेक किया गया। साथ ही सचिन गंगावत ने बताया अभिषेक के बाद सभा आरती सभी समाजजन मौजूद रहे।

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