श्रीफल जैन न्यूज की ओर से जैन संतों और साध्वियों की परिचय की श्रृंखला शुरू की जा रही है। जैन धर्म में मुनि बनना एक बहुत साहसिक और वैराग्य पूर्ण कार्य है। हर कोई व्यक्ति मुनि नहीं बन सकता। जैन दर्शन में मुनियों के आचार- विचार और दिनचर्या पर बहुत ही स्पष्ट और सख्त नियम बनाए हैं। श्रीफल जैन न्यूज का उद्देश्य है कि इस श्रृंखला के जरिए पाठक जान सकें कि जैन धर्म जीवन जीने की कला है। यह अध्यात्म और विज्ञान पर आधारित जीवन मार्ग है और इनके बारे में पढ़कर लोग धर्म की राह पर चल सकें। इसी श्रृंखला की पहली कड़ी में आज प्रस्तुत है आर्यिका श्री विज्ञानमति माताजी के बारे में….
आर्यिका श्री105 विज्ञानमती माताजी का परिचय ::-
पूर्वनाम :- लीला
पिता :- श्री बालूलाल जी
माता:- श्रीमती कमला जी
जन्मतिथि व सन :- आश्विन शुक्ला पंचमी, सन् 1963
भीण्डर (उदयपुर-राजस्थान )
लौकिक शिक्षा :- हाईस्कूल
भीण्डर में ही, 18 वर्ष की आयु में सन् 1981 परिणय
गृहत्याग परिणय के 18 माह बाद
प्रतिमाधारण :- अलोध में 5 प्रतिमा,
कुचामन में 9 प्रतिमा के व्रत
दीक्षा ::- 2 फरवरी 1985, कूकनवाली (कुचामनसिटी राजस्थान )
दीक्षागुरु :- परम पूज्य आचार्यकल्प श्री 108 विवेकसागर जी मुनिराज
रुचियां :-स्वाध्याय, तप , त्याग, चिन्तन-मनन, लेखन ,मधुर, गम्भीर पौराणिक शैली में प्रवचन की विशिष्टता
गुरु मां द्वारा दी गई दीक्षाएं :-
आर्यिका श्रीवृषभमती, आदित्यमती, पवित्रमती, गरिमामती, सम्भवमती, वरदमती, शरदमती, चरणमती, करणमती, शरणमती आदि ।
गुरु मां के अभी तक हुए चातुर्मास स्थल की सूची :-
गरोठ (राज.) , मदनगंज किशनगढ़ (राज.) आरोन (म.प्र.), अजमेर (राज.), सिंगोली (म.प्र.), मालवोन (म.प्र.) करमाला (महा.), रामगंज मंडी (म.प्र.) ,शाहपुर (म.प्र.) ,पाण्डिचेरी श्रीरामपुर (महा.) रहली, जि. सागर (म.प.) घुवारा, सागर (म.प्र.) कटंगी (म.प्र.) तेन्दूखेड़ा (म.प्र.), बामौरकलां (म.प्र.), हरदा (म.प्र.) नीमच (म.प्र.), बिजोलिया (राज.) ,रावतभाटा (राज.) किशनगढ़ (राज.) ,केकड़ी (राज.) नसीराबाद (राज.) भीण्डर (राज.) ,घाटोल (राज.) ,नसीराबाद (राज.), आष्टा (मध्य प्रदेश) ,बागीदोरा (राज.) ,श्री नन्दीश्वर द्वीप जिनालय भोपाल (म.प्र.) केसली (म.प्र.) , सम्मेद शिखरजी (झारखंड )
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