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आदिनाथ जयंती पर रखा जाए सार्वजनिक अवकाश - आचार्य सुनील सागर: लिव इन रिलेशनशिप मानसिक रूप से पनपी सामाजिक बुराई


वैशाली नगर में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी पधारे तो आचार्य श्री सुनील सागर महाराज ने कहा की जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं, जिसमें से भगवान महावीर अंतिम व चौबीसवें तीर्थंकर है जबकि प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जिन्हें ऋषभदेव भी कहा जाता है अत: राजस्थान सरकार द्वारा आदिनाथ जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की जानी चाहिए। पढि़ए मनोज जैन नायक की पूरी रिपोर्ट..     


जयपुर। वैशाली नगर में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी पधारे तो आचार्य श्री सुनील सागर महाराज ने कहा की जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं जिसमें से भगवान महावीर अंतिम व चौबीसवें तीर्थंकर है जबकि प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जिन्हें ऋषभदेव भी कहा जाता है। अत: राजस्थान सरकार द्वारा आदिनाथ जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की जाए तो कैबिनेट मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने आश्वस्त किया कि मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा से चर्चा कर इस विषय पर शीघ्र ही कार्रवाई करवाऊंगा।

इस अवसर पर आचार्य ने कहा की संपूर्ण जैन समाज को भगवान आदिनाथ का जन्म कल्याणक व्यापक व बड़े स्तर पर आयोजित करना चाहिए और साथ ही साथ प्रचार प्रसार करके आम जन तक यह बात पहुंचानी चाहिए कि भगवान आदिनाथ जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे। सभी को मिलकर प्रथमेश का जन्म कल्याणक मनाने में पीछे नहीं रहना चाहिए। वैशाली नगर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव भव्यता के साथ पूर्ण हुआ तो आचार्य सुनील सागर ने सभी को चेतावनी देते हुए कहा कि ‘लिव इन रिलेशनशिप’ जैसे रिश्तों की इस समाज में कोई आवश्यकता नहीं है। यह मानसिक रूप से पनपी हुई सामाजिक गंदगी है जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

सभी श्रावकों अपने बच्चों में उचित संस्कार प्रदान करने चाहिए, यह उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति जवानी में हिलहिल कर चलता है और बुढ़ापे में चलने में हिलता है। इसलिए जवानी का घमंड ना करें बुढ़ापा सबको आना है। ठंड और घमंड दोनों में एक समानता होती है दोनो में आदमी अकड़ता है। एक दिन दोनों का ही शमन होता है। संतों के सानिध्य में रहकर जीवन व्यतीत करिए क्योंकि संतो को देखने मात्र से ही संतत्वआता है।

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