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श्रीफल जैन न्यूज़ की देशव्यापी मुहिम: सम्मेद शिखर पर जैन समाज की शिखर वार्ता, जैन समाज के गणमान्य लोगों से सीधा संवाद

सम्मेद शिखर पर जैन समाज की शिखर वार्ता में बोले लोग
ये हमारा पावन स्थल, इसे सैर सपाटे की जगह कैसे बनने दें ?

“हर धर्म और समाज की आस्थाओं को ठेस न पहुंचे इसका ध्यान रखने की गारंटी हमारा संविधान देता है । लेकिन क्या सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल बनाने के मामले में ऐसा हो रहा है ? श्रीफल जैन न्यूज़ संवाददाता के सवालों का जबाव देते हुए मुंबई से विश्व जैन संगठन के अध्यक्ष श्री संजय जैन इस मुद्दे पर बहुत संवेदनशील दिखे और हर हाल में इस फैसले का विरोध करने की बात करते दिखे ।

श्रीफल जैन न्यूज़ संवाददाता से हुई टेलीफोनिक बात पर संजय जैन ने कहा कि ये जैन समाज की आस्थाओं का अपमान है।”

श्रीफल जैन न्यूज संवाददाता – संजय जी, आप लोग इसका इतना विरोध क्यों कर रहे हैं ?

श्री संजय जैन अध्यक्ष, जैन विश्व संगठन – देखिए ,जैन समाज की आस्था का ही नहीं ये ईको सेन्सेटिव जोन भी है । ऐसे में बिना समाज के लोगों की अनुमति और पर्यावरण की परवाह किए, इसे पर्यटक स्थल घोषित करना समझ से परे है । हम विकास के विरोधी नहीं है । दुनिया जानती है कि देश के विकास में जैन समाज का क्या योगदान रहता है ।

सम्मेद शिखर हमारी आस्थाओं का ये पर्वत है, किसी के लिए भी सैर-सपाटे की जगह कैसे बना सकते हैं । ये देश भर में फैले जैन समाज के लोगों की आस्था और उनकी धार्मिक यात्राओं का अनिवार्य केन्द्र है । जैन समाज के लोग यहां उसी पवित्रता का भाव लेकर आते हैं, जैसे वो संत समागम और जैन मंदिरों में जाते हैं । ऐसे में पर्यटक स्थल के रुप में विकसित करते ही यह क्षेत्र अन्य लोगों के लिए सैर-सपाटे की जगह बन जाएगी ।

विकास के लिए चौड़ी सड़कें बनाने के लिए पर्वतराज को खोदकर सड़कों को चौड़ा किया जाएगा । सभी धर्म व समाज के लोगों की आस्था के केन्द्रों की अपनी गरिमा होती है।

श्रीफल जैन न्यूज़ संवाददाता – झारखंड सरकार बता रही है कि पर्यटक स्थल घोषित करने से यहां व्यापार बढ़ेगा, लोगों को रोजगार मिलेगा । आपको यह पसंद नहीं ?

संजय जैन – ये कहा जा रहा है कि इससे व्यापार बढ़ेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. किन्तु सच्चाई तो यह है कि इससे कई लोगों के रोजगार पर संकट आ जाएगा. तीर्थराज के आस-पास मधुबन तलहटी से तीर्थ यात्रियों को पर्वत के शिखर तक डोली में बैठाकर ले जाने की व्यवस्था हैं । सैंकडों यात्रियों को पर्वत के शिखर तक डोली में ले जाने वालों का रोजगार कैसे कायम रहेगा, जब विकास के नाम पर मोटर गाडियां पर्वतराज में चलने लगेंगी ।

सैंकड़ों स्थानीय आदिवासियों का यह रोजगार है कि पर्वतराज के शिखर तक जैन समाज के श्रद्धालूओं को वे डोली में बिठाकर ले जाते रहे हैं । सबसे बड़ी बात तो यह है कि पर्यटक स्थल घोषित होने के बाद, पवित्र पर्वत के आस-पास बाजारीकरण बढ़ जाएगा. जिससे क्षेत्र की पवित्रता और शांति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. जैन समाज के लोग अपनी अगाध श्रद्धा और आस्था के चलते आते हैं, जबकि अन्य लोगों को इसकी धार्मिक मान्यताएं नहीं पता, वे सिर्फ घूमने यहां आएंगे ।

विकास और पर्यटन के नाम पर क्षेत्र में शराब बिक्री, मुर्गी पालन, मछली पालन के साथ-साथ कई ऐसी गतिविधियां भी शुरु हो जाएंगी. जो जैन समाज की धार्मिक आस्था के अनुरुप नहीं है. जैन समाज पर्वतराज की गरिमा को अक्षुण्ण रखना चाहता है. क्योंकि पर्वत का कण-कण हमारे लिए पूजनीय है.

श्रीफल जैन न्यूज संवाददाता – तो आपने सरकार से क्या बात की है और क्या कोई आश्वासन मिला है ?

संजय जैन – देखिए, जैन समाज अहिंसा का पालन करता है । हमनें केन्द्रीय वन मंत्रालय व झारंखड सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है और गजट नोटिफिकेशन के प्रति अपना क़डा विरोध जताया है । झारखंड सरकार ने इस नोटिफिकेशन को जारी करने की कानूनी प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन नहीं किया और सिर्फ सरकारी बेवसाइट पर ही जारी किया. इसके चलते समाज को अपनी आपत्ति दर्ज करवाने का समय भी नहीं मिल सका । अब झारखंड सरकार ने हमें आश्वासन दिया है कि वह समाज की अपेक्षा के अनुरुप और तीर्थराज की गरिमा के अनुसार नोटिफिकेशन में बदलाव पर विचार करेगी ।

श्रीफल जैन न्यूज़ संवाददाता – कोई गलत कारोबार तो तब होगा न जब कोई उपभोक्ता होगा, अगर उपभोक्ता नहीं मिलेंगे तो कैसे मांस,मदिरा व्यावसाय वहां पनपेगा ?

संजय जैन – इस सवाल पर सैद्धान्तिक रूप से आप ठीक हो सकते हैं लेकिन घर से बाहर निकले हर व्यक्ति की अपनी जीवन शैली होती है । जैन समाज के लोग तो इसकी पवित्रता जानते हैं लेकिन सोचिए उन्हीं की तरह अन्य धर्म के लोग सम्मेद शिखर की मर्यादा और गरिमा का कैसे ध्यान रख पाएंगे । आप खुद बताइए, क्या व्यावहारिक रूप में ऐसा हो पाएगा । आप कानून रोक नहीं पाएंगे लेकिन जैन समाज के लिए तो ऐसे पवित्र स्थान पर अवांछनीय गतिविधियां महापाप है । सरकार कैसे संतुलन साधेगी जैन और अजैन पर्यटकों के बीच !

 

इस विषय पर शिखर चंद्र पहाडिया , मुंबई में तीर्थ क्षेत्र राष्ट्रीय कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि सम्मेद शिखर पर्वतराज हमारी आस्था का प्रतीक है और इसके साथ में किसी भी तरीके का खिलवाड़ समाज स्वीकार नहीं करेगा. इस विषय पर वन मंत्री एवं झारखंड सरकार से विस्तृत चर्चा हो चुकी है और उन्होनें ये वादा किया है कि वे जल्द ही इस विषय में उचित कार्रवाई करेंगे. पहाड़िया ने यह भी कहा कि यदि इस पर समाज की अपेक्षाओं के अनुरुप कार्य नहीं किया गया तो समाज आंदोलन की राह पर पकड़ लेगा.

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