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तैयारी महाजुटान की,इरादा पारसनाथ में दख़ल: पार्टियों की राजनीति बढ़ाएगी विवाद


 

सारांश

जैन समाज के जनाक्रोश से घबराई राजनीतिक पार्टियों ने नया गंदा खेल शुरू कर दिया है। जैन समाज और आदिवासी समाज आमने-सामने आएंगे तो सरकार से नहीं आपस में लड़ेंगे दोनों समुदाय ..पढ़िए विस्तार से...


 

आस्था और धर्म के मामले में विभाजन की राजनीति का एक और दांव चला जा रहा है। जैन समाज की देशव्यापी मुहिम के सामने आदिवासियों को सामने लाया जा रहा है। आज गिरिडीह जिले के मधुबन में, पारसनाथ बचाओ महाजुटान की तैयारी है। वहां दोपहर एक बजे से सभा शुरू होगी।

जिसके लिये मंच लगभग तैयार हो चुका है. बता दें कि तीन बजे जुलूस निकाला जायेगा। पिछली बैठकों में आदिवासी समाज के नेता सह-अस्तित्व की बात करते रहे हैं लेकिन आज नेताओं के कीर तरह के बयान आते हैं, इस पर सभी की नजरें रहेंगी। यह जुलूस फुटबॉल मैदान से निकालकर पहाड़ की तलहटी तक जाएगा।

कार्यक्रम को पूर्व सांसद सालखन मुर्मू, विधायक लो- बिन हेम्ब्रम, गीताश्री उरांव, सूर्य सिंह बेसरा, जयराम महतो समेत अन्य लोग संबोधित करेंगे।

पारसनाथ विवाद को लेकर जयराम महतो का बयान अभी कुछ दिन पहले ही मीडिया के सामने अपनी बात रखी थी । उन्होंने कहा था की पारसनाथ सिर्फ एक पहाड़ या तीर्थ स्थल नहीं है बल्कि वहां आदिवासियों का जन जीवन बसा हुआ है वहां रहने वाले लोग पत्ते, लकड़ियाँ जमा कर अपना जीवन यापन करते हैं इसलिए हम सभी अपने अधिकार के लिए लड़ेंगें।

साथ ही उन्होंने कहा की जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाएगी तब तक वे आंदोलन करेंगें क्योंकि जैन से पहले यह तीर्थस्थल आदिवासी का मरांगबुरु है।

श्रीफल जैन न्यूज़ की अपील हम देश-विदेश में फैले जैन समाज के सभी श्रावकों से विनम्र अपील करते हैं कि उत्तेजना में आकर किसी से भी उझलने की ज़रूरत नहीं। जैन समाज के प्रबुद्ध वर्ग के साक्षात्कार श्रीफल जैन न्यूज़ देता रहा है जिसमें सभी ने हर हाल में जैन समाज को शांति,संयम और बुद्धिमानी से काम करने की सलाह दी है।

हमें सभी अपने प्रतिनिधियों,संतों पर भरोसा रखना चाहिए। समाज के प्रतिनिधियों का यह दायित्व है कि सभी एक मंच पर आकर इस नए घटनाक्रम पर समाज की भावना के अनुरूप रणनीति तैयार करें। हमारे हितों की सुरक्षा उन्हीं के हाथ में है। आपसी उलझन और भड़काऊ कृत्य समाज को नुकसान पहुंचाएगा।

वक्त की ज़रूरत है परोपकार के माध्यम से स्थानीय आदिवासियों को साथ लेकर सम्मेद शिखर पर हो रही राजनीति खत्म की जाए।

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