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परम पूज्य प्रसन्न सागर जी महाराज के श्री सिंह निष्क्रीङित व्रत का 424 दिन पूर्ण

557 दिन की मौन साधना है महाराज की

सम्मेदशिखर जी@राजकुमार अजमेरा। मौनपूर्वक श्री सिंह निष्क्रीङित व्रत (उत्तम) करने वाले विश्व के प्रथम आचार्य श्री अन्तर्मना प्रातः स्मरणीय आचार्य श्री 108 परम पूज्य प्रसन्न सागर जी महाराज की आज सोमवार को निरन्तराय पारणा 13 दिन बाद निर्विघ्न सम्मेदशिखर पारसनाथ टोंक पर सम्पर्ण हुई। आचार्य श्री की 21 जुलाई 2021 से मौन साधना प्रारंभ हुई है जो 28 जनवरी 2023 तक रहेगी। आचार्य श्री 496 उपवास और 61 दिन आहार ग्रहण करेंगे।
भारत गौरव साधना महोदधि अंतर्मना आचार्य 108 श्री प्रसन्न सागर जी महाराज पारसनाथ पहाड़ के स्वर्णमय स्वर्ण भद्रकूट टोंक पर विराजमान हैं। अपनी मौन वाणी से गुरुवर ने कहा कि जैसे-जैसे भौतिक सुख, संसाधन बढ़ते जा रहे हैं, वैसे ही जिंदगी का सफर कठिन होता जा रहा है। हालात दिन- प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। वक्त बदलता रहेगा। लोग बदलते रहेंगे।जैसे- अकेले जीने का सफर शुरू किया था, वैसे ही जीने का सफर अकेले खत्म करना पड़ेगा। इस सफर में कुछ यादें साथ रहेंगी, छूटे हाथ और टूटे रिश्ते ही यादों के सफर के हमराही होंगे।
आच्रायश्री ने कहा कि वजह यह है कि आजकल के रिश्ते किराए के मकान जैसे हो गए हैं। उन्हें जितना ही सजा लो, वो कभी अपने नहीं होते। इसलिए आज के आदमी को जितना मरने का भय नहीं, उससे ज्यादा अपनों के बदल जाने का भय है क्योंकि हमारे ख्वाबों का घरोंदा दूसरे नहीं, अपने ही तोड़ते हैं। हम अपने मन और भावों को सदा स्थिर रखें।
सौ बात की एक बात, अच्छे लोगों का साथ, सहयोग और समर्थन कभी-कभी लड़खड़ाती जिंदगी को भी दौड़ना सिखा देती है और छोटे लोगों से भी बड़े काम करवा देती है। यह जानकारी कोडरमा मीडिया प्रभारी राज कुमार अजमेरा,मनीष सेठी ने दी है।

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