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सम्मेद शिखर में पिच्छिका परिवर्तन समारोह, जयपुर को मिला पिच्छिका प्राप्त करने का सौभाग्य

सम्मेद शिखर में पिच्छिका परिवर्तन समारोह, जयपुर को मिला पिच्छिका प्राप्त करने का सौभाग्य

जयपुर. अभिषेक जैन बिट्टू । जैन तीर्थराज सम्मेद शिखर में विराजमान आचार्य विशद सागर महाराज का पिच्छिका परिवर्तन एवं चातुर्मास निष्ठापन समारोह श्रद्धा-भक्ति के साथ मधुवन में सम्पन्न हुआ। आचार्य संघ में विराजमान परम तपस्वी शिष्य, जयपुर गौरव, दिगम्बर जैन मुनि विशाल सागर महाराज ने समारोह में नवीन पिच्छिका ग्रहण की और पुरानी पिच्छिका श्रेष्ठी भक्त को प्रदान की, इस दौरान मुनि विशाल सागर महाराज को नवीन पिच्छिका भेंट करने का सौभाग्य उनकी मुनि विशम सागर महाराज की गृहस्थ अवस्था की मां को प्राप्त हुआ और महाराज श्री ने अपनी पुरानी पिच्छी जयपुर के मानसरोवर निवासी सुनील जैन बाँसखों को प्रदान की।

अखिल भारतीय पुलक जनचेतना मंच संरक्षक अशोक जैन खेड़ली वालो ने जानकारी देते हुए बताया कि आचार्य विशद सागर महाराज एवं मुनि विशाल सागर महाराज का वर्ष 2022 का चातुर्मास श्री सम्मेद शिखर जैन गौरव तीर्थ पर सम्पन्न हुआ। चातुर्मास प्रारम्भ होने के साथ ही आचार्य श्री के आशीर्वाद से मुनि श्री ने अपना कठोर तप प्रारम्भ कर दिया था। इस दौरान मुनि श्री ने पर्वत पर स्थित 25 कुटों में प्रत्येक कूट की लगातार 1008-1008 परिक्रमा कर वंदना की, इसके साथ ही पहाड़ के बाहर से 3 परिक्रमा लगा वंदना की। अब तक मुनि श्री पहाड़ पर चरणों की 300 वंदना भी पूर्ण कर चुके है। इसके अतिरिक्त मुनि विशाल सागर महाराज ने गौतम गणधर कूट पर लगातार 72 घन्टे खड्गासन आसन धारण कर कठोर काय कलेश तप कर साधना पूरी की।

अशोक जैन ने बताया कि मुनि विशाल सागर महाराज अपनी कठोर तप एवं साधना के लिए जाने जाते है। चातुर्मास के दौरान मुनि श्री ने बीस पंथी कोठी से स्वर्णभद्र कूट की मात्र 75 मिनट में पद वंदना की एवं गौतम गणधर कूट से बीस पंथी कोठी तक मात्र 55 मिनट में पद वंदना सम्पन्न कर अद्भुत साहस का परिचय दिया। यही नही मुनि विशाल सागर महाराज ने चातुर्मास में अष्टान्हिका से कार्तिक अष्टान्हिका तक 100 दिन व्रत-उपवास की साधना भी सम्पन्न की।

आचार्य विशद सागर महाराज, युग के महातपस्वी आचार्य प्रसन्न सागर महाराज एवं आचार्य प्रमुख सागर महाराज के मंगल आशीर्वाद से मुनि विशाल सागर महाराज ने कठोर काय कलेश तप कर चातुर्मास को साधनामयी चातुर्मास बना दिया। ऐसे तपस्वी संत को पिच्छिका भेंट करने का सौभाग्य आचार्य संघ में विराजमान मुनि विशम सागर महाराज की गृहस्थ अवस्था की मां दिल्ली सूरजमल विहार निवासी को सौभाग्य प्राप्त हुआ और पहाड़ की 25 कुटों की हजारों परिक्रमा लगाने में सहायक बनने वाली लाखों मंत्रों से मंत्रित पुरानी पिच्छिका लेने का सौभाग्य जयपुर के मानसरोवर निवासी सुनील जैन बाँसखों परिवार को मधुवन में विराजमान 108 साधु, संतो के सानिध्य में प्राप्त हुआ। इस दौरान देशभर के हजारों श्रद्धालुगण भी उपस्थित रहे।

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