तीर्थोद्धारक मुनि श्री सुधासागर जी महाराज के महरौनी नगर आगमन पर सादर समर्पित भाव पुष्प…
नगर सजा, सजीं हैं गलियां।
लालायित फूलों की कलियां।।
द्वार सजे हैं वंदन बारे।
रंगोली के रंग हैं न्यारे।।
दहलीज़ मुस्काती देखो।
अगवानी करवाती देखो।।
पूरब और पश्चिम हैं हर्षित।
उत्तर दक्षिण हुए प्रफुल्लित।।
सगुनों ने आंगन भर डाला।
मौसम को सावन कर डाला।।
आनंदों का बिछा बिछौना।
भावों का हैं बना खिलौना।।
सुन्दरता का रूप है आला।
रंगों ने खुद को रंग डाला।।
ॠतु बसंत की हवा है न्यारी।
श्रद्धा चरणों में बलिहारी।।
भव-भव के सब भाग्य जगे हैं।
प्रतिफल देने हुए सगे हैं।।
शुभ घडियों ने डाला डेरा।
मुस्कानों का रूप घनेरा।।
नयन सभी के भाग्य मनाएं।
अधर भक्ति के गाने गाएं।।
कानों में इक हुई ध्वनि है।
गुरु आगमन ख़बर सुनी है।।
सबके लगे हाथ मचलने।
गुरुवर पद प्रक्षालन करने।।
पलक पांवडे बिछा रहे हैं।
सुमनों से पथ सजा रहे हैं।।
जन जन के मन में यह आशा।
पूरी होगी अब अभिलाषा।।
मधुर मधुर संगीत बजे हैं।
भक्तिरस में सभी सजे हैं।।
हर मन की बस यही कामना।
भक्तिभाव की बहे प्रभावना।।
दर्शन को आतुर हैं दर्शन।
नर तन खुद करते हैं नर तन।।
किस्मत क्या हम सबने पायी।
शुभ मंगल की बेला आयी।।
करने गुरुवर की अगवानी।
आतुर महरौनी का प्राणी।।
घृत लेकर के दीप जलाएं।
और आरती थाल सजाएं।।
दीवाली सी जगमग घर घर।
महरौनी सीमा के पथ पर।।
सब शीश झुकाने वाले हैं।
गुरुवर आने वाले हैं।।
भाव रचना सहित।
गुरु चरण दर्शन अभिलाषी।।
संजय पाण्डेय “भारत”
संकलन -राजीव सिंघाई
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