आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज का 77वं अवतरण दिवस भक्ति भाव के साथ मनाया गया। श्री दिगंबर जैन दोनों मंदिर जी में भगवान का महा अभिषेक के साथ सभी भक्तों के द्वारा किया गया। पढ़िए राज कुमार अजमेरा और नवीन जैन की रिपोर्ट…
झुमरीतिलैया। नौ भाषाओं के ज्ञाता आजीवन मेवे, नमक, घी के त्यागी, पूरे भारत में 51000 किलोमीटर का पैदल विहार करने वाले जैन जगत के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान परम पूज्य संत शिरोमणि गुरुवर आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज का 77वं अवतरण दिवस भक्ति भाव के साथ मनाया गया। श्री दिगंबर जैन दोनों मंदिर जी में भगवान का महा अभिषेक के साथ सभी भक्तों के द्वारा किया गया। संत शिरोमणि गुरुवार आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज और आर्यिका ज्ञानमति माता जी का शरद पूर्णिमा यानी जैन धर्म के अनुसार अमृत पूर्णिमा के दिन का अवतरण दिवस मुनि श्री 108 मुनि सुयशसागर जी महाराज के सानिध्य में मनाया गया। सभी भक्तों के द्वारा आचार्य श्री के चित्र का अनावरण के साथ अष्ट द्रव्यों से पूजन कर श्रीफल चढ़ाया गया।
इनका साथ हमारा सौभाग्य
इस अवसर पर मुनि श्री 108 सुयश सागर जी ने कहा कि भारत भूमि मुनियों, संतों, महात्माओं, आचार्यों की भूमि रही है और सभी की सत्य, अहिंसा, समता, जीयो और जीने दो, वसुधैव कुटुंबकम का भाव जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हम सबका यह परम सौभाग्य है कि इस युग के विश्व विख्यात महान तपस्वी एवं श्रमण संस्कृति के महामहिम संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आज हम सबके बीच साधना रत हैं और उनका आशीर्वाद भी हम सबको सुलभ है। आचार्य श्री का जीवन एक सम्पूर्ण दर्शन है, जिनके आचरण में जीवों के लिए करुणा पलती है, जिनके विचारों में प्राणी मात्र का कल्याण आकर लेता है, जिनकी देशना में जगत अपने सदविकास का मार्ग प्रशस्त करता है। आप निरीह, निस्पृह वीतरागी हैं फिर भी आपके विचार भारतीयता के प्रति अगाध निष्ठा, राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यपरायणता से ओतप्रोत हैं। उन्होंने कहा कि आर्यिका ज्ञानमति माताजी का चिंतन प्राचीन भारतीय हितचिंतकों, दार्शनिकों का अनुकरण करते हुए भी मौलिक हैं।
णमोकार चालीसा का पाठ
कार्यक्रम में समाज के मंत्री जैन ललित सेठी, संयोजक जैन नरेंद्र झांझरी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन जैन लट्टू भैया किया। इसके साथ समाज के सुरेश झांझरी, कैलाश जोशीला, मोहित सोगानी, नीलम सेठी आदि ने भी विचार व्यक्त किए। शाम को मुनि श्री के मुखारविन्द से णमोकार चालीसा का पाठ हुआ। भव्य आरती समाज के सैकड़ों लोगों ने जाप किया।
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