समोसरण मंदिर में ज्ञान भावना पर प्रवचन
न्यूज़ सौजन्य- राजेश दद्दू
इंदौर। मानव जीवन का सार केवल ज्ञान ही है। संसार समुद्र से पार होने के लिए अज्ञान की निवृत्ति जरूरी है। इसके लिए प्रयास करें। अज्ञान रूपी ज्ञान, ज्ञान नहीं होता। जब तक अज्ञान है जीवन सार्थक नहीं होगा। सच्चा ज्ञान वही है, जो विपत्ति के समय समता दे, संताप नहीं। उक्त उद्गार आचार्य विशुद्ध सागर जी के शिष्य एवं श्रुत संवेगी मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज के संघस्थ इंदौर नगर गौरव मुनि श्री अप्रमित सागर जी महाराज ने सोमवार को समोसरण मंदिर कंचन बाग में ज्ञान भावना पर प्रवचन देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि किताबी ज्ञान तो सभी को है और ज्ञानी भी बहुत हैं लेकिन यथार्थ ज्ञान नहीं है। अज्ञान की निवृत्ति करना है तो ज्ञान में लीन रहो तभी केवल ज्ञान की प्राप्ति होगी।
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