मुनि श्री 108 विनम्र सागर जी महाराज का 20 व दीक्षा दिवस गुरु उपकार दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर कई धार्मिक कार्यक्रम हुए। बंधा जी में कलश स्थापना के माध्यम से हजारों देश विदेश के लोग अजितनाथ भगवान से जुड़कर पुण्य अर्जन कर रहे हैं। पढ़िए राजीव सिंघाई की रिपोर्ट…
बंधाजी। बुंदेलखंड के हजारों वर्ष प्राचीन अतिशय क्षेत्र बंधा जी में मुनि श्री 108 विनम्र सागर जी महाराज अपने संघ सहित विगत पांच माह से विराजमान हैं। मुनि संघ का पावन वर्षा योग बंधा जी की पावन पुण्य धरा पर धार्मिक क्रियाकलापों के साथ चल रहा है। प्रतिदिन मुनि संघ के सानिध्य में श्री जी का अभिषेक एवं शांति धारा हो रही है। बाहर से सैकड़ों श्रद्धालु बंधा जी आकर पुण्य लाभ ले रहे हैं। विगत 5 माह से बंधा जी में पूर्णमासी कलश की स्थापना हर माह पूर्णमासी के दिन हो रही है। कलश स्थापना के माध्यम से हजारों देश विदेश के लोग अजितनाथ भगवान से जुड़कर पुण्य अर्जन कर रहे हैं। इस महीने 30 अगस्त को पूर्णमासी के दिन रक्षाबंधन पर्व है, उसी दिन पूर्णमासी कलश की स्थापना होगी।
गुरु उपकार दिवस पर हुए कार्यक्रम
मंगलवार को बंधाजी में मुनि श्री 108 विनम्र सागर जी महाराज का 20 व दीक्षा दिवस गुरु उपकार दिवस के रूप में मनाया गया। प्रदीप जैन बम्होरी ने बताया कि प्रातः 5:30 कमेटी एवं समाज के लोगों द्वारा मुनि श्री का पाद प्रक्षालन किया गया। 8:00 बजे से मुनि संघ के सानिध्य में श्रीजी का अभिषेक एवं शांति धारा संपन्न हुई। आचार्य विद्यासागर की पूजन भक्तों द्वारा की गई एवं मुनि श्री को शास्त्र भेंट कमलेश ज्ञान पृथ्वीपुर द्वारा किया गया। मंगलाचरण संगीता बैसाखिया के निर्देशन में सुधा सागर बालिका मंडल, नंदीश्वर कॉलोनी टीकमगढ़ द्वारा किया गया।
प्रत्येक जयकारे के पीछे गुरु
मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि गुरु की कृपा का पत्र बनना हमारे पुण्य के उदय में नहीं होता यहां पर हम और आप बैठे हैं हमने ऐसे अच्छे कर्म नहीं किए, न आपका पुण्य इतना तेज था कि हम यहां बैठकर आज अजितनाथ भगवान की भक्ति करते। यह पूरी की पूरी सृष्टि पर धर्म की ध्वजा को संभालने की जिन आचार्य की जवाबदारी थी, उन्होंने कृपा करके कुछ साधक नहीं दिए होते, साधना का आकार नहीं दिया होता तो बंधा जी में अजितनाथ भगवान की इतनी जय जयकार नहीं होती। मुनि श्री ने कहा कि प्रत्येक जयकारे के पीछे मेरे गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज होते हैं। प्रत्येक भक्त को लाने की प्रेरणा देने वाले भी मेरे गुरुदेव हैं। मैं तो अजितनाथ भगवान की सेवा कई महीनों से गुरुदेव की आज्ञा से कर रहा हूं। गुरुदेव की आज्ञा का पालन करना उनकी आज्ञा को सिर माथे पर बिठाना ही शिष्य का परम कर्तव्य होता है। कमेटी की ओर से निर्देशक अनोज जैन अध्यक्ष कमलेश जैन, राजेंद्र जैन, महेश चौधरी, महेंद्र सिमरा, जीतू जैन, अशोक जैन, मुरली जैन, अजित जैन सहित समाज के अनेक लोग शामिल रहे।
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