समीपवर्ती राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शाकाहारी एजेंट्स को शाकाहारी सूप के स्थान पर मांसाहारी सूप परोस दिया गया। इस घटना की जानकारी लगते ही होटल में हंगामा बरप गया। होटल प्रबंधन से शिकायत की गई। थाने में रिपोर्ट की गई, लेकिन अभी तक होटल संचालक के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होना चिंताजनक है। जैन समाज को इस ओर जागरूक होकर ऐसे आयोजनों और स्थानों से किनारा करना चाहिए। इंदौर से पढ़िए रेखा संजय जैन की यह खास रिपोर्ट…
इंदौर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में टीटीजे ट्रेवल्स और छत्तीसगढ़ पर्यटन की ओर से शनिवार 8 मार्च को कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें कई एजेंटों को वेज की जगह नॉनवेज सूप दे दिया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में एजेंट उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान शाकाहारी एजेंटों को वेज सूप के स्थान पर नॉनवेज सूप दिए जाने की जानकारी होने पर एजेंटों ने होटल प्रबंधन से शिकायत की। प्रबंधन के रवैए को देखकर एजेंटों ने जमकर हंगामा किया। इसकी लिखित शिकायत तेलीबांधा थाने में की गई, लेकिन पुलिस ने रविवार रात तक कोई एक्शन नहीं लिया। उल्लेखनीय है कि 2015 में लेह से दिल्ली जा रही फ्लाइट में 122 जैन यात्री तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे। उस समय भी उन्होंने अपने भोजन में शाकाहारी भोजन मांगा था, लेकिन उन्हें मांसाहारी भोजन के पैकेट दे दिए गए थे। इसी तरह 25 मार्च 2022 को टोक्यो से दिल्ली आ रहे विमान में जैन धर्म के अनुयायी को शाकाहारी भोजन की जगह मांसाहारी भोजन दे दिया गया था।
ऐसे स्थलों का पुरजोर विरोध हो
इस प्रकार अलग-अलग स्थानों पर घटनाएं कई बार हो चुकी है। इसके अलावा कई होटल, रेस्टारेंट और ढाबों में भी वेजिटेरियन्स को नॉनवेज में इस्तेमाल बर्तनों में ही खाना परोसा जाता है। ऐसी घटनाओं का पुरजोर विरोध होना चाहिए और जैन समाज और शाकाहारियों को नियम करना चाहिए कि वह ऐसी होटलों और स्थानों को अवाइड करें। जहां वेज और नॉनवेज भोजन बनता हो।
अभियान यह हो कि अब शुद्ध शाकाहारी होटल्स पर ही भोजन लें
अगर हम अपने आचरण को ठीक नहीं कर पाए तो आने वाले समय में ऐसा लगता है कि जैन भी दो प्रकार के हो जाएंगे। एक शाकाहारी और दूसरा मांसाहारी। हम इसलिए यह कह रहे कि जहां दोनों प्रकार का भोजन बनता है और वहां पर हम शाकाहारी ही भोजन करें। पर वह मांसाहारी के समान ही है। इसलिए वह मांसाहारी जैन और जहां मात्र वेज बनता वहां खाने वाला जैन शाकाहारी जैन है। अब जैन समाज को एक अभियान चलाना चाहिए कि जहां सौ प्रकार का खाना बनता हो। ऐसे होटल्स, भोजनालय और ढाबों पर भोजन नहीं करेंगे।
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