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कहानी, किशनगढ़ के चन्द्रप्रभू दिगंबर जैन मंदिर की...: जब राजा बोले व्यापार करो, सेठ बोले पहले मंदिर बनेगा…जानिए क्या है किस्सा …

 


सारांश
जैन समाज के पूर्वजों ने अपने दौर में ऐसी परंपराएं और धरोहरें कायम की जो आज भी समाज को दिशा दे रही हैं, समाज में संस्कारों का पोषण कर रही हैं । आज हम आपको बता रहे हैं आस्था की ऐसी एक अनसुनी कहानी, जिसमें सवा सौ साल पहले एक राजा ने व्यापार करने आए सेठ को कहा आप व्यापार करो, लेकिन सेठ ने पहले मंदिर बनाने की ठान ली । बात किशनगढ़ की है जहां आज भले ही गली-मोहल्लों तक दुकानें खुल गई हैं लेकिन एक समय ऐसा भी था जब राजा को व्यापारियों को यहां व्यापार के लिए राजी करना होता था । मदनगंज-किशनगढ़ के श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर से भी ऐसी ही एक कथा जुड़ी हुई है । जानिए मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र दगड़ा बता रहे हैं, कुछ अनसुनी बात

स्टोरी – जयति और प्रियंका संजय सेठी


 

वीडियो में सुनिए मंदिर की पूरी कहनी:- 

हुआ यूं कि आज से सवा सौ साल पहले यहां के राजा किशनसिंह ने हरकचंद पाटनी के परिवार को मदनगंज-किशनगढ़ में व्यापार करने के लिए आमंत्रित किया था । लेकिन शहर में मंदिर नहीं होने से उन्होंने यहां आने में असमर्थता जताई । तब महाराज ने कहा कि मंदिर के लिए जितनी भी जमीन की आवश्यकता होगी, वह वे सेठ को देंगे । तब सेठ ने इस मंदिर का निर्माण करवाया ।

हरक चंद जी,शिखर चंद जी पाटनी ने सवा सौ साल पहले जहां मंदिर का निर्माण करवाया वो यहां का पुराना शहर किशनगढ़ है और मदनगंज तब नया बसा था । यह मंदिर मदनगंज से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । आज सवा सौ साल बाद, यह एतिहासिक मंदिर फिर चर्चा में हैं । इसकी वजह है …सफेद संगमरमर से बना अद्भुत नव निर्माण …। वर्ष 2013 के अप्रेल माह में गणिनी आर्यिका 105 श्रीस्यादवादमती माताजी की प्रेरणा और आशीर्वाद से मंदिर में नए निर्माण की परिकल्पना की गई और उन्हीं के करकमलों से सफेद संगमरमर से मंदिर का नव निर्माण कार्य शुरू हुआ ।

 

आज यह मंदिर बनकर तैयार है । मंदिर की भव्यता इतनी है कि दूर-दूर से लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं और मंदिर में अनूठी कलात्मकता और सौंदर्यता को देखने खींचे चले आते हैं । यहां आने वाले लोगों का कहना है कि जैन दिगंबर इतिहास में इतना सुंदर मंदिर अब तक नहीं बना । इसकी सुन्दरता और बनावट, देलवाड़ा के जैन मंदिर को भी कई मामलों में पीछे छोड़ रही है ।

इस तरह पाटनी परिवार ने किया नव-निर्माण


1956 में, इस मंदिर का ट्रस्ट रजिस्टर्ड हुआ । सेठ पाटनी ने ट्रस्ट बनाकर मंदिर की पूरी व्यवस्था ट्रस्ट को सौंप दी । इसके साथ ही ट्रस्ट का अध्यक्ष और मंत्री पाटनी परिवार के ही किसी सदस्य को बनवाने की व्यवस्था कर दी । तब से इस परिवार का कोई सदस्य ही अध्यक्ष या ट्रस्टी बनता है । वर्तमान में इसके अध्यक्ष संदीप पाटनी और उनकी पत्नी इंदू जैन मंत्री है ।

22 से 27 जनवरी के बीच होगा पंचकल्याण पर्व


मंदिर अपने नव स्वरूप में आ चुका है और अब इस बात की प्रतीक्षा है आचार्य मुनि श्री वर्धमान सागर जी का नगर आगमन हो और इस मंदिर में पंचकल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव हो । मार्बल नगरी किशनगढ़ में बना यह मंदिर जैन समाज की परंपरा, वैभव और पवित्रता का अनूठा मेल है ।

इसे देखने आने वाले श्रावकों का कहना है कि उन्होनें इससे सुंदर कोई दूसरा जैन मंदिर नहीं देखा । इस भव्य मंदिर को अब आचार्य मुनि श्री का इंतजार है …जैन श्रावक पलक-पावडें बिछाकर गुरुवर का इंतजार कर रहे हैं । ताकि दुनिया के उत्कृष्ट मंदिरों में से एक इस मंदिर में उनके करकमलों से धार्मिक कार्यक्रम हों ।

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