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धरियावद में आर्यिका श्री स्वर्ण मति जी का समाधि मरण: 16 को विमान यात्रा डोला निकाल कर हुआ अग्नि संस्कार 


मुनिश्री पुण्य सागर से दीक्षित शिष्या 75 वर्षीय आर्यिका श्री स्वर्णमति जी का 15 फरवरी को रात्रि 8.30 बजे धरियावद में समस्त संघ सानिध्य में समाधिमरण हो गया। समाधिस्थ आर्यिकाश्री स्वर्णमति जी की डोला विमान यात्रा मुनिश्री पुण्य सागर जी संघ सानिध्य और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में निकाली गई। आर्यिका श्री स्वर्ण मति की पूजन, शांति धारा और पंचामृत अभिषेक गृहस्थ अवस्था के परिजन पुत्र मनीष, सावन, संभव एवं परिवार ने किया। इस अवसर पर सभी उपस्थित जनों ने विनयांजलि प्रस्तुत की। पढ़िए धरियावद से राजेश पंचोलिया की यह खबर…


धरियावद। दिन रात मेरे स्वामी, में भावना यह भावु ।देहांत के समय मे तुमको न भूल जावू। मरण समय गुरु पाद मूल हो व्रत संयम पालू ,पंडित पंडित मरण हो ऐसा अवसर दो। इन सार गर्भित भावनाओं को बिरले ही भव्य जीव अपने जीवन मे चरितार्थ करते हैं। आचार्यश्री अजित सागर जी के शिष्य मुनिश्री पुण्य सागर से दीक्षित शिष्या 75 वर्षीय आर्यिका श्री स्वर्णमति जी का 15 फरवरी को रात्रि 8.30 बजे धरियावद में समस्त संघ सानिध्य में समाधिमरण हो गया। ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी, भरत एवं अध्यक्ष जैन समाज ने बताया कि प्रातः 8 बजे समाधिस्थ आर्यिकाश्री स्वर्णमति जी की डोला विमान यात्रा मुनिश्री पुण्य सागर जी संघ सानिध्य और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में निकाली गई। आर्यिकाश्री के डोले के आगे कमंडल लेकर भूमि शुद्धि का, आर्यिका श्री के डोले को कंधे लगाने का सौभाग्य मनीष आसाम, पायल संभव पहाड़िया मुंबई एवं परिजनों को प्राप्त हुआ। नियत समाधि स्थल परिसर में ,पंडित विशाल के निर्देशन में मंत्रोचार से स्थल शुद्धि की गई।

आर्यिका श्री स्वर्ण मति की पूजन, शांति धारा और पंचामृत अभिषेक गृहस्थ अवस्था के परिजन पुत्र मनीष, सावन, संभव एवं परिवार ने किया। आर्यिका स्वर्ण मति माताजी की समाधि के कारण संघ के सभी साधुओं ने उपवास किया। अग्नि संस्कार के बाद उपस्थित आर्यिका संघ एवं समस्त समाज ने परिक्रमा देकर अपनी विनयाजंलि प्रस्तुत की।

आर्यिकाश्री का सामान्य परिचय  

राजेश पंचोलिया इंदौर ने बताया कि आसाम प्रांत की 75 वर्षीय सुनीता छाबड़ा आसाम ने मुनिश्री पुण्य सागर जी संघ समक्ष दीक्षा के लिए श्रीफल अर्पित कर आपकी सीधे आर्यिका दीक्षा चतुर्थ पट्टाधीश आचार्यश्री अजित सागर जी के शिष्य मुनिश्री पुण्य सागर जी के कर कमलों से सिद्धक्षेत्र सोनागिर में 2 जुलाई 2023 को हुई। आपका नूतन नामकरण आर्यिका श्री स्वर्ण मति जी किया गया।

15 फरवरी को मुनिश्री पुण्य सागर जी एवं संघ के सभी साधुओं से क्षमा याचना कर चारों प्रकार के अन्न जल आदि का आजीवन त्याग कर यम संल्लेखना धारण कर सभी प्रकार के आहार का त्याग किया। मुनिश्री पुण्य सागर जी सहित संघ के साधु संबोधन करते रहें शांत परिणामांे से निराकुलता सहित 15 फरवरी को रात्रि 8.30 बजे उत्कृष्ट समाधिमरण मुनि श्री पुण्य सागर जी संघ सानिध्य में मुनिश्री के श्री मुख से णमोकार मंत्र सुनते हुए हुआ। क्षपकोतमा आर्यिका श्री की विमान डोल यात्रा संत निवास से रवाना होकर समाधि स्थल पहुंची।

धार्मिक विधि विधान पूर्वक अंतिम संस्कार हुए

राजस्थान प्रांत के अनेक नगरों पारसोला, मालपुरा,रीछा,टोडा रायसिंह, धरियावद, नरवाली, मुंगाणा के हजारों गुरुभक्तों ने भाग लिया। समाधिस्थल पर पूर्ण विधि विधान से विमान यात्रा पूर्व नियत स्थल पर ले गए। जहां पर पूर्ण विधि विधान से समाधिस्थ आर्यिका श्रीके धार्मिक संस्कार कर पूजन पंचामृत अभिषेक किए गए। अग्नि संस्कार पूर्व गृहस्थ अवस्था के पुत्र मनीष पायल एवं परिजनों द्वारा किए गए। शोक स्वरूप जैन समाज ने दुकानें बंद रखीं। रात्रि में विनयांजलि सभा में अनेक वक्ताओं ने श्रद्धांजलि दी।

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