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जज्बा और जुनून दिव्यांग ने की गिरनार के पांच टोक की पैदल वंदना: नेमीनाथ भगवान की चरण वंदना एवं महाअर्चना विधान का भव्य आयोजन किया गया


सकल दिगम्बर जैन समाज ऋषभदेव के 1000 से भी ज्यादा सदस्यों ने भाग लिया। गुरुदेव के आशीर्वाद से पूरी यात्रा निर्विघ्न संपन्न हुई । मीडिया के सचिन गंगावत ने बताया कि यात्रा के दूसरे दिन सभी सदस्यों ने गिरनार के उर्जयंत शिखर की वंदना की जिसमे 6 मुखबधिर भी शामिल थे। साथ ही उन्होंने बताया कि पूरी यात्रा में ऋषभदेव के बलवंत बल्लू जिन्होंने दिव्यांग होने के बावजूद भी पूरी 5 टोंक की पैदल वंदना की। ऋषभदेव से सचिन गंगावत की खबर…


ऋषभदेव. देवाधिदेव 1008 श्री ऋषभदेव भगवान की असीम कृपा से एवं भारत गौरव राष्ट्र संत, मनोग्याचार्य, जिनशर्नम तीर्थ प्रणेता आचार्य श्री पुलक सागर जी गुरुदेव के मंगल आशीर्वाद से सिद्ध भूमि श्री गिरनार जी के ( उर्जयंत शिखर ) पर तीर्थंकर श्री 1008 नेमीनाथ भगवान की चरण वंदना एवं महाअर्चना विधान का भव्य आयोजन किया गया। यात्रा के संयोजक सुमेश मधु वानावत (एसएमटी ) ने बताया कि यह आयोजन दिनाक 23 से 25 अक्टूबर तक आयोजित किया गया। यह पूरी यात्रा भोपाल मध्यप्रदेश निवासी संगपति एवं पुण्यार्जक प्रदीप “मामा”_प्रतिभा “मामी”, राहुल जिम्मी, रेयान जैन, कृतज्ञ, लवली, सुनय, रिया परिवार हैं। यात्रा संयोजक सुमेश वानावत ने बताया कि इस आयोजन में सकल दिगम्बर जैन समाज ऋषभदेव के 1000 से भी ज्यादा सदस्यों ने भाग लिया। गुरुदेव के आशीर्वाद से पूरी यात्रा निर्विघ्न संपन्न हुई । मीडिया के सचिन गंगावत ने बताया कि यात्रा के दूसरे दिन सभी सदस्यों ने गिरनार के उर्जयंत शिखर की वंदना की जिसमे 6 मुखबधिर भी शामिल थे। साथ ही उन्होंने बताया कि पूरी यात्रा में ऋषभदेव के बलवंत बल्लू जिन्होंने दिव्यांग होने के बावजूद भी पूरी 5 टोंक की पैदल वंदना की।

दिव्यांगता को आनंद मानकर जीने की कला में महारत रखने वाले ऋषभदेव के राष्ट्रीय कवि एवं पुलक मंच के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंत्री बलवंत बल्लु ने सिद्ध क्षेत्र गिरनार की पैदल यात्रा कर नेमीनाथ प्रभु की चरण वंदना कर साबित कर दिया कि दिव्यांगता किसी भी स्थिति में अभिशाप नहीं हैं। बल्लु ने लगभग 6 हजार सीढ़ियां चढ़ और उतर कर सभी टोंक की वंदना की। उनकी पैदल यात्रा से कई लोगों ने अभिभूत होकर प्रेरणा लेकर सफलता पूर्वक यात्रा की।

बलवंत ने साबित किया दिव्यांगता अभिशाप नहीं

बलवंत बल्लू ने बताया कि दिव्यांगता को समाज में एक सामाजिक कलंक माना जाता है। जिसे सुधारने की आवश्यकता है। जिन क्षेत्रों में उनका ध्यान रखा गया है, वहां उन्होंने अपनी ताकत साबित की है और ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं और समाज में उच्चतम अंक हासिल किए हैं। दिव्यांग व्यक्ति जिन्होंने अपना लक्ष्य बना लिया है और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की है, आज सफल हैं और सरकार के साथ-साथ निजी संगठनों में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों की अध्यक्षता कर रहे हैं। दिव्यांग आबादी भारत में बड़ी संख्या में है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। संपूर्ण आयोजन के यात्रा संयोजन की जिम्मेदारी आखिल भारतीय पुलक मंच परिवार ऋषभदेव द्वारा की गई। सभी सदस्यों ने जिम्मेदारी पूर्वक कार्य किया।

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