दोहे भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा हैं, जो संक्षिप्त और सटीक रूप में गहरी बातें कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। दोहे में केवल दो पंक्तियां होती हैं, लेकिन इन पंक्तियों में निहित अर्थ और संदेश अत्यंत गहरे होते हैं। एक दोहा छोटा सा होता है, लेकिन उसमें जीवन की बड़ी-बड़ी बातें समाहित होती हैं। यह संक्षिप्तता के साथ गहरे विचारों को व्यक्त करने का एक अद्भुत तरीका है। दोहों का रहस्य कॉलम की दसवीं कड़ी में पढ़ें मंजू अजमेरा का लेख…
कागा का को धन हरे, कोयले का को दे मित।
हे वचन सुना के, जग अपना कर ले।
इस दोहे का संदेश सर्वकालिक और सार्वभौमिक है। सभी धर्मों में वाणी को तप और साधना के समान महत्वपूर्ण माना गया है। कटु वचन और कठोर व्यवहार हमें ईश्वर से दूर कर देते हैं, जबकि मधुर वाणी और विनम्रता हमें ईश्वर के करीब लाती है। मधुरता और शांति के मार्ग पर चलकर ही धार्मिकता का अनुभव किया जा सकता है। वाणी का संयम धार्मिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग प्रेम, करुणा और मधुर वाणी के माध्यम से ही संभव है। भौतिक वस्तुओं से अधिक मूल्यवान हमारी वाणी है। मीठी वाणी न केवल हमारी आत्मा को शुद्ध करती है, बल्कि समाज में प्रेम और सद्भाव की स्थापना भी करती है। मधुर वाणी से अजनबी भी अपना बनाया जा सकता है। अतः वाणी की मधुरता को सदैव बनाए रखने में ही स्वकल्याण निहित है।
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