अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज और क्षुल्लक अनुश्रमण सागर महाराज के सानिध्य में नेमिनगर जैन कॉलोनी में नौ दिवसीय सिद्धचक्र मंडल विधान के आठवें दिन सिद्धों की आराधना करते हुए 1024 अर्घ्य मंडल पर समर्पित किए गए। कार्यक्रम में 48 परिवारों ने भक्तामर की विशेष आराधना भी की। इस अवसर पर मुनि श्री के प्रवचन भी हुए। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…
इंदौर। अंतर्मुखी मुनिश्री पूज्य सागर महाराज और क्षुल्लक अनुश्रमण सागर महाराज के सानिध्य में नेमिनगर जैन कॉलोनी में नौ दिवसीय सिद्धचक्रमंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है।
इस अवसर पर आठवें दिन रविवार को धर्म सभा को संबोधित करते हुए अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने कहा कि साधुओं को सेवा जीवन भर करते रहूं, इसी उद्देश्य के साथ आज के 1024 अर्घ्य समर्पित करना।
संसार में साधुओं की सेवा करने से जीवन में पुण्य की मात्रा अधिक बढ़ती है। जितने सिद्ध हुए, वे भी साधुओं की आराधना के फल से ही हुए हैं। जीवन में जब भी आप को लगे कि आप के जीवन में दुख आ रहे तो साधुओं की सेवा अधिक समय देने लग जाना, सब दुख दूर हो जाएंगे।
भक्तामर के 48 मंत्रों से विशेष कलशों से अभिषेक
विधान प्रारंभ होने से पहले आज 48 परिवार द्वारा भक्तामर के अलग-अलग मंत्र बोलते हो 48 कलशों से विशेष अभिषेक किया गया। इसमें प्रथम अभिषेक करने का लाभ प्रमिला प्रियंका अनिमेष जैन को प्राप्त हुआ। शांतिधारा करने का लाभ रविंद्र जैन बंडी को प्राप्त हुआ। मुनि श्री का पादपक्षालन श्रमण चर्या कुटुम्ब परिवार द्वारा किया गया।
शास्त्र भेंट महिलाओं द्वारा किया गया। इसके साथ रविवार को सिद्ध चक्र विधान की आराधना करते हुए मंडल पर 1024 अर्घ्य समर्पित किए।
सभा का संचालन समाज के महामंत्री गिरिश पाटोदी ने किया और आभार समाज अध्यक्ष कैलाश लुहाड़िया ने व्यक्त किया।
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