पर्युषण पर्व के अंतिम दिन भादौ मास शुक्ल पक्ष चौदस को उत्तम ब्रह्मचर्य वर्त के दिन अनंत चतुर्दशी पर्व बड़ी भक्ति भाव से मनाया गया। आर्यिका सरस्वती माताजी ने बताया कि ब्रह्म अर्थात निज शुद्धात्मा में चरण, रमना ही ब्रह्मचर्य है। पर द्रव्यों से रहित शुद्ध-बुद्ध अपने आत्मा में जो चर्या अर्थात लीनता होती है, उसे ही ब्रह्मचर्य कहते है। व्रतो में श्रेष्ठ इस ब्रह्मचर्य व्रत का जो पालन करते है, वो अतीन्द्रिय आनंद को प्राप्त करते है। पढ़िए सन्मति जैन काका की रिपोर्ट…
सनावद। दस दिवसीय पर्युषण पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर अपनी वाणी से रस पान करवाते हुए आर्यिका सरस्वती माताजी ने बताया कि ब्रह्म अर्थात निज शुद्धात्मा में चरण, रमना ही ब्रह्मचर्य है। पर द्रव्यों से रहित शुद्ध-बुद्ध अपने आत्मा में जो चर्या अर्थात लीनता होती है, उसे ही ब्रह्मचर्य कहते है। व्रतो में श्रेष्ठ इस ब्रह्मचर्य व्रत का जो पालन करते है, वो अतीन्द्रिय आनंद को प्राप्त करते है। यद्धपि निजात्मा में लीनता ही ब्रह्मचर्य है, तथापि जब तक हम अपनी आत्मा को जानेंगे नहीं, मानेंगे नहीं, तब तक उसमें लीनता कैसे संभव है? अपने तन-मन को शुद्ध रखना ही ब्रह्मचर्य है।
अतः ब्रह्मचर्य साक्षात धर्म है। केवल स्पर्श इन्द्रिय ही नही अपितु पांचों इंद्रियों के विषय मे निरोध का नाम ही ब्रह्मचर्य है।सन्मति जैन काका ने बताया कि आज के इस पावन अवसर पर प्रातः पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर जी, संत निलय में पंचामृत अभिषेक आर्यिका माता जी के सानिध्य में किया गया। इस अवसर पर संत निलय में शांति धारा करने का सौभाग्य मनीष कुमार आशीष कुमार, आरिश शिवानी वंशिका चौधरी परिवार,श्रीमती रेखा राकेश खुशी, प्रिंसी जैन परिवार एवम कुणाल दीपाली मुस्कान रोजिल जैन परिवार को प्राप्त हुवा।
एवम बड़ा मंदिर जी बड़ा अभिषेक करने का सौभाग्य डॉ.अक्षता तपन जैन परिवार एवम दोपहर के अभिषेक का शौभाग्य सुधीर कुमार प्रशांत कुमार चौधरी परिवार को मिला ।पश्चात नित्य नियंम पूजन एवम भगवान वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक के अवशर पर लाड़ू चढ़ाया गया एवं विशेष पूजन किया गया एवम दोपहर में आर्यिका माताजी के सानिध्य में जिनवाणी पूजन तृप्ति राहुल स्वास्तिक, मीना सुभाष कुमार जटाले, हेमा सुरेश कुमार मुंशी, सरोज बाई नंदलालजी जैनी, ऋतु राहुल जैन, अंशुमा अभिजीत सराफ रजत कुमार अजीत कुमार जैन बड़ूद परिवारके द्वारा की गई
तत्पश्चात आदिनाथ मंदिर सुपार्श्वनाथ मंदिर एवम पार्श्वनाथ मंदिर जी में आर्यिका माताजी ससंघ के सानिध्य में अभिषेक किया गया व रात्री में संगीतमय आरती भक्ति प्रदीप पंचौलिया, हर्षिल केके, प्रांशुल पंचोलिया, कमल केके ,संगीता पाटोदी, सभ्यता जैन के द्वारा की गई। इसी कड़ी में कल बुध वार को सभी जैन मंआईदिरों में सुबह से मंदिरों के शिखरों पर ध्वजारोहण किया जायेगा।
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