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श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव: समवशरण में हुई निर्यापक श्रमण मुनि श्री की दिव्य देशना

ललितपुर (अक्षय अलाया)। कस्बा बांसी में आचार्य श्रेष्ठ 108 विद्यासागर महाराज के आशीर्वाद एवं निर्यापक श्रमण मुनि सुधासागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव मेें ज्ञान कल्याणक महोत्सव मनाया गया। प्रातःकाल श्रीजी के अभिषेक, शान्तिधारा के उपरान्त नित्य पूजन हुआ। मुनिराज आदिसागर की आहारचर्या, ज्ञानकल्याणक की आन्तरिक क्रियाएं व निर्यापक श्रमण मुनि श्री सुधासागर महाराज द्वारा सूरिमंत्र दिए गए तथ समवशरण में मुनि श्री की दिव्य देशना हुई।

मुनि श्री सुधासागर महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरु पद पराधीन होता है, साधु को अरिहंत बनना है, भगवान नहीं, भगवान पद भक्त बनाएगा। भगवान जब दीक्षा लेते हैं तो वह गुरु नहीं बनते, वह तपस्वी बनते हैं। गुरु भक्त बनाता है। जब उनके द्वारा किसी पर उपकार करते हैं, तब वह गुरु बनाता है। मुनि श्री ने कहा कि जब हमें बड़ों की इच्छा के विरुद्ध कुछ कार्य की कहते हैं, तब उसे व्यक्ति यदि भार लग रहा है तो वह उसे फलने वाला नहीं।

यदि उसे सौभाग्य मान लिया, तब उसने अपना गुरु बना लिया, तब से गुरु भगवान की वसीयत प्राप्त होगी। इसके पूर्व प्रातःकाल नित्य अभिषेक, शन्तिधारा, पुण्यार्जक परिवार द्वारा की गई और मुनि सुधासागर महाराज का पादप्रक्षालन कर गुरु आशीष ग्रहण किया। प्रतिष्ठाचार्य बालब्रह्मचारी प्रदीप भैया सुयश ने बताया कि आज ज्ञान कल्याणक का वह दिन है, जब मुनिराज आदिसागर ने मुनि दीक्षा के छह माह बाद आहारग्रहण किया। उस समय श्रावक मुनिराज की आहार विधि भी नहीं जानते थे।

छह माह पश्चात राजा श्रेयांस को सपना आया और पूर्वजन्म के जाति स्मरण से उन्हें आहार विधि प्राप्त हुई। महामुनिराज का राजा श्रेयांश संतोष – रानी कठरया बांसी व राजा सोम कैलाशचंद-पुष्पा जैन बांसी ने नवधा भक्ति पूर्वक पड़गाहन किया। इसमें मुनिराज को इक्षुरस का आहार दान दिया। इस मौके पर श्रावकों ने भक्तिपूर्वक आहारदान का पुण्यार्जन कर असीम पुण्य का संचय किया। मध्याह्न में ज्ञानकल्याणक की आन्तरिक क्रियाएं व प्राण प्रतिष्ठा हुई, जिसमें निर्यापक श्रमण मुनि सुधासागर व पूज्य सागर महाराज द्वारा प्रतिमाओं को सूर्यमंत्र दिए गए। प्रतिष्ठा मण्डप में मनोहारी समवशरण की रचना की गई, जहां मुनि सुधासागर महाराज संघस्थ मुनि पूज्यसागर महाराज, एलक धैर्यसागर महाराज, क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज विराजमान हुए। मुनि श्री ने समवशरण से दिव्य ध्वनि देते हुए श्रावकों को सन्मार्ग प्रशस्त किया।

राजा नाभिराय के दरबार में भरत के रूप में सुरेश चंद एवं बाहुबलि के रूप में प्रदीप जैन बंटी बांसी ने मंचन किया। भरत-बाहुबलि युद्ध प्रतिष्ठा मण्डप में कौतूहल पूर्ण रहा, जिसे देख उपस्थित जनसमुदाय भावविभोर हुआ। इसके उपरान्त महाआरती बार रोड से पुण्यार्जक परिवार के यहां से प्रारम्भ हुई, जिसमेें इन्द्र-इन्द्राणी भक्ति में झूमते हुए भव्य शोभायात्रा के साथ अयोध्यापुरी पहुंचे और प्रभु की भक्ति की।

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की व्यवस्थाओं को संयोजित करने में मेला कैप्टन राजकुमार जैन, संजय रसिया, जीवन जैन मिर्चवारा, बंटी जैन बांसी, डॉ. जितेन्द्र जैन, शैलेन्द्र चौबे, सुदामा प्रसाद दुबे, सतीश पस्तोर, बद्री प्रसाद दुबे, जगदीश छीपा, देवेन्द्र गंगेले, संजय बम्हौरी, अंकित खिरिया, अनंत सराफ, अंशुल जैन, अभिषेक जैन, अनंत सराफ, प्रदीप चिगलौआ, शैलेन्द्र जैन पिन्टू, अंशुल पहलवान, अभय जैन, स्वतंत्र जैन, राजीव चौधरी, पंकज जैन सिमरा, सौरभ जैन पीलू, शिक्षक पुष्पेन्द्र जैन आदि का सक्रिय योगदान मिल रहा है।

प्रतिष्ठा महोत्सव में गुरुवार को निकलेगी गजरथ परिक्रमा
प्रतिष्ठा महोत्सव के मीडिया प्रभारी अक्षय अलया के अनुसार गुरुवार अपराह्न एक बजे मुनि श्री सुधासागर महाराज ससंघ के सानिध्य में त्रय गजरथ में विराजित श्रीजी की परिक्रमा प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रमुख पात्रों के साथ इन्द्र-इन्द्राणी करेंगे। इसके बाद श्रीजी का महामस्तकाभिषेक पुण्यार्जक परिवारों द्वारा किया जाएगा। इसके पूर्व प्रातःकाल नित्य अभिषेक, पूजन, प्रभु के मोक्षगमन की मांगलिक क्रियाएं होंगी।

मुनि अभयसागर महाराज ने की नगर के जिनमंदिरों की वंदना
संत शिरोमणि आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महाराज के प्रभावक शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री अभय सागर महाराज ने अपने संघस्थ मुनि प्रभात सागर महाराज, मुनि निरीह सागर महाराज के साथ आज नगर के जिन मंदिरों के दर्शन कर वंदना की। इस दौरान श्रावकों ने मुनि श्री के दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। आज प्रातःकाल मुनि अभयसागर महाराज ने ससंघ जैन अटामंदिर से श्री अभिनंदनोदय तीर्थ क्षेत्रपाल, श्री चंदप्रभु जिनालय डोढाघाट, श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर गांधीनगर, श्री समवशरण पार्श्वनाथ मंदिर, श्री अदिनाथ मंदिर सिविल लाइन, श्री पार्श्वनाथ दि जैन इलाइट मंदिर के दर्शन किए।

इसके पूर्व मुनि श्री ने बाहुबलि नगर दि.जैन मंदिर, श्री पार्श्वनाथ दि. जैन अटामंदिर, श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर, श्री पार्श्वनाथ दि. जैन नया मंदिर के दर्शन किए। मुनि श्री की आहारचर्या अभिनंदनोदय तीर्थ क्षेत्रपाल में हुई, जहां पुण्यार्जकों ने आहारदान कर धर्मलाभ लिया। मुनि श्री का मध्याह्न ललितपुर से राजघाट की ओर विहार हुआ। उनके साथ अनेकों श्रावकों ने पदविहार कर पुण्यलाभ लिया।

सारांश

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