सारांश
पारसनाथ पहाड़ी पर इतनी बड़ी संख्या में लोग गए जिसकी उम्मीद शायद जैन समाज को भी नहीं रही होगी। यह चमत्कार की तरह हुआ। पुलिस और प्रशासन की चौकस व्यवस्था में सब कुछ शांति से, सौहार्द से, प्रेम से चलता रहा। यह संख्या इतिहास में दर्ज हो गई। राजेश जैन दद्दू की रिपोर्ट।
इंदौर। जैन समाज के लिए स्वर्णिम दिन रहा। मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में हजारों-हजार की संख्या में जैन समाज के लोगों ने पारसनाथ टोंक पर दर्शन किए। रविवार 15 जनवरी को दर्शन करने वालों के संभवतः पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए। लगभग एक लाख से ज्यादा, (कुछ का दावा तो सवा लाख का भी है) अजैन भाई पहाड़ी पर चढ़े।
शनिवार को भी लगभग 25 से 30,000 लोग पारसनाथ की ओर गए। पुलिस और प्रशासन की चौकस व्यवस्था में सब कुछ शांति से, सौहार्द से, प्रेम से चलता रहा। यह चमत्कार की तरह हुआ। वह हुआ, वह आज तक पहले कभी नहीं हुआ था। शायद जैन समाज को भी इसकी उम्मीद नहीं होगी। एक बात और, किसी ने दुकानों से ऊपर खरीदारी नहीं की, ना डोली ली और ना ही बाइक ली।
मधुबन तलहटी में जैन समाज की सभी संस्थाओं ने बंदोबस्त की सभी कमान सामूहिक रूप से संभाली थी जिनमें पंचायत प्रमुख, सरपंच, उपमुखिया, थाना प्रभारी आदि का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
गुड़ चूड़ा के 60,000 से ज्यादा पैकेट बांटे
यही नहीं, सुबह 11:00 दादा गुरु श्री विमल सागर जी समाधि के पास एक बड़ा स्टाल आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के आशीर्वाद से सबने मिलकर लगाया। 60,000 से ज्यादा गुड़ चूड़ा के पैकेट बांटे गए।
नारों से पावन पर्वत धरा हर्षोन्मत
जैन समाज को चौंकाने वाली सबसे बड़ी बात यह रही कि कोई भी गाने- बजाने का सामान ऊपर लेकर नहीं गया। जिनके पास ये समान था, वह सब ने नीचे ही चेकिंग पोस्ट पर जमा करवा दिए। डाक बंगले से आगे कुछ दूरी पर अधिकांश ने अपने जूते उतार कर, पारसनाथ टोंक पर दर्शन किए।
उनके मुख से जयकारे निकल रहे थे- पारस नाथ बाबा की जय, अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्नसागरजी की जय ,और नमोस्तू शासन जयवत हो के सचमुच नारे पावन पर्वत धरा को हर्षोन्मत कर रहे थे।
आदिवासियों ने भी सम्मान किया पवित्र क्षेत्र का
जैन समाज जो चाहता था, आदिवासी भाइयों ने मिलकर उस बात को पूरा कर दिया और तीर्थराज सम्मेदशिखर जी के पवित्र क्षेत्र का सम्मान किया। यह ऐतिहासिक घटना बन गई।
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